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सड़क-2 से रांची के डॉ सिद्धार्थ का है कनेक्शन, इस तरह फिल्म से जुड़ने का मिला मौका

कोरोना काल में फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही हैं. शुक्रवार को डिजनी प्लस हॉट स्टार पर फिल्म 'सड़क-2' रिलीज हुई़. मुख्य भूमिका में संजय दत्त, आलिया भट्ट और आदित्य रॉय कपूर हैं. खास बात है कि इस फिल्म का रांची से भी कनेक्शन है. फिल्म खत्म होते ही स्पेशल थैंक्स कैटेगरी में रिनपास के मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा का नाम शामिल है़. डॉ सिद्धार्थ सिन्हा वर्ष 2017 से इस फिल्म की टीम से जुड़े हुए थे़. उन्होंने बताया कि फिल्म मानसिक बीमारी से जूझ रहे मरीज की मनोस्थिति को उजागर करती है़. साथ ही मानसिक रोगी से लोग कैसे बरताव करते हैं, इसे भी दिखाने की कोशिश की गयी है़

अभिषेक रॉय, रांची: कोरोना काल में फिल्में ओटीटी प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही हैं. शुक्रवार को डिजनी प्लस हॉट स्टार पर फिल्म ‘सड़क-2’ रिलीज हुई़. मुख्य भूमिका में संजय दत्त, आलिया भट्ट और आदित्य रॉय कपूर हैं. खास बात है कि इस फिल्म का रांची से भी कनेक्शन है. फिल्म खत्म होते ही स्पेशल थैंक्स कैटेगरी में रिनपास के मनोचिकित्सक डॉ सिद्धार्थ सिन्हा का नाम शामिल है़. डॉ सिद्धार्थ सिन्हा वर्ष 2017 से इस फिल्म की टीम से जुड़े हुए थे़. उन्होंने बताया कि फिल्म मानसिक बीमारी से जूझ रहे मरीज की मनोस्थिति को उजागर करती है़. साथ ही मानसिक रोगी से लोग कैसे बरताव करते हैं, इसे भी दिखाने की कोशिश की गयी है़

डॉ सिद्धार्थ सिन्हा ने बताया कि 2017 के अंत में फिल्म ‘सड़क 2’ का थीम तय हुआ था. उस वक्त निर्देशक महेश भट्ट मेंटल हेल्थ अवेयरनेस का फेसबुक पेज चलाने में डॉ सिद्धार्थ की मदद कर रहे थे. यह कैंपेन वर्ल्ड मेंडल हेल्थ डे के लिए डब्ल्यूएचओ के थीम ‘यस टू लाइफ’ को सपोर्ट कर रहा था़.

कैंपेन से जुड़ने के बाद मानसिक रोग और रोगियों के व्यवहार को उजागर करने, उन्हें कैसे ठीक किया जा सकता है, विचार चल रहा था. यहीं से महेश भट्ट ने फिल्म के माध्यम से रोगी के व्यवहार और मानसिक रोग को स्थिति को दर्शाने का विचार बनाया. कैंपेन के कारण फिल्म से भी जुड़ने का मौका मिला.

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मानसिक रोगी और चिकित्सा की शैली को समझाया

सड़क-2 वर्ष 1991 में आयी फिल्म सड़क की कहानी से आगे की कड़ी है़ संजय दत्त ड्राइवर की भूमिका में हैं और पत्नी की मौत के बाद मानसिक रोगी बन जाते है. मानसिक रोगी कैसे साइकोसिस (रोगी के मन में डर समा जाने की स्थिति), बाइपोलर मूड डिसऑर्डर, स्क्रिजोफ्रेनिया (रोगी को जब मन की आवाजें और चिंतन किये हुए दृश्य वास्तविक लगने लगते हैं) और साइकोटिक डिसऑर्डर की चपेट में आता है. फिर मनोचिकित्सक कैसे रोगी को समझ उसे ठीक करता है, इस तरह के हिस्से को जीवंत करने में डॉ सिद्धार्थ ने मदद की. इसके लिए फिल्म की कोराइटर टीम से जुड़ी सुरिता को स्क्रिप्ट में मदद की. शूटिंग के बीच निर्देश महेश भट्ट के आमंत्रण पर लगातार जुड़े रहे और कहानी के साथ किरदार को जस्टिफाइ करने में मदद की.

Posted By: Divya Keshri

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