ओटीटी प्लेटफार्म के लोकप्रिय चेहरों ने से एक अभिनेता चन्दन रॉय सान्याल जल्द ही जी थिएटर के टेलीप्ले षड़यंत्र में नजर आनेवाले हैं. वह टेलीप्ले के माध्यम को आनेवाले वक्त में मनोरंजन का एक नया ट्रेंड भी करार देते हैं. उनके इस टेलीप्ले और उससे जुड़े अनुभवों पर उर्मिला कोरी के साथ हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
ओटीटी और फिल्मों को करने के बाद आमतौर पर एक्टर प्ले नहीं करते हैं, टेलीप्ले को हां कहने की क्या वजह थी और अनुभव कितना अलग और एक सा था ?
मैं नाटकों से ही आया हूं. ये एकदम अनोखा मौका मिला कि आपको दो हफ्ते रिहर्सल करनी है. जैसे नाटकों में होता है. आपको पूरी स्टोरी पढ़कर जानी होगी. सीन दर सीन खुद को तैयार करना, तो मैंने इसे एक अभ्यास की तरह लिया. फिल्म और वेब सीरीज की व्यस्त शेड्यूल के बीच मौका नहीं मिलता कि रंगमंच से जुड़ पाए,तो इसने मुझे मौका दिया कि जो जंग एक्टिंग में लग रहा है. उसे सुधारा जाए. अपने ऊपर जम रही धूल साफ की जाए.
षड़यंत्र टेलीप्ले ने किस तरह की चुनौतियों से आपको रूबरू करवाया?
बहुत ही मजेदार था. नाटक की तरह कर रहे थे, तो लम्बे -लम्बे टेक लेना, अंधेरे में खड़े होकर अपनी लाइन का इंतजार करना. कब आपकी लाइन आए, तो आप स्टेज में एंट्री करें. वो सारा कुछ, जो भी नाटक का अनुभव होता है. उसे हमने इस दौरान जिया हालांकि सामने कैमरा था, तो वो कभी भी कट सकता था. कोई भी गलती होने पर, लेकिन ऐसा बहुत कम बार हुआ कि कैमरा रुका. दो एक्ट थे एक -एक घंटे के,हमने लंबे -लंबे सीन बिना रुके किए, जैसे नाटकों के दौरान होता है.
टेलीप्ले के इस माध्यम को आप किस तरह के रिस्पांस की उम्मीद कर रहे हैं?
मुझे लगता है कि ये एक नया आयाम है. इससे सभी को जुड़ना चाहिए. मजा ही आएगा. जहां तक रिएक्शन की बात है. मुझे पता नहीं है कि वो कैसे आएगा क्योंकि इंटरनेट पर है. लोग अपने टीवी और मोबाइल पर देख पाएंगे. सोशल मीडिया के ज़रिए ही इसका भी रिस्पांस मालूम पड़ेगा. मुझे बताया गया है कि पेंडेमिक में जी प्ले के जितने भी नाटक टाटा प्ले और जी के जो अलग -अलग माध्यमों पर थे. लोगों ने खूब देखा. बार -बार देखा.डिमांड है तभी ये प्ले इतने ज्यादा बनाए जा रहे हैं. मुझे लगता है कि दर्शक इन टेलीप्लेस को देखने के लिए तैयार हैं. आने वाले साल में ये एक ट्रेंड की तरह बनने वाला है., इसलिए हम एक्टर्स को भी तैयार रहना पड़ेगा. मोहन राकेश, विजय तेंदुलकर और शेक्सपियर के लिखे महान नाटकों को कौन बार -बार नहीं देखेगा.उसपर से बेहतरीन एक्टर और डायरेक्टर का साथ हो, तो और क्या कहने.
इस टेलीप्ले में आपके साथ हिना खान भी हैं, आमतौर पर टीवी एक्टर्स को लेकर एक सोच होती है कि वो अच्छे एक्टर नहीं होते हैं, आप क्या कहेंगे ?
मैं ऐसा सोचता नहीं हूं, क्योंकि मेरे गुरुओं ने ऐसा कभी सिखाया नहीं कि किसी को जज किया जाए. मैंने उनका टीवी पर इतना काम नहीं देखा था, लेकिन मैं जानता था कि वो कौन हैं.सबसे अच्छी बात ये है कि वो दिल की बहुत साफ और नेकदिल इंसान है.एक नाटक में एक एक्टर का जितना योगदान होता है, उन्होंने उतना ही दिया. फिल्मों या टीवी की तरह नहीं कि आयी अपनी लाइनें बोली और चली गयी. वो हमारे साथ ही रिहर्सल करती थी. कई बार अपने इनपुट्स भी देती थी.उनके साथ काम करना मेरे लिए बहुत अच्छा अनुभव रहा.
अपने नाटक के शुरूआती दिनों में क्या गलतियां सबसे ज्यादा करते थे ?
हर एक्टर इससे गुज़रता ही है. जब आप नए -नए होते हैं, तो हर किसी को पता है कि परफॉरमेंस के पहले कैसे पेट में तितलियां उड़ती हैं.लाइनें भूल जाएंगे स्टेज पर. यह डर लगा रहता है.वैसे इस डर में ऐसा मजा है, जिसका लुत्फ़ हर एक्टर को उठाना चाहिए. मेरे साथ ये कई बार हुआ है कि मैंने गलत एंट्री ले ली है, जब मेरी नहीं होती थी, फिर भी मैं किसी तरह से उसे संभालता था. ये सब मजे एक स्टेज एक्टर ही समझ सकता है कि क्या होता है.
नाटक के दौरान सबसे ज्यादा कब तारीफ मिली थी ?
इंग्लैंड में था मैं, एक ब्रिटिश प्ले कर रहा था. 2006-2007 की बात है. उस वक्त सोशल मीडिया का समय नहीं था. लोग हमको चिट्ठियां लिखते थे. लंदन में हम कोई शो कर रहे हैं, उसके बाद न्यू कैस्टल में कोई शो करने गए, तो वहां चिट्ठियां मिलती थी. लोग आपके किरदार के नाम पर आपको चिट्ठी लिखते थे.आपका शो लंदन में देखा. इस दिन इस समय और हम इस लाइन में बैठे थे.स्टेज पर एक्टर की तौर पर आपकी इलेक्ट्रिसिटी को मैंने महसूस किया है.
आपके आनेवाले प्रोजेक्ट्स कौन से हैं?
पटना शुक्ला की शूटिंग लगभग पूरी होने वाली है.आश्रम 4 भी अगले साल आएगा और पिछले सीजनों से ज्यादा धमाल मचाएगा.एक लुटेरे करके शो भी आएगा.इसके अलावा एक वेब शो और है. नए साल में भी अच्छा काम आने वाला है.
एक एक्टर के तौर पर अभी क्या ख्वाहिश है?
जिस तरह का सम्मान और रोल ओटीटी में मिलता है. वही सम्मान और रोल की चाहत फिल्मों में है थिएटर की फिल्मों का अपना चार्म होता है.