Ganesh Chaturthi 2023: गणपति बप्पा मोरया…के जयकारों से जल्द ही मुंबई ही नहीं, बल्कि पूरा देश गूंजने वाला है, क्योंकि जल्द ही गणेश उत्सव की धूम मचने वाली है. गणेश उत्सव और गणेश स्तुति कई फिल्मों की कहानी और गीतों का अहम हिस्सा रहे हैं. एक वक्त यह रुपहले पर्दे का ही नहीं, बल्कि इंडस्ट्री के पसंदीदा त्योहारों में से एक था, जो न सिर्फ पूरी इंडस्ट्री को जोड़ता था, बल्कि आमजन को भी इसका हिस्सा बना देता था. इसी की पड़ताल करता उर्मिला कोरी का यह आलेख.
बॉलीवुड के मशहूर गणेशोत्सव में सबसे अहम नाम ‘आरके यानी राज कपूर’ की गणपति का रहा है. बॉलीवुड का कपूर परिवार, इस पारिवारिक परंपरा को 70 साल तक जीवित रखा, लेकिन साल 2018 में आरके स्टूडियो के बिकने के साथ ही इस परिवार ने गणेशोत्सव में अपनी आखिरी भागीदारी दर्शायी और बप्पा को आरके स्टूडियो से हमेशा-हमेशा के लिए अलविदा कह दिया. फिल्म पत्रकारिता में छह दशक से भी अधिक समय तक सक्रिय रहे फिल्म विशेषज्ञ दिलीप ठाकुर बताते हैं कि चेंबूर में आरके स्टूडियो बनने के साथ ही वहां होली के साथ-साथ गणेश उत्सव की भी परंपरा शुरू हो गयी थी. राजकपूर ने बकायदा अपने स्टूडियो में दाहिने हाथ पर एक जगह गणपति की मूर्ति स्थापित करने के लिए बनायी थी, ताकि हर साल मूर्ति वही स्थापित की जा सके और स्टूडियो में बिना किसी बाधा के शूटिंग का काम भी चलता रहे. फिल्म की शूटिंग चलती रहती थी, इसलिए कई खास सेलिब्रिटीज आरके की गणपति का हिस्सा बनते रहते थे. इस दौरान स्टूडियो के दरवाजे आम लोगों के लिए भी खुल जाते थे, ताकि वे भी स्टूडियो में जाकर बप्पा के दर्शन कर सकें. आरके की गणपति देखने के लिए मुंबई के दूर-दूर से लोग आते थे. आरके की गणपति का विसर्जन भी हमेशा खास होता था, जिसमें ढोल-नगाड़े के साथ नृत्य शामिल होता था.
इंडस्ट्री के प्रसिद्ध गणेशोत्सव में एक नाम राज कमल कला मंदिर का भी रहा है. राजकपूर की तरह यहां भी स्टूडियो के प्रमुख वी शांताराम खुद गणपति लाते थे. फिल्म विशेषज्ञ दिलीप बताते हैं कि साल 1959 में रिलीज फिल्म ‘नवरंग’ के गीत चल जा रे हट नटखट… में एक बड़ी-सी गणपति प्रतिमा स्टूडियो में बनायी गयी थी. फिल्म की शूटिंग जब खत्म हुई, तो वी शांताराम ने फैसला किया कि वह मूर्ति को हटायेंगे नहीं, बल्कि गणेशोत्सव में उसकी पूजा करेंगे. उसके बाद से ही गणेशोत्सव मनाने की परंपरा चल पड़ी, जो आज 64 साल बाद भी कायम है. हालांकि, गणपति उत्सव से जुड़ा अब वो ग्लैमर नहीं दिखता है, जो उन दिनों हुआ करता था. राज कमल की गणपति प्रतिमा काफी बड़ी होती थी. वह उसकी एक अहम खासियत होती थी. राज कमल स्टूडियो उन दिनों मनोज कुमार और यश चोपड़ा के पसंदीदा स्टूडियोज में से था, जहां वे शूटिंग करना पसंद करते थे. इसलिए वहां की गणपति सेलिब्रेशन का अहम हिस्सा इन निर्देशकों के साथ कई अभिनेता भी होते थे. दिलीप ठाकुर बताते हैं कि राज कमल स्टूडियो की गणपति विसर्जन भी किसी भव्य इवेंट से कम नहीं होता था. 11वें दिन विसर्जन के दौरान लोगों का हुजूम इस मूर्ति के साथ चलता था. यही वजह है कि वी शांताराम ने अपनी फिल्म ‘गीत गाया पत्थरों ने’ नाम का बैनर गणपति के विसर्जन में गणपति प्रतिमा के बाजू में रख दिया था, ताकि उनकी फिल्म का प्रोमोशन भी हो जाये. उनके प्रमोशन के इस अंदाज ने उस वक्त खूब सुर्खियां बटोरी थी.
उस दौर के प्रसिद्ध स्टूडियोज आरके और राज कमल के अलावा फिल्मालय और नटराज स्टूडियोज में भी गणपति का उत्सव 11 दिनों तक पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता था, लेकिन इन स्टूडियोज के मालिक नहीं, बल्कि वहां काम करने वाले लोगों द्वारा यह उत्सव होता था. इस वजह से इन स्टूडियोज के गणपति सेलिब्रेशन में कुछ खास ग्लैमर नहीं दिखता था. मगर जब तक ये स्टूडियोज सक्रिय रहे, उन्होंने गणेशोत्सव को अपने अंदाज में हमेशा ही सेलिब्रेट किया. इस स्टूडियोज में भी आम लोगों की खूब भीड़ उमड़ती थी.
घर की गणपति पूजा हर साल रहती है सुर्खियों में
मौजूदा दौर में स्टूडियोज की परंपरा नहीं रही है और ना ही बीते दौर की तरह सभी को साथ में लेकर गणेशोत्सव धूमधाम से मनाने का चलन है. अब गणेशोत्सव पूरी इंडस्ट्री एक साथ होकर नहीं, बल्कि अपने परिवार और कुछ खास दोस्तों के साथ करती दिखती है, जिसमें कुछ सितारों के घर की गणपति हर साल सुर्खियों में रहती है.
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सलमान खान की बहन अर्पिता खान की गणपति इंडस्ट्री के लोकप्रिय गणपति में से एक है, क्योंकि इस उत्सव में सलमान खान का पूरा परिवार और उनके खास दोस्त भी हर साल शामिल होते हैं.
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बप्पा की भक्त शिल्पा शेट्टी कुंद्रा हर साल गणेश उत्सव का जश्न अपने पूरे परिवार के साथ मनाती हैं, जिसमें उनका लुक हर साल सभी का ध्यान खींचता है.
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निर्मात्री एकता कपूर अपने पिता जितेंद्र और भाई तुषार कपूर के साथ मिलकर गणपति का स्वागत करती हैं. छोटे पर्दे के लगभग सभी सितारे इस गणपति उत्सव का हिस्सा बनते हैं. इस वजह से यह गणपति महोत्सव हर साल चर्चा में रहता है.
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संजय दत्त, गोविंदा ,नाना पाटेकर, विवेक ओबेरॉय और नील नितिन मुकेश के घरों में भी गणपति का जयकारा लगता आया है. इस बार नील नितिन मुकेश के घर में गणपति पूजा के 30 साल पूरे होने वाले हैं.
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हिंदी सिनेमा के जंपिंग जैक जितेंद्र ने अपनी जिंदगी के 22 साल गिरगांव स्थित श्याम सदन चॉल में बिताया है. वह उन दिनों की यादों को हमेशा ही बेहद खास करार देते हैं. खासकर, वहां के गणपति उत्सव का सेलिब्रेशन उनके दिल के बेहद करीब रहा है. यही वजह है कि जितेंद्र ने अपने घर में गणपति लाने के बावजूद गणेश उत्सव का पहला दिन हमेशा श्याम सदन चॉल के नाम किया है. वह अगर गणेशोत्सव में मुंबई में हैं, तो पहला दिन वह श्याम सदन चॉल की गणपति को दर्शन को ही जायेंगे. इस संबंध में दिलीप ठाकुर बताते हैं कि हर गणेश उत्सव में जितेंद्र का यह रूटीन रहा है कि वह सबसे पहले दिन श्याम सदन चॉल जाकर गणपति के दर्शन करते थे. इस नियम को उन्होंने दो साल पहले तक फॉलो किया था, क्योंकि दो साल पहले श्याम सदन चॉल को तोड़ दिया गया और अब वहां बड़ी बिल्डिंग बन गयी है. हम यह कह सकते हैं कि उन्होंने 50 सालों से अधिक समय तक इस परंपरा को बखूबी निभाया है.