ओएमजी 2 सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है. अक्षय स्टारर इस फ़िल्म का अहम चेहरा अभिनेता पंकज त्रिपाठी हैं. वह इस फ़िल्म को जीवन के प्रति उनका नज़रिया बदलने वाली फ़िल्म करार देते हैं. उनकी इस फ़िल्म और कैरियर पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
पौराणिक और धार्मिक फिल्में लगातार विवादों को जन्म दे रही हैं ?
हो सकता है कि लोग विवादास्पद फिल्में बना रहे हों. अपनी फ़िल्म ओएमजी 2 पर यही कहूंगा कि पहले आप हमारी फिल्म देखिए और फिर उसे विवाद में घसीटिए. फ़िल्म को अभी तक किसी ने नहीं देखा है और वे विवाद खड़ा कर रहे हैं.’ आप केवल तभी टिप्पणी कर सकते हैं यदि आपने इसे देखा हो. आपको एक गिलास के पानी को चखकर देखना होगा कि वह मीठा है या नमकीन. ऐसा करने से पहले आप कैसे टिप्पणी कर सकते हैं. जो खबर फैलाई गई है उसमें कोई सच्चाई नहीं है. जब आप फिल्म देखेंगे तो आपको सच्चाई पता चल जाएगी.
खबरें हैं कि सेंसर नें फिल्म में 40 कट्स भी किए हैं और कुछ बदलाव भी हुए हैं, आपको ये बदलाव कितना पसंद आए हैं ?
फ़िल्म की ए रेटिंग से खुश नहीं हूं. इससे 12 से 18 साल के बच्चे यह फिल्म नहीं देख पाएंगे. ये जरूरी था कि वो फिल्म देखें क्योंकि फ़िल्म में सेक्स एजुकेशन के मुद्दे को भी छूती है. मैंने सुना है कि यूएई ने फ़िल्म को 12 प्लस रेटिंग दी है. वहीं हमें भारत ए रेटिंग मिली है.
क्या हम समाज के रूप में अति संवेदनशील हो गए हैं?
समाज के रूप में हम हमेशा संवेदनशील रहे हैं और हमारे पास स्वयं सेंसरशिप भी है. सेंसर बोर्ड बेहतर जानता है कि कौन सी फ़िल्म किस तरह से आम दर्शकों तक पहुंचनी चाहिए,क्योंकि कुछ फिल्में विवादास्पद रही हैं और लोग नाराज हुए हैं. हालांकि हमारी फिल्म विवादास्पद नहीं है. इसके साथ ही ये भी कहूंगा कि हमारा धर्म हमें सब कुछ स्वीकार करता है और करना सिखाता है.
क्या आपकी बेटी ने फिल्म देखी है?
नहीं, वह 17 वर्ष की है, वह इसे अगले वर्ष देखेगी. उन्होंने स्क्रिप्ट पढ़ ली है.
आप एक अलग अभिनेता हैं और कहा जा रहा है कि यह फिल्म आपके करियर में एक नया मील का पत्थर स्थापित करेगी?
(हंसते हुए ) जब मैं यहां आया तो मैं एक मील के पत्थर पर खड़ा था, मुझे आगे ले जाने के लिए कोई बस नहीं थी, फिर बस आई और मुझे आगे ले गई. वैसे मैंने बहुत ईमानदारी से काम किया है, यह फिल्म बहुत अलग है और इसके लिए मैं अक्षय कुमार को धन्यवाद देना चाहता हूं.’ उन्होंने मुझे ये कहानी कोविड के दौरान सुनाई थी. अक्षय कुमार, लेखक चंद्रप्रकाश द्विवेदी, और लेखक निर्देशक अमित राय जूम कॉल पर थे और अक्षय ने मुझे कहानी सुनायी. मुझे थोड़ा अजीब लगा तो उन्होने बताया कि कोविड होने के बाद वह इसी स्क्रिप्ट के साथ क्वारंटीन हुए थे, इसलिए उन्हें पूरी स्क्रिप्ट याद है. मैं यह भी बताना चाहूंगा कि निर्देशक अमित राय को भरोसा नहीं था कि मैं यह भूमिका निभा सकता हूं क्योंकि उन्होंने मिर्ज़ापुर में कालीन भैया के रूप में मेरी भूमिका देखी थी, लेकिन अक्षय सर को भरोसा था कि मैं यह किरदार कर सकता हूं. शूटिंग के तीसरे दिन निर्देशक अमित राय को एहसास हुआ कि मैं इस रोल के लिए परफेक्ट हूं और उन्होंने मुझसे ये बात शेयर भी की.
आप ईश्वर में कितना विश्वास करते हैं?
मेरा मानना है कि ईश्वर सर्वोच्च शक्ति है. मैंने दर्शनशास्त्र का बहुत अध्ययन किया है और मेरा मानना है कि विज्ञान और आध्यात्मिकता साथ-साथ चलते हैं. विज्ञान जब अपनी पराकाष्ठा पर जाता है तो कहता है कि परमाणु के दो टुकड़े नहीं किये जा सकते. हम इससे आगे कुछ नहीं जानते क्योंकि यह एक रहस्य है. जहां विज्ञान समाप्त होता है, वहां आध्यात्मिकता शुरू होती है. इसलिए हम दोनों को नकार नहीं सकते. वे कहते हैं कि ईश्वर का अस्तित्व है और कुछ कहते हैं कि नहीं है, लेकिन मैं नहीं जानता. मैं उसके आधार पर कोई राय कैसे बना सकता हूं. मुझमें आस्था और विश्वास है. यदि आस्था और विश्वास है तो आप नास्तिक नहीं हैं.
आप एक सशक्त अभिनेता हैं हमेशा लाइमलाइट ले जाते हैं, अक्षय के साथ काम करना कैसा रहा?
मैं कोई दबंग अभिनेता नहीं हूं. मेरा मानना है कि अभिनय एक ऐसा खेल है जहां दो पहलवान एक-दूसरे को हराने के लिए नहीं बल्कि मिलकर माहौल को बेहतर बनाने के लिए खेलते हैं. अभिनय में आप किसी को जीत या हरा नहीं सकते हैं. आप दृश्य को बेहतर बना सकते हैं और बेहतर फिल्म पेश कर सकते हैं. मैं अपने सह-अभिनेताओं के साथ अपने दृश्यों को बेहतर बनाने की कोशिश करता हूं. आप ट्रायल में जीत या हार सकते हैं लेकिन किसी दृश्य में नहीं.
क्या आप मानते हैं कि स्कूलों और कॉलेजों में सेक्स एजुकेशन अनिवार्य कर दिया जाना चाहिए?
हां, मुझे लगता है कि यौन शिक्षा किसी विशेषज्ञ द्वारा सिखायी जानी चाहिए. लेकिन सिर्फ मेरी राय से चीजें बदलने वाली नहीं है. यह फिल्म सेक्स एजुकेशन के बारे में नहीं है, यह एक खूबसूरत कहानी है. अंत में यह एक संदेश देता है, जो सभी के लिए बेहद खास है. यदि कहानी आपको आश्वस्त करती है तो इसका मतलब है कि आप इसे स्वीकार करते हैं. इस फिल्म ने जिंदगी के प्रति मेरा नजरिया बदल दिया है.’ किस तरह से मैं अभी नहीं बता सकता लेकिन फिल्म रिलीज होने के बाद मैं बताऊंगा कि यह क्या है. इस फिल्म और मैं अटल हूं, जिसकी मैंने शूटिंग पूरी कर ली है, ने जीवन के प्रति मेरा नजरिया बदल दिया है.
आपकी बेटी आपके काम में कितनी रुचि लेती है और आप पर कितना गर्व करती है ?
इस साल वह 11वीं कर रही है और आईबी बोर्ड में है. वह एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ रही है.उसकी अंतिम परीक्षा के दौरान मेरे एक साक्षात्कार पर आधारित प्रश्न थे. उन्होंने मेरे साक्षात्कार के आधार पर 5 से 6 प्रश्न दिए थे. मैं कहीं शूटिंग में व्यस्त था और दुबई से मेरे एक दोस्त ने मुझे फोन किया और कहा कि उनकी बेटी के पेपर में ये सवाल थे. उन्होंने मुझे इसकी एक प्रति भेजी. मैंने अपनी पत्नी से इसके बारे में पूछा.उसने कहा हां बेटी ने भी यह बताया. मेरी बेटी के सीनियर्स ने आकर उसे बताया कि उसके पिता पर आधारित प्रश्न है. जब मैंने अपनी बेटी से बात की तो उन्होंने कहा, ”पापा आप कुछ अच्छा काम कर रहे हैं, मुझे गर्व महसूस हुआ. मैंने बातचीत में बेटी के सामने विनम्रता दिखायी, लेकिन उसकी बात सुनकर बहुत अच्छा लगा था.
एक्टर होने के नाते आपका सबसे बड़ा धर्म क्या है?
मुझे सौंपे गए मेरे अभिनय कार्य को पूरा करना और मेरे द्वारा निभाए गए किरदारों के साथ पूरा न्याय करना. मैं जिम्मेदारी के साथ व्यवहार करता हूं क्योंकि हमारे देश में अभिनेता लोकप्रिय हैं. युवा उनका अनुसरण करते हैं. उन्हें सोशल मीडिया पर फॉलो किया जाता है. इसलिए मैं अपने निजी जीवन में जिम्मेदारी से व्यवहार करता हूं और समर्पण के साथ काम करता हूं ताकि आने वाली पीढ़ी को अपने जीवन में एक बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा मिले.
आपके द्वारा निभाए गए किरदार बहुत सहज होते हैं, आप किससे प्रेरित रहे हैं?
मैं इरफान खान का बहुत बड़ा प्रशंसक हूं और हमेशा उनसे प्रेरित रहा हूं. हालांकि मैं एनएसडी से प्रशिक्षित अभिनेता हूं, लेकिन मैं बहुत कम फिल्में देखता हूं. मैंने ओह माई गॉड 1 नहीं देखी क्योंकि मुझे लगा कि इसकी ज़रूरत नहीं है. यह बिल्कुल नई कहानी है और इसका इस फिल्म से कोई संदर्भ नहीं है. जब मैं क्रिमिनल जस्टिस कर रहा था, जो ब्रिटिश सीरीज़ का रीमेक था, तो निर्देशक ने मुझसे ब्रिटिश सीरीज देखने के लिए कहा लेकिन मैंने मना कर दिया. मैंने उन्हें बताया कि यह भारतीय संस्करण है. मैं किसी से प्रेरित नहीं होना चाहता हूं. मैं इसे अपने तरीके से करना चाहता हूं. अपने एनएसडी दिनों के दौरान, मैं पूरा दिन पढ़ता था और शाम को नए कार्यक्रम देखने में समय बिताता था. मैंने अपने पूरे जीवन में मुश्किल से 50 फिल्में देखी हैं, जिसमें से 30 इरफ़ान साहब की फ़िल्में होंगी.
क्या वर्ल्ड सिनेमा आपको आकर्षित नहीं करता है?
एक बार फ्लाइट यात्रा के दौरान मेरे एक दोस्त ने मुझे मेरिल स्ट्रीप की फिल्म दिखायी और मैंने महसूस किया कि वह सबसे बेदाग कलाकारों में से एक है. मुझे दुख हुआ कि मैंने इससे पहले इनके काम को नहीं देखा. मुझे फ़िल्में देखनी चाहिए,लेकिन मेरा काम मुझे इससे दूर रखता है और मेरी इसमें कोई रुचि भी नहीं है.अगर मैं अन्य अभिनेताओं को देखता हूं तो मुझे दुख होता है कि वे अपने काम में इतने अच्छे हैं. मैं क्यों नहीं इतना अच्छा हूं.
तो एक्टर के तौर पर आप किन चीज़ों से प्रेरणा लेते हैं?
किताबें मुझे प्रेरित करती हैं. अपने आस-पास के लोगों को देखकर प्रेरित होता हूं और मैं अपनी कल्पनाओं से भी प्रेरणा लेता हूं.
आनेवाले प्रोजेक्ट्स?
अटल बिहारी बाजपेयी की बायोपिक आएगी. मिर्जापुर सीजन 3 इस साल आने की उम्मीद है. मेरी कुछ डबिंग बाकी है.