यदि आपको लग रहा है कि स्वतंत्रता दिवस वाला सप्ताह चल रहा है, हर ओर तिरंगे लहरा रहे हैं, देशभक्ति की बयार है, तो ऐसे में फिल्म वाले भी देशभक्ति के मसाले में लिपटी फिल्में ही रिलीज करेंगे, तो जरा रुकिए, क्योंकि फिल्म वालों के लिए ऐसा कोई भी मौका सिर्फ और सिर्फ दर्शकों की भावनाओं को भुना कर अपने लिए मुनाफा कमाने के लिए होता है. फिल्मी कारोबार के गणित के उलझे हुए धागों को सुलझाने के लिए अक्सर फिल्म वाले साल के कुछ बड़े मौकों पर ऐसी फिल्में रिलीज करने की कोशिश करते हैं जिनका स्वाद उन दिनों चल रही हवा के मुताबिक हो, ताकि दर्शक उनसे खुद को जोड़ सकें. यही कारण है कि दिवाली और क्रिसमस के मौकों पर ऐसी मस्ती भरी फिल्में ज्यादा आती हैं जिन्हें परिवार के साथ देखा जा सके, क्योंकि इन मौकों पर छुट्टियों के समय लोग पूरे परिवार के साथ थिएटरों में जाना पसंद करते हैं. इसी तरह , देश से जुड़े मुद्दों वाली फिल्मों के लिए 26 जनवरी और 15 अगस्त के मौके मुफीद समझे जाते हैं.
गदर 2 को लेकर दर्शकों का क्रेज
हालांकि यह कोई जरूरी नहीं कि देशभक्ति वाली फिल्में इन्हीं मौकों पर ही सफल होंगी या इन्हें सिर्फ इन्हीं दो मौकों पर ही आना चाहिए. लेकिन फिल्म वालों की ऐसी कोशिश जरूर रहती है कि अपनी फिल्म के फ्लेवर के मुताबिक ही उसकी रिलीज का मौका तय किया जाए. जहां तक 15 अगस्त की बात है, तो इस मौके को भुनाने की साजिशें इधर कुछ समय से ही शुरू हुई हैं वरना ‘शोले’ जैसी फिल्म 15 अगस्त, 1975 के दिन रिलीज न होती. वैसे भी अपने यहां देशभक्ति वाला या देश की बात कहने वाला उम्दा सिनेमा कम ही बनता है. इस साल इस मौके पर एक मसालेदार फिल्म ‘गदर 2’ आयी है, जो 2001 में रिलीज हुई ‘गदर’ का अगला भाग है. हालांकि मूल फिल्म भारत-पाकिस्तान के विभाजन की पृष्ठभूमि में एक पति-पत्नी के बिछड़ने और मिलने की ही कहानी थी लेकिन उसमें नायक सनी देओल के हिंदुस्तान जिंदाबाद के नारों और पाकिस्तान के लोगों को पीटने के दृश्यों ने दर्शकों में खासा उबाल ला दिया था. संयोग ही कहेंगे कि 2001 की तपती गर्मियों में रिलीज हुई इस फिल्म के साथ ही आमिर खान वाली ‘लगान’ भी आयी थी जिसने क्रिकेट के खेल के बहाने से देशभक्ति की लौ जगायी थी. अब ‘गदर 2’ में 1971 का बैकग्राउंड है और देश के मौजूदा माहौल में राष्ट्रवाद का जबर्दस्त तड़का भी. हालांकि इसी के साथ रिलीज हुई अक्षय कुमार की ‘ओएमजी 2’ का देशभक्ति से कोई नाता नहीं है.
15 अगस्त के मौके पर ये मूवीज हो चुकी है रिलीज
नाता तो 2008 में इस मौके पर रिलीज हुई ‘बचना ऐ हसीनों’, ‘गॉड तुस्सी ग्रेट हो’, 2009 में आयी ‘कमीने’ या 2013 में आयी ‘वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई दोबारा’ का भी नहीं था. बल्कि यह फिल्म तो अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम की कहानी दिखा रही थी. 2015 में ‘ब्रदर्स’, 2016 में ‘मोहेंजो दारो’, 2016 में ‘टॉयलेट- एक प्रेम कथा’ भी भला 15 अगस्त के मौके की फिल्में तो नहीं ही थीं. लेकिन इसी दौरान 2016 में ‘रुस्तम’, 2018 में ‘गोल्ड’, ‘सत्यमेव जयते’, 2019 में ‘बाटला हाऊस’, ‘मिशन मंगल’ किसी न किसी कोण से देश की बात कर रही थीं. दरअसल हर साल देशभक्ति या देश की बात करने वाली कुछ फिल्में तो बनती ही हैं और उन्हें बनाने वालों की कोशिश रहती है कि उन्हें 15 अगस्त के आस-पास रिलीज किया जाए क्योंकि इस दौरान देशवासियों में देशप्रेम का बुखार हिलोरें मार रहा होता है.
‘गदर 2’ और ओएमजी 2
वर्ष 2012 में सलमान खान की ‘एक था टाइगर’ रिलीज हुई थी जिसमें सलमान हिन्दुस्तानी खुफिया एजेंट बने थे. इस मौके पर और इसके पांच दिन बाद ईद का आ जाना इस फिल्म के लिए खासे मुनाफे का सौदा रहा था. वैसे फिल्मी कारोबार का एक सच यह भी है कि चाहे 15 अगस्त हो या होली-दीवाली, फिल्म वालों के लिए हर छुट्टी सिर्फ एक मौका है बॉक्स-ऑफिस पर ज्यादा से ज्यादा भीड़ इकट्ठा करने का. अब वह भीड़ चाहे ‘गदर 2’ के सनी देओल की वजह से जमा हो या ‘ओ एम जी 2’ के अक्षय कुमार के कारण.