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Exclusive: सुनहरे परदे पर राम कथा, जब राम-राज्य देखने गये थे गांधी जी, जानें ये दिलचस्प किस्सा

भारतीय फिल्म जगत के 111 वर्षों से अधिक के इतिहास में हर दशक में सिनेमा के परदे व टीवी पर किसी-न-किसी रूप में राम अवतरित होते रहे हैं. अब तक 50 से ज्यादा फिल्में और 18 टीवी शो बन चुके हैं. इनमें से हिंदी में 17 और तेलुगु में सर्वाधिक 18 फिल्में बनी हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 7, 2024 1:30 PM
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मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु राम भारतीय जनमानस के आराध्य हैं. यही वजह रही कि प्रभु राम और उनकी कथाएं फिल्मकारों को भाती रही हैं. भारतीय सिनेमा जगत के पितामह दादा साहब फाल्के ने वर्ष 1917 में लंका दहन (मूक फिल्म) नाम से रामायण पर आधारित पहली फिल्म बनाने का जो सिलसिला शुरू किया, वह आज तक जारी है. अब तक रामायण की कथा पर आधारित 50 से ज्यादा फिल्में और 18 टीवी शो बन चुके हैं. फिल्मकारों ने रामकथा को लेकर कई प्रयोग भी किये. प्रभु राम के सिनेमा व टेलीविजन अवतार पर पढ़ें यह विशेष प्रस्तुति.

सुनहले परदे पर राम कथा

भारतीय फिल्म जगत के 111 वर्षों से अधिक के इतिहास में हर दशक में सिनेमा के परदे व टीवी पर किसी-न-किसी रूप में राम अवतरित होते रहे हैं. अब तक 50 से ज्यादा फिल्में और 18 टीवी शो बन चुके हैं. इनमें से हिंदी में 17 और तेलुगु में सर्वाधिक 18 फिल्में बनी हैं. रामायण पर आधारित ज्यादातर फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर भी अच्छी कमाई की है. वर्ष 1917 में दादा साहब फाल्के के निर्देशन में आयी रामायण पर आधारित पहली फिल्म ‘लंका दहन’ को देखने के लिए सिनेमाघर के बाहर लंबी कतारें लगी रहती थीं. दूरदर्शन पर आयी रामानंद सागर की ‘रामायण’ ने तो सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये. वर्ष 1980 व 1990 का दशक इसके नाम रहा.

सिनेमाघर भी बन गये मंदिर

‘लंका दहन’ एक मूक फिल्म जरूर थी, लेकिन इसने सिनेमाघरों को मंदिर बना दिया. दरअसल, कोई भी शख्स सिनेमाघर के अंदर जूते-चप्पल लेकर नहीं जाते थे. जूते-चप्पल बाहर उतार कर दर्शक सिनेमाघर में कदम रखते थे. प्रभु श्रीराम के चरित्र के परदे पर आते ही सारे दर्शक उन्हें देख सिर झुकाने लगते थे. पहली बार किसी फिल्म में दर्शकों को रामायण की कथा देखने को मिली थी. यह फिल्म लगातार 23 हफ्ते तक सिनेमाघर में लगी रही थी. फिल्म इतिहासकार अमृत गंगार के अनुसार, उस समय टिकट काउंटर से सिक्कों को बोरियों में इकट्ठा कर निर्माता के ऑफिस तक बैलगाड़ी से पहुंचाया जाता था. 10 दिनों में ही इस फिल्म ने 35 हजार रुपये की कमाई कर ली थी. इस फिल्म के निर्माण से पहले दादा साहब फाल्के के पास ओपन एयर स्टूडियो था, लेकिन इस फिल्म ने इतनी कमाई कर डाली कि फाल्के साहब ने एक शानदार स्टूडियो बना लिया.

एक ही शख्स बने राम-सीता

लंका दहन फिल्म में अभिनेता अन्ना सालुंके ने भारतीय सिनेमा के इतिहास का पहला डबल रोल किया था. अन्ना सालुंके इस फिल्म में प्रभु राम के साथ माता सीता भी बने थे. खास बात है कि सालुंके ने इस फिल्म में राम व सीता दोनों ही किरदारों को अपने शानदार अभिनय से जीवंत बना दिया था. हालांकि, लंका दहन फिल्म में सीता के किरदार के लिए दादा साहब फाल्के पहले एक महिला कलाकार की तलाश कर रहे थे, लेकिन उस दौर में महिलाओं का फिल्मों में काम करना बुरा समझा जाता था. ऐसे में उस दौर में महिलाओं के किरदार भी पुरुष ही निभाया करते थे. चूंकि, इससे पहले दादा साहब फाल्के की फिल्म ‘राजा हरिशचंद्र’ में अन्ना सालुंके तारामति का किरदार निभा चुके थे. इससे उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ गयी थी. यही वजह रही कि फाल्के साहब ने माता सीता की भूमिका भी उन्हीं को सौंपी.

राम-राज्य देखने गये गांधी जी

लंका दहन के बाद जीवी साने ने फाल्के की परंपरा को आगे बढ़ाया और वर्ष 1920 में ‘राम जन्म’ को निर्देशित किया. इसके बाद वर्ष 1932 में वी शांताराम ने ‘अयोध्येचा राजा’ नाम की मराठी फिल्म बनायी. इसके बाद वर्ष 1942 व 1943 में निर्देशक विजय भट्ट ने रामायण पर आधारित लगातार दो फिल्में- ‘भरत मिलाप’ और ‘राम राज्य’ बनायी. ‘राम राज्य’ ने भी उस दौर में 60 लाख रुपये कमाये थे. यह महात्मा गांधी द्वारा देखी गयी इकलौती हिंदी फिल्म थी. इन फिल्मों से प्रभु राम व रामकथा आम दर्शकों के बीच भी पसंदीदा विषय बन चुके थे.

तीन भाषाओं में बनी संपूर्ण रामायण

के सोमू द्वारा निर्देशित संपूर्ण रामायणम वर्ष 1958 में तमिल भाषा में बनी. इस फिल्म में प्रभु श्रीराम की भूमिका दक्षिण भारत के सुपरस्टार एनटी रामा राव ने निभायी. इसके बाद वर्ष 1961 में बाबूभाई मिस्त्री के निर्देशन में हिंदी में बनी ‘संपूर्ण रामायण’ ने सिनेमा घरों को गुलजार कर दिया. फिल्म देखते हुए लोग जय सियाराम के नारे लगाया करते थे. बाबूभाई मिस्त्री ने पहली बार परदे पर रावण और हनुमान को हवा में उड़ते दिखाकर लंका दहन और राम-रावण युद्ध के रोमांचक दृश्य फिल्माकर दर्शकों को आनंदित कर दिया. इस फिल्म में रावण की भूमिका निभा कर बीएम व्यास उस जमाने के चर्चित खलनायक बन गये थे. इसके बाद 1971 में सत्तीराजू लक्ष्मीनारायण के निर्देशन में तेलुगु भाषा में संपूर्ण रामायण फिल्म बनी. तीनों फिल्मों को दर्शकों का खूब स्नेह मिला.

1987 में आया पहला टीवी शो

रामानंद सागर ने टीवी शो के तौर पर रामायण दिखायी. दूरदर्शन पर पहली बार 87 एपिसोड वाली रामायण का प्रसारण 25 जनवरी, 1987 को शुरू हुआ और आखिरी ऐपिसोड 31 जुलाई, 1988 को लाइव हुआ था. इस सीरियल में अरुण गोविल ने राम, दीपिका चिखलिया ने सीता, अरविंद त्रिवेदी ने रावण, सुनील लहरी ने लक्ष्मण और दारा सिंह ने हनुमान की भूमिका निभायी थी. इस सीरियल की लोकप्रियता इतनी बढ़ गयी कि जब भी यह टीवी पर आता, तो हर जगह सन्नाटा छा जाता था. यह इतना लोकप्रिय हुआ कि इसके कैसेट और डीवीडी भी खूब बिके. कोरोना काल में भी रामानंद सागर कृत रामायण का दोबारा प्रसारण किया गया था.

श्रद्धेय हो गये अभिनेता

एक समय तक प्रभु राम के किरदार निभाने वाले अभिनेताओं में राम राज्य के नायक प्रेम अदीब को सबसे ज्यादा पसंद किया गया. दर्शक उनके फोटो को फ्रेम करवाकर उस पर माला चढ़ाया करते थे. संपूर्ण रामायण में राम की भूमिका निभा कर महिपाल भी लोकप्रिय हुए थे. फिल्मों के बाद दूरदर्शन पर ‘रामायण’ सीरियल में राम की भूमिका निभाने वाले अरुण गोविल को तो देशभर में राम के अवतार के रूप में ही देखा जाने लगा था. अब तक उनकी वह छवि बरकरार है. इनके अलावा वर्ष 1997 में प्रसारित हुए लोकप्रिय धारावाहिक ‘जय हनुमान’ में अभिनेता सिराज मुस्तफा खान ने भगवान राम का किरदार निभाया था. उन्हें भी लोग काफी पसंद करने लगे थे. मूक फिल्मों के दौर में खलील अहमद एक सुपरस्टार थे. वे वर्ष 1920 से 1940 तक फिल्मों में सक्रिय रहे थे. उन्होंने सती पार्वती, महासती अनुसुया, रुक्मिणी हरण, लंका नी लाडी और द्रौपदी जैसी फिल्मों में कृष्ण व राम के किरदार निभाये.

आठ बार राम बने प्रेम अदीब

वर्ष 1942 में आयी भरत मिलाप और वर्ष 1943 में रिलीज हुई राम राज्य में प्रेम अदीब ने ही प्रभु राम की भूमिका निभायी थी. इन दोनों फिल्मों ने उनको उस दौर का एक सफलतम अभिनेता बना दिया था. उनके द्वारा निभायी गयी प्रभु राम की भूमिका लोगों को बेहद पसंद आयी. यही वजह रही कि इसके बाद रामायण पर आधारित छह फिल्मों- ‘राम बाण’ (1948), ‘राम विवाह’ (1949), ‘रामनवमी’ (1956), ‘राम हनुमान युद्ध’ (1957), ‘राम लक्ष्मण’ (1957), ‘राम भक्त विभीषण’ (1958) जैसी फिल्मों में वही प्रभु राम बने. खास बात है कि राम राज्य की शूटिंग के दौरान प्रेम ने नॉनवेज तक खाना छोड़ दिया था.

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