दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय से कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर की उस याचिका पर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा है, जिसमें 2017 निर्वाचन आयोग रिश्वत मामले में धन शोधन रोधी कानून के तहत उसके खिलाफ आरोप तय किए जाने को चुनौती दी गई है. न्यायमूर्ति दिनेश कुमार ने याचिकाकर्ता के वकील और एजेंसी की दलीलें सुनने के बाद कहा कि मामले पर ‘‘और गौर किए जाने की जरूरत है.’’
न्यायमूर्ति कुमार ने दोनों पक्षों को लिखित प्रतिवेदन दाखिल करने का निर्देश भी दिया. उन्होंने कहा, ‘‘आप दोनों लिखित प्रतिवेदन दाखिल करें. मैं अभी नोटिस जारी नहीं कर रहा हूं.’’ याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस मामले में अपराध के संबंध में कार्यवाही पर रोक के मद्देनजर निचली अदालत धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरोप तय नहीं कर सकती थी.
प्रवर्तन निदेशालय के वकील ने कहा कि याचिका मामले को लटकाने का एक तरीका है और अगर याचिकाकर्ता के तर्क को स्वीकार किया जाता है, तो इसके ‘‘व्यापक परिणाम’’ होंगे. धन शोधन का यह मामला दिल्ली पुलिस की, 2017 के उस मामले की जांच के दौरान सामने आया, जिसमे आरोप लगाया गया था कि सुकेश चंद्रशेखर ने अन्नाद्रमुक के पूर्व नेता टीटीवी दिनाकरण से निर्वाचन आयोग के अधिकारियों को रिश्वत देने के लिए पैसे लिए, ताकि तमिलनाडु की आर. के. नगर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में वीके शशिकला गुट के लिए अन्नाद्रमुक का ‘दो पत्तियों’ का चुनाव चिह्न प्राप्त किया जा सके.
उच्च न्यायालय ने 2019 में दिनाकरण और सुकेश के खिलाफ रिश्वत के मामले में सुनवाई पर रोक लगा दी थी. निचली अदालत ने चंद्रशेखर के खिलाफ पिछले साल अक्टूबर में पीएमएलए के तहत आरोप तय किए थे. पिछले साल के शुरू में ही सुकेश को एक अन्य मामले के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया गया था. वह अभी जेल में है. इस मामले की आगे की सुनवाई पांच अप्रैल को की जाएगी. बता दें कि सुकेश पर फोर्टिस हेल्थकेयर के पूर्व प्रमोटर शिविंदर मोहन सिंह की पत्नी अदिति सिंह सहित कुछ अन्य नामी लोगों के साथ कथित तौर धोखाधड़ी करने और जबरन पैसे वसूलने का मामला भी चल रहा है. वह अभी जेल में है.