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डेढ़ महीने लगे थे गदर के सुपरहिट गीत उड़ जा काले कांवा को बनने में… संगीतकार उत्तम सिंह ने खास यादें की साझा

सनी देओल की ब्लॉकबस्टर फिल्म गदर फिर से सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए पूरी तरह तैयार है. अब संगीतकार उत्तम सिंह ने इस फिल्म के गीत-संगीत से जुडी कई खास यादें शेयर की. आप भी पढ़िये...

साल 2001 में रिलीज हुई सनी देओल और अमीषा पटेल स्टारर ब्लॉकबस्टर फिल्म गदर एक प्रेम कथा कल यानी 9 जून को एक बार फिर से सिनेमाघरों में दस्तक देने जा रही है. अनिल शर्मा के निर्देशन वाली इस फिल्म के गाने भी सुपरहिट थे. फिल्म के गीत संगीत से उत्तम सिंह और गीतकार आनंद बक्शी का नाम जुड़ा था. ग़दर के रीरिलीज पर ख़ुशी जाहिर करते हुए संगीतकार उत्तम सिंह ने इस फिल्म के गीत- संगीत से जुडी कई खास यादें शेयर की. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश

फिल्म के संगीत से जुड़ी थी ये चुनौती

1947 फिल्म की कहानी का बैकड्रॉप था और फिल्म 2001 में रिलीज हुई थी. 1947 के समय का संगीत देता था, तो कौन सुनता था, लेकिन उस दौर की झलक गीत -संगीत में होनी भी ज़रूरी थी. यह मेरे लिए एक चुनौती की ही तरह था. जेहन में ये सवाल था कि क्या होगा. कैसे होगा लेकिन उपरवाले का शुक्र था कि फिल्म के साथ – साथ लोगों को म्यूजिक भी बहुत पसंद आया. अनिल शर्मा और सनी देओल की इतनी फिल्में हिट रही हैं, लेकिन जब भी उनका नाम आता है या कहीं किसी रियलिटी शो में उनकी एंट्री होती है, तो उड़ जा काले कान्वा या मैं निकला गड्डी लेकर ही बैकड्रॉप बजता है. खास बात है कि जो भी गाना मैंने बनाया था , वो सारे फिल्म में थे. एक भी गाना रिजेक्ट नहीं हुआ. मेकर्स को मेरे पर विश्वास था इसके अलावा मैं अड़ा हुआ भी था कि मैं यही गीत इस सिचुएशन में रखूंगा.

उड़ जा काले कांवा सबसे मुश्किल गीत था

इस फिल्म के सबसे मुश्किल गाने की बात करूं, तो वह उड़ जा काले कांवा था. मेरे दिमाग में कुछ आ ही नहीं रहा था, एक महीने के बाद मेरे दिमाग में एक ट्यून आयी, लेकिन वो भी १६ या 17 सेकेंड्स की थी. जो दिमाग में ट्यून आयी थी, वही ट्यून पुरे फिल्म में बजती है. उड़ जा काले कांवा की इसी16 सेकेंड्स वाली ट्यून को लेकर मैं गीतकार आनंद बक्शी से मिला. उन्होंने एक हफ्ते का समय माँगा था , लेकिन तीसरे ही दिन वो मेरे पास उड़ जा काळा कांवा गीत लेकर आ गए. ये लब्ज कभी हिंदी सिनेमा के किसी गाने में आये ही नहीं. यश चोपड़ा की पत्नी है पम्मी चोपड़ा वो अब इस दुनिया में रही नहीं. उन्होंने मुझे बुलाकर पूछा कि मैंने सारे लोकगीतों को चेक किया है. ये आपने किस लोकगीत से लिया है. मैंने बोलै भाभी ये हमारे द्वारा बनाया बनाया हुआ लोकगीत है. ये कहीं से लिया हुआ नहीं है, जिसे सुनकर वह बहुत खुश हुई. बक्शी सर ने यश चोपड़ा जी को कहा भी था कि लोग लोकगीत को कॉपी करते हैं, हम बनाते हैं.

लता जी गाने वाली थी ये गीत

लता जी मेरे लिए मां सरस्वती का नाम है. इस फिल्म के लिए भी मैं कम से कम एक गाने में उनकी आवाज को चाहता था. फिल्म दिल तो पागल है में हमारा एसोसिएशन बहुत यादगार था. उड़ जा काले कांवा के फीमेल आवाज के लिए मैं लता जी को चाहता था, लेकिन वो उस वक़्त म्यूजिकल टूर पर थी. हमने बहुत समय तक इंतज़ार भी किया, लेकिन उनका टूर लम्बा खिंच गया, तो उसके बाद हमने अलका याग्निक जी से ये गाना पूरा करवाया.

ठुमरी गीत को बक्शी जी ने 15 मिनट में लिख दिया था

इस फिल्म की सिचुएशन में एक ठुमरी गीत की ज़रूरत थी, जिसके लिए आन मिलो सजना गीत बनाया गया था. जिसे बेगम परवीन सुल्ताना और क्लासिकल सिंगर अजय चौधरी ने गाया था. अजय चौधरी उस वक़्त कोलकाता से मुंबई आए हुए थे. उन्होंने ही मुझे ये राग बताया था , जिस पर मैंने धुन बनायीं और उस धुन पर 15 मिनट में आनंद बक्शी ने ठुमरी लिख दी.

60 लाख म्यूजिक कैसेटस ने कमाकर दिए थे

इस फिल्म का गीत-संगीत आज भी लोगों की जुबान पर है. उस वक़्त के अखबारों में फिल्म के गीत – संगीत के बारे में लिखा गया था कि यह पैसे बनाने वाला गीत-संगीत है. यशजी को भी इस फिल्म के गाने बहुत पसंद आये थे. इस फिल्म के गानों के कैसेटस ने उस वक़्त 50 से 60 लाख की कमाई की थी.

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