अभिनेत्री राम्या कृष्णन (Ramya Krishnan) का कहना है कि बॉलीवुड के लिए तेलुगु सिनेमा छोड़ने की उनमें हिम्मत नहीं थी. उन्होंने कहा कि बॉलीवुड की फिल्मों में उनके छोटे से कार्यकाल ने उन्हें एक कलाकार के रूप में उनकी पसंद का मूल्यांकन करने और उन्हें तेलुगु सिनेमा से अपना ध्यान हटाने के लिए प्रेरित किया.
राम्या कृष्णन ने 1983 में तमिल फिल्म “वेल्लई मनसु” से अभिनय की शुरुआत की थी और चार दशक के अपने करियर में उन्होंने तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और हिंदी भाषाओं की फिल्मों में अभिनय किया. हिंदी सिनेमा में, कृष्णन ने “दयावन”, “परंपरा”, “खलनायक”, “चाहत”, “बनारसी बाबू” और “बड़े मियां छोटे मियां” जैसी फिल्मों में अभिनय किया. कृष्णन ने एक साक्षात्कार में “पीटीआई-भाषा” को बताया, “किसी भी फिल्म ने (यहां) अच्छा प्रदर्शन नहीं किया और मैं पहले से ही तेलुगु फिल्म उद्योग में एक प्रमुख अभिनेत्री थी. इसलिए मुझमें उस उद्योग को छोड़कर (हिंदी सिनेमा में) अपनी लड़ाई लड़ने की हिम्मत नहीं थी.”
राम्या ने कहा, “एक खास फिल्म उद्योग में अधिक संख्या में फिल्में करने के लिए, आपको एक सफल फिल्म की आवश्यकता है. दुर्भाग्य से हिंदी में ऐसा नहीं हुआ और मैं तेलुगु फिल्में करने में सहज महसूस करती हूं.” कृष्णन की दक्षिण की कुछ प्रसिद्ध फिल्मों में “अल्लारी प्रियुडु” (तेलुगु), “पद्यप्पा” (तमिल), “स्वीटी नन्ना जोड़ी” (कन्नड़), “बाहुबली” और “बाहुबली-दो” (तेलुगु) और “सुपर डीलक्स” (तमिल) शामिल हैं.
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राम्या कृष्णन ने कहा कि वह उन्हें अलग-अलग फिल्मों में काम देने के लिए दक्षिण के फिल्म निर्माताओं की आभारी हैं. उन्होंने कहा, “मुझे खुशी है कि मुझे कमल हासन की फिल्म ‘पंचतंत्रम’ जैसी फिल्मों में काम करने का मौका मिला. अपनी नवीनतम फिल्म “लाइगर” में वह अभिनेता विजय देवरकोंडा की मां बालामणि की भूमिका में हैं.