Ganesh Chaturthi 2023: हिंदी फिल्मों में गणपति की धूम
अपनी फिल्मों में झांके तो विघ्नहर्ता गणपति सिनेमा के पर्दे पर हमेशा से ही स्थान पाते रहे हैं. चूंकि कुछ अरसा पहले तक अपने यहां बनने वाली अधिकांश हिंदी फिल्मों में कहानी की पृष्ठभूमि मुंबई की ही होती थी इसलिए वहां मनाए जाने वाले डांडिया, गणपति जैसे त्योहारों का उनमें सहज ही चित्रण दिखाई देता था.
गणेश चतुर्थी के अवसर पर घरों, पंडालों में गणपति की मूर्ति की स्थापना, और बाद में उनके विसर्जन की धूम अब महाराष्ट्र से निकल कर देश के बाकी हिस्सों और विदेशों तक पहुंच चुकी है. खासतौर पर पिछले कुछ वर्षों में उत्तर भारत में बड़े पैमाने पर गणेश उत्सव मनाया जाने लगा है. मानें या न मानें, इसके पीछे बाजार की ताकतों के साथ-साथ हिंदी फिल्मों का भी बड़ा हाथ है. फिल्मों में दशकों से गणपति की स्थापना और विसर्जन देखते आये लोगों ने दो-ढाई दशक पहले पनपे न्यूज चैनलों के उदय के साथ महाराष्ट्र और विशेषकर मुंबई में छोटे-बड़े हजारों गणपति देखे और लाल बाग के राजा को लेकर किस्से-कहानियां सुनीं. इनसे उनका उत्सवधर्मी मन ज्यादा देर तक नियंत्रण में न रह सका और अब यह आलम है कि तमाम शहरों में गणेश चतुर्थी के आगमन से काफी पहले सड़कों किनारे गणपति की मूर्तियों के बाजार सज जाते हैं, और गणेश चतुर्दशी के अवसर पर मुंबई की तरह ट्रैफिक जाम की नौबत आ जाती है.
फिल्मों में गणेश चतुर्थी
अपनी फिल्मों में झांके तो विघ्नहर्ता गणपति सिनेमा के पर्दे पर हमेशा से ही स्थान पाते रहे हैं. चूंकि कुछ अरसा पहले तक अपने यहां बनने वाली अधिकांश हिंदी फिल्मों में कहानी की पृष्ठभूमि मुंबई की ही होती थी इसलिए वहां मनाए जाने वाले जन्माष्टमी, डांडिया, गणपति जैसे त्योहारों का उनमें सहज ही चित्रण दिखाई देता था. गणेश जी वैसे भी सभी को प्रिय हैं, और खासतौर से बच्चे उनमें अपना मित्र देखते हैं, इसलिए हाल के बरसों में ‘बाल गणेश’, ‘माई फ्रेंड गणेशा’ जैसी एनिमेशन फिल्में खूब पसंद की गयीं. वैसे यह देख हैरानी हो सकती है कि हिंदी फिल्मों में गणपति से जुड़े अधिकांश दृश्य व गीत अपराधियों, गैंग्स्टरों आदि पर फिल्माए गए. रामगोपाल वर्मा की ‘सत्या’ (1998) के क्लाइमैक्स को याद कीजिए जब अपराधी नायक सत्या समुद्र तट पर गणपति विसर्जन की भीड़ में घुस खलनायक भाऊ को मारता है. इसे हिंदी फिल्मों में गणपति विसर्जन के सबसे अधिक यथार्थवादी दृश्यों में गिना जाता है. अमिताभ बच्चन की ‘अग्निपथ’ (1990), संजय दत्त की ‘वास्तव’ (1999), हृतिक रोशन वाली ‘अग्निपथ’ (2012) या फिर 2017 में अमिताभ बच्चन वाली ‘सरकार 3’ को याद कीजिये, सभी में गणपति के विसर्जन के भव्य दृश्यों के संग अपराधियों और पुलिस का चित्रण है.
गणेश जी की कथा दिखाती फिल्में
वैसे गणेश जी की कथा दिखाती फिल्में भी हमारे यहां हमेशा से बनती आयी हैं. मूक सिनेमा के दौर में गजानन वी. साने निर्देशित ‘गणेश अवतार’ (1922), 1930 में आयी ‘गणेश जन्म’ आदि का उल्लेख मिलता है. 1950 में होमी वाडिया की ‘श्री गणेश महिमा’, 1951 में जयंत देसाई की ‘श्री गणेश जन्म’ और 1955 में जसवंत जवेरी की ‘श्री गणेश विवाह’ को खासा पसंद किया गया था. 1962 की ‘श्री गणेश’, 1972 की ‘जय गणेश’ जैसी फिल्मों को भी देखा गया. गणेश जी की स्तुति या आरती वाले गीतों की तो हिंदी फिल्मों में भरमार रही है. विशेषकर 17वीं सदी के प्रख्यात संत स्वामी समर्थ रामदास द्वारा मराठी में रचित गणेश वंदना ‘सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची…’ को तो गैर मराठी भाषी लोग भी अब बड़े श्रद्धा भाव से गाते हैं. यह आरती असंख्य फिल्मों का हिस्सा बन चुकी है लेकिन फिल्म ‘वास्तव’ में आने के बाद से इसे हिंदी के समाज ने आगे बढ़ कर अपनाया.
गणेश जी से जुड़े गाने
गणेश जी से जुड़े अन्य सुपरहिट गीतों की बात करें तो 1981 की ‘हमसे बढ़ कर कौन’ का ‘देवा ओ देवा गणपति देवा तुमसे बढ़ कर कौन…’ की तूती आज भी बोलती है. वैसे इस अवसर पर 2009 में आयी सलमान खान की ‘वांटेड’ का ‘तेरा ही जलवा…’, 2006 में आयी शाहरुख खान के डॉन की ‘तुझको फिर से जलवा दिखाना ही होगा…’, 2012 में आयी हृतिक रोशन वाली ‘अग्निपथ’ का ‘देवा श्री गणेशा…’, 2013 में आयी फिल्म ‘एबीसीडी-एनी बडी कैन डांस’ के दो गीत- ‘शंभूसुताय लंबोदराय मोरिया…’ व ‘साड्डा दिल वी तू…’ के अलावा 2015 की ‘बाजीराव मस्तानी’ का ‘गजानना गजानना गजराया…’ को आज की पीढ़ी बड़े ही चाव से सुनती, गाती और इन पर नाचती भी है.