Sholay: अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र की फिल्म ‘शोले’ 15 अगस्त 1975 को सिनेमाघरों में रिलीज की गई थी. फिल्म को रिलीज हुए 49 साल से अधिक हो चुके हैं, लेकिन इसकी लोकप्रियता आज भी लोगों के बीच कम नहीं हुई है. रमेश सिप्पी निर्देशित इस फिल्म ने रिलीज के समय कुछ सफलता नहीं बटोरीं, लेकिन कुछ महीनों बाद ही इसका क्रेज दर्शकों के सिर चढ़कर बोलने लगा. शोले से जुड़ी ऐसी कई कहानी है, जिसके बारे में फैंस जानते होंगे. आपने ये नही सुना होगा कि गब्बर के किरदार के लिए अमजद खान नहीं बल्कि डैनी डेन्जोंगपा को चुना गया था. हालांकि डैनी ने इस किरदार को करने से मना कर दिया था.
गब्बर के रोल के लिए डैनी डेन्जोंगपा को किया गया था फाइनल
‘शोले’ का हर किरदार आईकॉनिक है और हर किरदार को बुनने से पहले काफी रिसर्च और सोच-विचार किया गया था. जितना दर्शक जय-वीरू की दोस्ती को याद करते हैं, उतनी ही गब्बर को याद कर डर जाते हैं. गब्बर के रोल के लिए डैनी डेन्जोंगपा को फाइनल कर लिया गया था. हालांकि डैनी ने उस समय फिरोज खान की फिल्म धर्मात्मा भी साइन की थी. शोले और धर्मात्मा की शूटिंग अक्टूबर में शुरू होने वाली थी. डैनी दोनों फिल्में करना चाहते थे. दोनों बड़े बैनर की फिल्म थी और डैनी का किरदार भी जबरदस्त था. उस समय डैनी ने अपने असिस्टेंट मदन अरोड़ा को इसका सॉल्यूशन खोजने के लिए कहा.
डैनी डेन्जोंगपा के हाथ से ऐसे निकली शोले
डैनी डेन्जोंगपा के असिस्टेंट मदन अरोड़ा ने शोले और धर्मात्मा के मेकर्स से डेट को शिफ्ट करने के लिए कहा. फिरोज खान ने बहुत मुश्किल से अफगानिस्तान में शूटिंग के लिए वहां के सरकार से परमिशन ली थी. इस वजह से शेड्यूल शिफ्ट नहीं हो सकती थी. वहीं, रमेश सिप्पी को अमिताभ बच्चन, संजीव कुमार, हेमा मालिनी, जया बच्चन से साथ में डेट्स मिल गई थी. शेड्यूल शिफ्ट करने का मतलब होता उन सारे स्टार्स की डेट्स फिर से एक साथ अरेंज करना, जो काफी मुश्किल होता. जिसके बाद रमेश, फिरोज और मदन ने इसे लेकर खूब माथा-पच्ची की, लेकिन कुछ हाथ नहीं आया. डैनी और फिरोज दोस्त थे और डैनी उसे निराश नहीं कर सकते थे. इस वजह से डैनी ने गब्बर के रोल के लिए ना कहा.