24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Exclusive: राजकुमार संतोषी की फिल्म से नमोशी चक्रवर्ती ने किया डेब्यू, कहा- संघर्ष, किस्मत और दुआओं से आज…

राजकुमार संतोषी के निर्देशन में बनी ‘बैड बॉय’ रोमांटिक, इमोशनल और कॉमेडी फिल्म है. फिल्म की कहानी दो युवाओं के इर्द-गिर्द घूमती है, जो एक साथ रहने के अपने रास्ते में आने वाली परेशानियों से लड़ने के लिए तैयार रहते हैं. इस फिल्म में नमोशी चक्रवर्ती और अमरीन कुरैशी हैं.

पिछले दिनों रिलीज हुई फिल्म ‘बैड बॉय’ से बीते दौर के सुपरस्टार मिथुन चक्रवर्ती के बेटे नमोशी चक्रवर्ती ने हिंदी सिनेमा में बतौर अभिनेता कदम रख दिया है. उनके साथ एक्ट्रेस अमरीन कुरैशी ने भी डेब्यू किया है. नमोशी बताते हैं कि उन्होंने कभी भी काम पाने के लिए अपने पिता के नाम का सहारा नहीं लिया और ना ही उनके पिता ने कभी किसी से उनकी सिफारिश की. नमोशी की मानें, तो पिता मिथुन चक्रवर्ती हमेशा अपने बच्चों को यही कहते आये हैं कि अपनी मेहनत से अपने सपने खुद पूरे करो. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.

पिता मिथुन चक्रवर्ती एक सफल अभिनेता रहे. क्या इसलिए आप एक्टर बनना चाहते थे?

मेरा बचपन से ही अभिनेता बनने का सपना रहा है. मेरा पूरा बचपन डैडी, गोविंदा और शाहरुख खान की फिल्में देखते हुए गुजरा है. ये तीनों मेरे ऑल टाइम फेवरेट एक्टर रह चुके हैं. मुझे हमेशा से ही फिल्में, एक्टर्स और इनका इमोशन आकर्षित करते रहे हैं. आज संघर्ष, किस्मत और दुआओं से मैं एक्टर बन गया. वाकई मैं बहुत लकी हूं, जो मिथुन चक्रवर्ती मेरे पिता हैं. वह घर में मुझसे बहुत प्यार करते हैं और जब भी हम बाहर शूटिंग करने जाते हैं तो हमें उनके हाथ के बने खाने का इंतजार रहता है. वह बेहद बेहतरीन कुक हैं. वह हमेशा मेरे काम के दौरान मेरी हिम्मत बनते हैं.

अभिनय के इस सफर को कैसे परिभाषित करेंगे?

अपने पिता के नाम का सहारा लेता, तो कबका लॉन्च हो चुका होता, इसलिए थोड़ा संघर्ष करना पड़ा. पढ़ाई पूरी करने के बाद मैं आइएमडीबी में बतौर लेखक जुड़ा. उसके बाद मैंने कई एक्टिंग वर्कशॉप भी किये. असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर कुछ फिल्मों में काम किया. एक शॉर्ट फिल्म की. ढाई साल से एक नाटक ग्रुप का हिस्सा भी हूं, जहां बिना किसी स्क्रिप्ट के हम परफॉर्म करते हैं. आराम नगर का एक भी ऐसा स्टूडियो नहीं होगा, जिसके कास्टिंग डायरेक्टर से मिलकर मैंने ऑडिशन ना दिया हो, लेकिन बात कहीं नहीं बनी. पांच वर्षों तक इंतजार करना पड़ा. ‘बैड बॉय’ मिलने के बाद कोविड की वजह से यह इंतजार और बढ़ गया.

अनुभव सिन्हा की फिल्म ‘आर्टिकल 15’ का भी आप हिस्सा थे?

मैं इस फिल्म का हिस्सा नहीं था. हां, उस वक्त मैं अनुभव सिन्हा सर से मिलने जरूर गया था, लेकिन फिल्म में मैंने काम नहीं किया. ना ही मेरा स्क्रीन टेस्ट हुआ था और ना ही ऑडिशन. पता नहीं ये खबर कैसे आ गयी.

अपने संघर्ष को कैसे देखते हैं?

अपने पिता के संघर्ष की कहानियां सुनकर मैं बड़ा हुआ हूं. उन्होंने मुंबई में शुरुआती दिन फुटपाथ में सोकर निकाले हैं. भरपेट खाने को भी नहीं मिलता था, पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. वह हमेशा खुद को बेस्ट बनाते रहते थे. वे माटुंगा के एक जिम में सफाई का काम भी कर चुके हैं, ताकि उनको वहां पर एक्सरसाइज करने के लिए पैसे न देने पड़े. उनकी कई कहानियां हैं, जिनको सुनकर लगेगा कि आपकी तो कोई परेशानी ही नहीं हुई है. पापा ने हमेशा कहा कि बेटा, अपने हिस्से की लड़ाई तुम्हें भी खुद लड़नी होगी. मैं पिता के तौर पर हमेशा तुम्हें सपोर्ट करूंगा, पर अपने काम का संघर्ष तो तुम्हें खुद ही करना पड़ेगा, क्योंकि दुनिया तुम्हें खुद ही देखनी है और दुनिया के तौर-तरीके खुद ही सीखने हैं.

‘बैड बॉय’ का हिस्सा कैसे बने?

निर्माता-निर्देशकों के ऑफिस के चक्कर लगाता रहता था. इसी बीच निर्माता साजिद कुरैशी के अंधेरी ऑफिस ‘इन बॉक्स’ में जाकर मैं उनसे मिला. उन्होंने पूछा कि क्या करते हो? मैंने कहा कि एक्टर हूं, काम दीजिए मुझे. फिर उन्होंने पूछा कि क्या करना है एक्टिंग में? मैंने बोला, कॉमेडी करना है. जवाब में कहा कि हर कोई एक्शन हीरो बनना चाहता है या ड्रामा करना चाहता है. तुम्हें कॉमेडी क्यों करनी है. मैंने कहा, मैं स्टेज पर अपने ग्रुप के साथ कॉमेडी करता था. मुंबई में अनस्क्रिप्टेड शोज करता था, जिस पर अच्छा रिस्पांस मिला. एक हफ्ते बाद उनका कॉल आता है कि मुझे राजकुमार संतोषी जी से मुझे मिलने जाना है, जिन्होंने ‘अंदाज अपना अपना’ और ‘अजब प्रेम की गजब प्रेम कहानी’ जैसी क्लासिक कॉमेडी फिल्मों को बनाया है. मैंने रात भर दुआ की कि मुझे फिल्म मिल जाये. अगले दिन हमारी जब मुलाकात हुई, तो संतोषी सर ने पांच मिनट में कह दिया कि साजिद भाई ये लड़का मुझे चाहिए. मैंने साजिद कुरैशी जी से पूछा कि संतोषी सर को मुझमें अच्छा क्या लगा. उन्होंने बताया कि तुम्हारा पोर्टफोलियो देखकर कहा कि लड़का गुड लुकिंग है. मुझे युवा मिथुन की यह याद दिला रहा है. बाद में उन्हें मालूम हुआ, तो उन्होंने कहा कि अच्छा मिथुन दा के चार बच्चे हैं और तू तीसरे नंबर पर है. ये तो मुझे मालूम भी नहीं था. मिथुन दा तो छुपे रुस्तम निकले! उस दिन से बैड बॉय फिल्म की जर्नी शुरू हुई. फिल्म को साइन करने के बाद मैंने मॉम डैड को बताया कि मैं फिल्म कर रहा हूं. डैड ने कहा कि हम कहते थे कि एक दिन तुम्हारा वक्त आयेगा, देखो आ गया.

शूटिंग का पहला दिन कैसा था?

बैंगलोर में शूटिंग का पहला दिन था. राज जी कमांड में थे. फिर दूर से टोपी लगाये कोई दिखा. तब मालूम पड़ा कि डैड आये हैं सरप्राइज देने. उनकी मौजूदगी ने मेरे काम को आसान कर दिया, क्योंकि उनका इतना ज्यादा उनका अनुभव है कि उनको देखकर और राजकुमार संतोषी सर के गाइडेंस में सबकुछ ठीक से हो गया.

बैड बॉय’ की स्टोरी लाइन

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें