एक राइजिंग स्टार का यूं जाना स्तब्ध करता है

sushant singh rajput - सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की आत्महत्या की खबर स्तब्ध कर देने वाली है. एक सफल व्यक्ति का इस तरह जाना समाज के लिये अच्छी बात नहीं है. वह एक कलाकार नहीं बल्कि पढ़ाई में भी काफी प्रतिभाशाली थे. दिल्ली कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में दाख़िला मिलना कठिन होता है, लेकिन सुशांत को दाख़िला मिला और तीन साल तक मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर्स में पढ़ाई की. यह कहना है दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ़ कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनिल सिंह परिहार.

By दिल्ली ब्यूरो | June 15, 2020 7:27 AM

सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की आत्महत्या की खबर स्तब्ध कर देने वाली है. एक सफल व्यक्ति का इस तरह जाना समाज के लिये अच्छी बात नहीं है. वह एक कलाकार नहीं बल्कि पढ़ाई में भी काफी प्रतिभाशाली थे. दिल्ली कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में दाख़िला मिलना कठिन होता है, लेकिन सुशांत को दाख़िला मिला और तीन साल तक मैकेनिकल इंजीनियरिंग कोर्स में पढ़ाई की. यह कहना है दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ़ कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अनिल सिंह परिहार.

बेहद शालीन स्वभाव के सुशांत पढ़ाई में काफी अच्छे थे. लेकिन उसकी रुचि कला के क्षेत्र में भी थी. इस लगाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि स्टैनफ़ोर्ड विश्वविद्यालय से स्कॉलरशिप मिलने के बावजूद बीटेक की डिग्री लेने के बजाय फिल्मों का रूख कर लिया. लगन के पक्के सुशांत ने कला क्षेत्र में भी अपना सिक्का जमा दिया. लेकिन संस्थान छोड़ने के बावजूद यहां से लगाव बना रहा.

सुशांत ने हमारे संस्थान का नाम दूसरे क्षेत्र में भी रोशन किया. यह संस्थान के लिए गर्व की बात थी. फिल्मी क्षेत्र में मुक़ाम हासिल करने के बावजूद कई बार बिना सूचित किये वह संस्थान आये. संस्थान में मैगी पॉइंट एक जगह है जहां पर संस्थान के छात्र जुटते है. सुशांत कई बार यहां आये और छात्रों से अपनी बातें कर चले जाते थे. कला क्षेत्र में मुकाम हासिल करने बाद भी वह जब भी यहां आये उनका व्यवहार हमेशा शालीन और मानवीय रहा. उनके अंदर सफलता का लेश मात्र भी अहंकार नहीं था.

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वह ऐसे कलाकार थे जो अपने संस्थान में एक विद्यार्थी के रूप में आते थे और थोड़ा समय गुजार कर चुपचाप चले जाते थे. कहीं न कहीं उनके मन में बीच में पढ़ाई छोड़ने की एक कसक भी थी. साथ ही पुराने दिनों की याद जो उन्हें यहां खींच कर लाता था.

ऐसे में सुशांत का असमय जाना संस्थान के लिए भारी क्षति है. सुशांत सिंह की आत्महत्या हैरान और परेशान करने वाली बात है. लोगों को अपने जीवन का महत्व समझना चाहिये. मानव जीवन सिर्फ अपने लिए नहीं होता है. इससे परिवार और समाज भी जुड़ा होता है. अगर कोई इंसान जीवन में कोई मुक़ाम हासिल करता है तो इसके पीछे कई लोग होते है. यही नहीं हमें इस बात का भी ध्यान रखना चाहिये कि जीवन में आप किसी क्षेत्र में सफल और किसी में असफल हो सकते है. जीवन में कई तरह की परेशानी भी आ सकती है.

Posted By: Divya Keshri

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