भईयवा कहकर सुशांत और मैं एक दूसरे को बुलाते थे- क्रांति प्रकाश झा

Sushant Singh Rajput- फ़िल्म एम एस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी में सुशांत सिंह राजपूत के साथ अभिनेता क्रांति प्रकाश झा ने स्क्रीन शेयर की थी. वह सुशांत को आध्यात्मिक इंसान करार देते हैं. जिसे वेद से लेकर नासा सभी कुछ लुभाता था. वे बताते हैं कि ऐसा लगता है जैसे कल ही की बात है. जब हम साथ में शूटिंग करते थे. छोटा बड़ा उन्हें समझ नहीं आता था. सभी से बहुत ही मिलनसार वाला व्यक्तित्व निभाते थे. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश

By कोरी | June 15, 2020 10:20 AM
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फ़िल्म एम एस धोनी द अनटोल्ड स्टोरी में सुशांत सिंह राजपूत के साथ अभिनेता क्रांति प्रकाश झा ने स्क्रीन शेयर की थी. वह सुशांत को आध्यात्मिक इंसान करार देते हैं. जिसे वेद से लेकर नासा सभी कुछ लुभाता था. वे बताते हैं कि ऐसा लगता है जैसे कल ही की बात है. जब हम साथ में शूटिंग करते थे. छोटा बड़ा उन्हें समझ नहीं आता था. सभी से बहुत ही मिलनसार वाला व्यक्तित्व निभाते थे. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश

दोस्त खो दिया

मेरे लिए ये खबर बहुत ही शॉकिंग है क्योंकि जहां तक मैं जानता हूं वो ज़िंदगी को प्यार करने वाला इंसान था. बहुत आध्यामिक सोच रखने वाले इंसान थे. उन्होंने ऐसा क्यों किया ये कहना कठिन है लेकिन ये बहुत बड़ी क्षति है. मैं बहुत जिगरी उनका दोस्त नहीं था लेकिन हमारा रिश्ता ऐसा था कि मुझे पता था कि अगर कभी मुझे उनकी जरूरत होगी. वो होगा मेरे पास. ऐसी दोस्ती थी. वैसा दोस्त आज मैंने खो दिया है.

सुशांत ने मेरी भी मदद की

काम को लेकर बहुत जुनूनी थे. हर सीन को बहुत अच्छे से करना चाहते थे. वह अपनी नहीं अपने साथ के एक्टर्स की भी मदद करते थे. मुझे फ़िल्म एम एस धोनी की शूटिंग के वक़्त एक कोच भी दिया गया था. जो मुझे हेलीकॉप्टर शॉट सीखाता था लेकिन इसके लिए सुशांत ने भी मेरी बहुत मदद की ताकि मैं परफेक्ट शॉट लगा सकूं. वह अपनी प्रैक्टिस करने के साथ साथ मेरी प्रैक्टिस में भी शरीक होते थे.

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बिहार कनेक्शन

हम दोनों ही बिहार से हैं तो हमेशा हमारे बीच वो बिहारी कनेक्शन रहता ही था. हम एक दूसरे को भइयवा कहकर बुलाते थे. मिलने पर हम नाम नहीं लेते थे बल्कि बोलते थे का भईयवा कैसे हो. सब बढ़िया ना. शूटिंग सेट पर हम दोनों डाइट वाले फ़ूड नहीं मंगवाते थे बल्कि जमकर सिंघाड़ा और पूड़ी सब्जी का लुत्फ उठाते थे. मैं तो उनके घर भी जाता था तो वो मुझे सिंघाड़ा मंगवाकर ही खिलाते थे.

ये धारणा गलत है

सुशांत की आत्महत्या की खबर सुनकर अगर लोग ये बोल रहे हैं कि छोटे शहर के लोग बड़े शहरों में आकर चीजों को संभाल नहीं पाते हैं. जो आत्मीयता उन्हें अपने शहर में मिलती है वो यहां ना मिलने से अलग थलग से पड़ जाते हैं. ये सोच गलत है. ऐसी धारणा बननी नहीं चाहिए. ये ज़रूरी नहीं है. आज भी कई ऐसे स्टार हैं. जो छोटे शहरों से हैं. सर्वाइव कर रहे हैं. खुद को संभाल कर रखा है.

हर आदमी की स्थिति अलग होती है. हर किसी को एक ही तराजू पर नहीं तोल सकते हैं. हर इंसान अपने हिसाब से काम करता है. चॉइस उसके पास होती है कि जिंदगी ले या ना ले. मैं बस यही कहूंगा कि भगवान उनके परिवार को ढेर सारा साहस दे. मेरी संवेदनाएं उनके साथ है.

Posted By: Divya Keshri

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