Remembering SD Burman: राजा-महाराजा के परिवार से ताल्लुक रखते थे एसडी बर्मन, फिर भी क्यों सताता था एक जोड़ी चप्पल का डर

Remembering SD Burman: भारतीय सिनेमा के मशहूर संगीतकार एसडी बर्मन ने इंडस्ट्री में अपनी अमिट छाप छोड़ी है. उन्होंने अपने करियर में 100 से भी अधिक गानों को संगीत दिया है, जिसे आज भी दुनिया बड़े शौक से गुनगुनाती है.

By Sheetal Choubey | October 31, 2024 7:06 AM
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Remembering SD Burman: भारतीय सिनेमा संगीत जगत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले एसडी बर्मन की आज 49वीं जयंती है. सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर एसडी बर्मन का असली नाम सचिन देव बर्मन था. बहुमुखी प्रतिभाओं के धनी एसडी बर्मन की सबसे खास बात यह थी कि वह किसी भी परिस्थिति के मुताबिक म्यूजिक बना देते थे. उनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं कि वह राजा-महाराजा के घर से ताल्लुक रखते थे, लेकिन इसके बावजूद उन्हें लेकर इंडस्ट्री में एक बात काफी चर्चा में रहती थी कि एसडी बर्मन काफी कंजूस हैं. आइए बताते हैं कि उन्हें ऐसा क्यों कहा जाता था.

शाही परिवार से थे एसडी बर्मन

म्यूजिक डायरेक्टर सचिव देव बर्मन का जन्म 1 अक्टूबर 1906 में त्रिपुरा के शाही परिवार में हुआ था. उनके पिता एमआरएन देव एक जाने-माने सितारवादक और ध्रुपद थे. बता दें कि एसडी बर्मन के पिता त्रिपुरा के महाराज के बेटे थे. वहीं, उनकी मां निर्मला देवी मणिपुर की राजकुमारी थीं. लेकिन इसके बावजूद एडी बर्मन बहुत ही सरल जीवन जीते थे. संगीतकार ने अपनी पढ़ाई कलकत्ता विश्वविद्यालय से पूरी करने के बाद साल 1932 में कोलकाता के रेडियो स्टेशन में गायक के रूप में जुड़े थे.

एसडी बर्मन का शुरुआती करियर

एसडी बर्मन ने बतौर सितार वादन संगीत की दुनिया में कदम रखा था. इसके बाद शुरुआती दिनों में उन्होंने कई बांग्ला और हिंदी फिल्मों के लिए गाने भी गाए. लेकिन फिर साल 1944 में वह मुंबई आ गए थे. यहां आने के दो साल बाद 1946 में एसडी बर्मन को फिल्म शिकारी और आठ दिन में संगीत देने का मौका ऑफर मिला. इसके बाद संगीतकार ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.

एडी बर्मन को सताता था ये डर

एसडी बर्मन ने अपनी मेहनत और काबिलियत से सफलता की बुलंदियों को हासिल किया. लेकिन उनके बार में एक बात मशहूर थी कि संगीतकार एसडी बर्मन बहुत कंजूस थे. इससे जुड़ा उन दिनों एक किस्सा काफी चर्चे में रहता था कि संगीतकार जब भी मंदिर जाते थे तब उन्हें हर वक्त अपनी एक जोड़ी चप्पल खोने का डर सताता था. इसके लिए उन्होंने एक उपाय निकला था. वह जब भी मंदिर जाते थे तब अपनी दोनों चप्पलों को एक साथ नहीं उतारते थे. जब उनसे इसके बारे में सवाल किया गया तब उन्होंने बताया कि आजकल शहर में चप्पल चोरी की वारदात बढ़ गई है. इसपर उनके दोस्त ने पूछा कि अगर चोर ने दोनों चप्पल खोज ले तो? तब एसडी बर्मन ने कहा कि, अगर चोर इतनी चप्पलों में से दोनों चप्पल खोज निकालता है, तो सच में वह इसका हकदार है.

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