तनु वेड्स मनु रिटर्न्स के बन्नो तेरा स्वैगर गीत से म्यूजिक इंडस्ट्री का एक परिचित चेहरा बन चुकी मुजफ्फरपुर की स्वाति शर्मा इनदिनों इंडस्ट्री में अपनी पहचान को और खास बनाने में जुटी हैं. वह हिंदी फिल्मों के साथ- साथ साउथ फिल्मों के भी गीत संगीत का हिस्सा लगातार बन रही हैं. उनकी अब तक की जर्नी, रिजेक्शन, मौजूदा संघर्ष पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत.
महेश बाबू की फिल्म गुंटूर करम में गाने का मौका कैसे मिला?
महेश बाबू की फिल्म गुंटूर करम के लिए नहीं बल्कि कंपोज़र लक्ष्मीकांत की किसी और गाने को हिंदी में डब करने के लिए मुझे बुलाया था. वहां पर इस फिल्म पर भी काम चल रहा था, तो उनलोगों ने बोला कि तुम्हारी वॉइस बहुत जमेगी क्योंकि मैं अपनी आवाज से बहुत एक्सपेरिमेंट करती हूं, तो उसमें एक फाइटिंग सीक्वेन्स है, तो उसमे बहुत रफ़ वॉइस में साउंड की जरूरत थी और वो मैंने गाया. एक रोमांटिक गाना भी गाया और एक गाना भी किया. तीनों गानों के साथ जिस गाने को डब करने गयी थी, वो चारों मैंने एक ही दिन में रिकॉर्ड कर लिया.
किसी गाने से जुड़ने और उसे परफॉरम करने का आपका क्या प्रोसेस होता है?
टचवुड मुझे उतना समय नहीं लगता है. वो पूरी तरह से गानों पर निर्भर करता है. म्यूजिक डायरेक्टर पर भी निर्भर करता है. कुछ -कुछ म्यूजिक डायरेक्टर कुछ – कुछ चीजों को लेकर बहुत पर्टिकुलर होते हैं. ये तो ऐसा चाहिए. ये तो वैसा ही चाहिए, तो पूरी तरह से वो उतारने में समय जाता है. वैसे मैं म्यूजिक डायरेक्टर्स की हर ब्रीफ को सुनती हूं. गाने के बोल को पढ़ लेती हूं. उसके बाद गाती हूं.
सबसे मुश्किल किस गाने की रिकॉर्डिंग रही है?
जुग जुग जियो जो फिल्म आयी थी उसमे मैंने तुम जो गए गाया था. तुम जो गए जो सांग था. उसमे बहुत बारिकी चाहिए थी. उसमे प्लेबैक के दौरान नहीं, गाने से पहले इसके जो म्यूजिक डायरेक्टर पॉज़ी धर हैं. उनके साथ फोन पर गाने को लेकर बहुत डिस्कशन हुआ था, उन्होंने एक – एक चीज एक्सप्लेन की थी. यह पहला मौका था, जब मैंने किसी गाने का नोट्स बनाया था कि इस वर्ड पर फोकस करना है. यहां पर सांस तोड़नी है. म्यूजिक डायरेक्टर पॉज़ी उस फिल्म से अपना डेब्यू कर रहे थे, तो वह बहुत ज्यादा पर्टिकुलर थे. मैं उनसे बहुत प्रभावित हुई थी कि वह इतना कुछ जानते हैं.
मौजूदा दौर के इंडिपेंडेंट म्यूजिक पर आपकी क्या राय है?
मैं यहां गाना गाने आयी हूं, तो जितने भी गाने गा सकूं. इंडिपेंडेंट म्यूजिक अच्छा मौका दे रहे हैं. अपने तरह के म्यूजिक आपको करने दे रहा है, लेकिन इस को लेकर दो चीजें होती हैं. एक तो कोई म्यूजिक लेबल आपको अप्रोच करें. बेरहम घड़ियां एक मेरा सिंगल आया है, उसमें बाहर के एक प्रोडयूसर ने मुझे अप्रोच किया और मैं गाकर गयी. उसमें मेरा कुछ और जुड़ाव नहीं है. सिर्फ गाना अच्छा गाना है बस, लेकिन जो मैंने खुद सिंगल बनाया था बेचारी. उसमें मुझे उसे खुद से सब तक पहुंचाना है. उसका पी आर अलग होता है. कैसे प्रमोशन होता है. बहुत सारी चीज़ें होती हैं. ऐसे में बहुत सारे फंड्स लगते हैं, तो दिक्कत तो होती है. मैंने शुरू किया है. भगवान का आशीर्वाद तो इसमें भी कामयाब रहूंगी.
अब तक की जर्नी को किस तरह से देखती हैं?
सबसे पहले मैं फिल्म तनु वेड्स मनु रिटर्न्स के गीत बन्नो के लिए शुक्रगुजार हूं. तनिष्क बागची ने जब मेरी आवाज पहली बार सुनी थी, तो कहा था कि मैं तुम्हारी आवाज बहुत जगह लेकर जाऊंगा. बस तुम मेहनत करते रहना. उन्हें जैसे ये मौका मिला. उन्होंने वादा निभाया और मुझसे बन्नो तेरा स्वैगर गवाया. मुझे उस गाने ने पहचान दीं है. जिंदगी में उतार – चढ़ाव तो आते रहते हैं लेकिन वो गाना मेरे लिए हमेशा बहुत स्पेशल रहेगा. मैंने धर्मा की फिल्म जुग जुग जियो के लिए भी गाना गाया है तो धीरे – धीरे ही सही मैं आगे बढ़ती जा रही हूं.
छोटे शहर से होने की वजह से संघर्ष क्या ज्यादा होता है?
छोटे शहर से आते हैं, तो अंडर कॉन्फिडेंट होते हैं. लोगों को कैसे अप्रोच करें. आपको पता नहीं होता है, तो उसमे हमारा थोड़ा ज्यादा समय चला जाता है. अपनी बात करुं तो फेसबुक पर जाकर मैं सबको अप्रोच करती थी.
मुंबई ने कितना आपको अपना लिया है और आपने मुंबई को?
मुंबई मेरे लिए शहर नहीं एक इंसान है. मैं मुंबई से बात करती हूं. बचपन से मेरा सपना था कि मुझे मुंबई में रहना है. शुरुआत में जब मैं मुंबई आती थी तो कुछ दिन काम करती फिर चली जाती थी क्योंकि मेरा यहां रहने का ठिकाना नहीं था. आती थी रहती थी फिर चली जाती थी, लेकिन जब भी मैं इस शहर को छोड़कर जाती थी. मैं बहुत रोती थी कि अब दोबारा कब आउंगी. जब फ्लाइट टेक ऑफ होता था, तो मैं प्रार्थना करती रहती थी कि प्लीज जल्दी बुला लीजिएगा. अब तो पापा ने मुंबई में घर ले लिया है, तो मुझे आश्रय मिल गया है. जब तक मैं अपना घर मुंबई में नहीं लें लेती हूं. मुझे उस दिन का इंतजार है, जब मैं मुंबई में अपना घर लें लुंगी.
क्या रिजेक्शन के बुरे दौर को भी याद करती है?
रिजेक्शन जब मिलता है, तो लगता है कि वह आपको क्यों नहीं मिला. आपको लगता है कि आपकी दुनिया ही लुट गयी है लेकिन वक्त के साथ आपको समझ आता है कि आपकी वह क्यों नहीं मिला. उसके पीछे आपका ही फायदा था. मैंने लगभग सारे सिंगिंग रियलिटी शोज में ऑडिशन दिया था. आप कोई भी सिंगिंग रियलिटी शो का नाम लीजिये. मैं कभी भी ऑडिशन लेवल से आगे नहीं बढ़ पायी. उस वक़्त मुंबई आना है मतलब सिंगिंग रियलिटी शो सबसे अच्छा मौका और मुझे वह मौका मिल ही नहीं रहा था. इतने रिजेक्शन के बाद मेरे पापा ने मुझे और म्यूजिक सीखने के लिए कोलकाता भेजा. मैंने वहां पर वेस्टर्न म्यूजिक सीखा. उसके बाद मेरे पापा ही मुझे पुश करके मुंबई लेकर आए कि जब सबकुछ यहीं से होना है, तो यही से करते हैं. अब देखती हूं तो समझ आता है कि वो रिजेक्शन अच्छे के लिए था. वो नहीं होता तो मेरी जर्नी कुछ और ही होती थी.
क्या इस दौरान लोगों की तानो को भी सहना पड़ा?
हां मुझे ही नहीं मेरे मम्मी पापा को भी. रिश्तेदार बोलते थे हर कोई सुनिधि चौहान नहीं होता है. मेरे पापा को तो वो लोग पागल ही बोलते थे. पढ़ाई लिखाई के बजाय इसमें पैसा बर्बाद कर रहे हैं. फिर एक उम्र के बाद शादी का भी प्रेशर बनाया गया. मेरे मम्मी पापा से ज्यादा पड़ोसियों और रिश्तेदारों को इसकी चिंता थी. बन्नो के बाद जब मुझे कामयाबी मिली तो वही रिश्तेदार और पडोसी सिर्फ मुझे ही नहीं मेरे मम्मी पापा को भी बहुत इज्जत देने लगे.
शादी को लेकर क्या माता पिता दबाव नहीं डालते हैं?
मैं जब 12 वी क्लास में थी. उस वक्त मेरे पापा को किसी ने अप्रोच किया था. उस वक्त मैं भक्ति वाले एल्बम करती थी. वो परिवार कनाडा में था, तो उन्होंने देखा, तो उनका ऐसा था कि हमको आपकी बेटी बहुत पसंद है. हम इसको सिंगिंग में सपोर्ट करेंगे. अभी सगाई कर देते हैं. चार – पांच साल बाद शादी कर देंगे. पता नहीं क्यों पापा भी इस रिश्ते के लिए लगभग राजी हो गए थे. मुझे बहुत गुस्सा आया था. मैंने खाना -पीना तक छोड़ दिया था. फिर मेरे पापा ने उस वक्त मेरे साथ एग्रीमेंट किया था कि इतना साल हो जाएगा तो फिर मैं शादी का बात करूंगा. बाकायदा एग्रीमेंट हुआ था, जिसमें मां का साइन भी था. मैं बताना चाहूंगी कि जिस साल में शादी की बात होनी थी. वो साल बीते दो से तीन साल हो चुके हैं. वो जान गए हैं कि जब इसका मन होगा, ये तब शादी कर लेगी. मैंने जो सोचा है, जब तक मैं वो अचीव नहीं कर पाऊंगी, तब तक मैं किसी भी चीज में 100 प्रतिशत नहीं दे पाउंगी. म्यूजिक मेरी प्राथमिकता है और रहेगा.
स्टेज शोज को कितना एन्जॉय करती हैं?
सब कहते हैं कि मेरा दोहरा व्यक्तिव है. मैं ऐसे बहुत शांत रहती हूं आप मुझसे मिलेंगी तो लेकिन स्टेज पर एक अलग ही एनर्जी मेरे अंदर आ जाती है. मैं स्टेज को बहुत एन्जॉय करती हूं.
मौजूदा दौर में सिंगर्स को अपने लुक पर भी बहुत ध्यान रखना होता है, आप इस प्रेशर से गुजरती हैं?
पहले नहीं लेती थी, लेकिन अब लेना पड़ता है, तो जिम जाने लगी हूं. अपने लुक पर ध्यान देने लगी हूं. अभी एक पंजाब के अनप्लगड शो से जुड़ी थी. उसमें मैंने रणबीर कपूर का रॉकस्टार वाला माथे पर साफा बांधे हुए लुक लिया था. घर पर मैं सिंपल कपड़े पहनना पसंद करती हूं, लेकिन स्टेज पर बहुत ही जगमगाते जैकेट्स पहनती हूं. हां मुझे मेकअप अभी तक करना नहीं आता है. मैं फाउंडेशन को बीबी क्रीम की तरह पोत लेती हूं.
मुजफ्फपुर को कितना मिस करती हैं?
बहुत ज्यादा, मेरा बचपन पढ़ाई सब वही का है. मेरा परिवार मुंबई ही आ गया है, तो बहुत कम आना जाना हो पाता है. मां वहां के हमारे घर की देख रेख के लिए बीच – बीच में जाती हैं. वैसे अपने स्टेज शो के जरिये मैं बिहार से जुड़ी रहती हूं.