Charlie Chaplin : महान एक्टर ही नहीं, मंजे हुए म्यूजिशियन भी थे चार्ली चैपलिन
आरती श्रीवास्तव अप्रैल की 16 तारीख प्रसिद्ध हास्य कलाकार चार्ली चैपलिन का जन्मदिन होता है. उनकी म्यूजिकल जर्नी को समर्पित आलेख. यदि आप फिल्मों के शौकीन हैं और देश-विदेश की फिल्मों में रुचि रखते हैं, तो दिग्गज हास्य कलाकार चार्ली चैपलिन के अभिनय के जादू से आप बच ही नहीं पायेंगे. छोटी सी मूंछों के […]
आरती श्रीवास्तव
अप्रैल की 16 तारीख प्रसिद्ध हास्य कलाकार चार्ली चैपलिन का जन्मदिन होता है. उनकी म्यूजिकल जर्नी को समर्पित आलेख.
यदि आप फिल्मों के शौकीन हैं और देश-विदेश की फिल्मों में रुचि रखते हैं, तो दिग्गज हास्य कलाकार चार्ली चैपलिन के अभिनय के जादू से आप बच ही नहीं पायेंगे. छोटी सी मूंछों के साथ जब यह अभिनेता अपने चेहरे पर अजग-गजब हाव-भाव ले आता है, तब आप कितने भी उदास क्यों न हों, खिलखिला की हंस तो पड़ते ही हैं. पर जो व्यक्ति बिना एक शब्द बोले अपनी कलाकारी से लोगों के दिलों पर वर्षों राज करता रहा, उसका जीवन इतना आसान नहीं था. पिता की मृत्यु और मां की बीमारी के बाद चार्ली चैपलिन ने अपने से चार वर्ष बड़े भाई सिडनी के साथ छोटी सी उम्र में ही काम करना शुरू कर दिया था, ताकि रोटी का जुगाड़ हो सके. चार्ली एक नैसर्गिक कलाकार थे, वे केवल अभिनय ही नहीं, बल्कि संगीत में भी पारंगत थे. जानते हैं इस महान अभिनेता के जीवन के संगीतमय पक्ष के बारे में.
विरासत में मिला अभिनय व संगीत
चार्ल्स स्पेंसर चैपलिन- जिसे दुनिया चार्ली चैपलिन के नाम से जानती है- का जन्म 16 अप्रैल, 1889 को लंदन, इंग्लैंड में हुआ था. उनके पिता चार्ल्स चैपलिन सीनियर, एक बहुमुखी गायक और अभिनेता थे. उनकी मां हन्ना चैपलिन, जो अपने स्टेज नेम लिली हार्ले के नाम से प्रसिद्ध थीं, एक आकर्षक अभिनेत्री और गायिका थीं. लाइट ओपेरा क्षेत्र में उन्हें अपने काम के लिए काफी प्रतिष्ठा मिली थी. चार्ली चैपलिन के बचपन में उनकी मां उन्हें थिएटर ले जाया करती थीं. जहां वे खड़े होकर उनकी और संगीत हॉल के अन्य कार्यक्रमों को सुनते थे. जब चार्ली के माता-पिता अलग नहीं हुए थे, उनके पिता की मृत्यु नहीं हुई थी और उनकी मां बीमार नहीं हुई थीं, जब चार्ली के घर का माहौल काफी खुशनुमा हुआ करता था, तब लिली हार्ले गाना गातीं, नृत्य करतीं और और अन्य कलाकारों की नकल करके चार्ली और उनके भाई का मनोरंजन किया करती थीं. ऐसे माहौल में पलते चार्ली स्वत: नृत्य-संगीत और अभिनय में कब रमते व माहिर होते चले गये, यह संभवत: उन्हें भी नहीं पता चला होगा.
पांच वर्ष की उम्र में दी पहली मंच प्रस्तुति
पांच वर्ष की उम्र में मंच पर चार्ली की पहली प्रस्तुति तब हुई जब उनकी मां की आवज भीड़ के सामने ब्रेक हो गयी. ऐसी स्थिति में चार्ली, जो एक जन्मजात कलाकार थे, ने अपनी मां की जगह ली और दो गाने गाये. बालक चार्ली के गाने ने भीड़ को मंत्रमुग्ध कर दिया और भीड़ ने बालक के ऊपर सिक्कों की बरसात कर दी.
महज नौ वर्ष की उम्र में प्रोफेशनल करियर की शुरुआत
वर्ष 1898 में महज नौ वर्ष की उम्र में चार्ली ने अपने पेशेवर संगीत करियर की शुरुआत “द एट लंकाशायर लैड्स” नामक एक जुवेनाइल क्लॉग डांसरों के ट्रुप, के सदस्य के रूप में की और जल्द ही एक उत्कृष्ट टैप डांसर के रूप में लोकप्रिय हो गये. फ्रेड कार्नो कंपनी ज्वायन करने से पहले तक चार्ली थिएटर से जुड़े हुए थे. फ्रेड कार्नो से जुड़ने के बाद 1910 में वे एक उभरते सितारे के रूप में ‘वाडेविले सर्किट’ के साथ अमेरिका की यात्रा पर गये. कार्नो के साथी कलाकार स्टैन लॉरेल के अनुसार, 1912 के अपने अमेरिकी दौरे के दौरान जहां भी संभव हो सकता था चार्ली अपना वायलिन ले जाते थे. इस समय तक वे वायलीन वादन में इतने माहिर हो गये थे कि वायलीन के स्ट्रिंग को उलट कर उसे बायें हाथ से बजाया करते थे. वे घंटों इसे बजाने का अभ्यास करते थे.
जब उन्होंने वाद्य यंत्र ‘सेलो’ खरीदा था तो उसे अपने साथ लेकर घूमा करते थे. इस दौरान वे हमेशा एक संगीतकार की तरह हरे मखमली कफ और कॉलर वाला एक लंबा फॉन रंग का ओवरकोट तथा एक झुकी हुई टोपी पहनते थे. इतना सब होने के बावजूद उन्हें पता नहीं था कि वे आगे क्या करने वाले हैं. चार्ली ने लिखा है कि ‘हर सप्ताह वे थिएटर कंडक्टर या जिसे वे रिकमेंड करते थे, उससे सीख लिया करते थे. उनकी तीव्र इच्छा थी कि वे एक कॉन्सर्ट आर्टिस्ट बनें और यदि ऐसा न हो तो वे ‘वाडेविले एक्ट’ में अपनी वायलीन का उपयोग करें. पर जैसे-जैसे समय बीतता गया चार्ली को अहसास होता गया कि वे इस क्षेत्र में कभी भी उत्कृष्टता हासिल नहीं कर सकते, इसलिए उन्होंने इसे छोड़ दिया.’
फिल्म में काम करने के दौरान संगीतकारों से मिलने का अवसर मिला
वर्ष 1913 के अंत में चैपलिन ने कार्नो कंपनी से नाता तोड़ लिया, क्योंकि उन्हें अमेरिका में रहकर फिल्म में काम करना था. म्यूचुअल फिल्म कंपनी में काम करने के दौरान उन्हें पैडेरेवस्की और लियोपोल्ड गोडॉस्की जैसे संगीतकारों से मिलने का अवसर मिला. वर्ष 1916 में उन्होंने अपनी खुद की म्यूजिक पब्लिशिंग कंपनी स्थापित की. इस कंपनी ने चार्ली द्वारा लिखे और संगीतबद्ध किये गये गानों की दो हजार प्रतियां छापीं, पर वो बिक नहीं सकीं. चार्ल्स चैपलिन म्यूजिक कंपनी ने चैपलिन के तीन गाने प्रकाशित करने के बाद यह कंपनी बंद कर दी. वे तीनों गाने थे- ‘Oh! That Cello’, ‘There’s Always One You Can’t Forget’, और ‘The Peace Patrol’.
इसके बाद फिल्मों में चार्ली की रुचि और व्यस्तता बढ़ती गयी. वर्ष 1918 में उन्होंने अपने स्वयं के स्टूडियो में काम करना शुरू कर दिया और प्रोडक्शन पर पूरा नियंत्रण कर लिया.
फिल्म म्यूजिक में दिखाई प्रतिभा
मूक फिल्मों के समय भी प्रमुख फिल्मों के लिए उपयुक्त संगीत संगत (musical accompaniments) तैयार करने के लिए प्रोफेशनल अरेंजर्स को नियुक्त करना आम बात थी. इन्हें आम तौर पर पब्लिश्ड म्यूजिक से कंपाइल्ड किया जाता था, और प्रत्येक इंडिविजुअल सिनेमा, जो इस तरह के इंस्ट्रुमेंटल कॉम्बिनेशन दे सकता था, उसके द्वारा लाइव परफॉर्म किया जाता था. चूंकि चार्ली को हमेशा से अपनी फीचर फिल्मों के संगीत में रुचि थी, सो उन्होंने फ्रेड्रिक स्टालबर्ग के साथ ‘ए वूमन ऑफ पेरिस (1923)’ के लिए और कार्ली एलिनोर के साथ ‘द गोल्ड रश (1925)’ के लिए स्कोर को अप्रूव और को-कंपाइल किया था. वर्ष 1931 में फिल्म ‘सिटी लाइट्स’ के लिए चार्ली द्वारा कंपोज किये गये म्यूजिक ने लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया था.
उपरोक्त तीनों फिल्मों में संगीत देने के बाद ‘मॉडर्न टाइम्स’, ‘द ग्रेट डिक्टेटर’, और ‘मॉन्सिउर वर्डौक्स’ के लिए भी चार्ली ने स्कोर तैयार किया. मूवी ‘गोल्ड रश’ जो पहले 1925 में रिलीज हुई थी, चार्ली चैपलिन के नैरेशन और उनके द्वारा कंपोज किये गये म्यूजिकल स्कोर के साथ 1942 में जब दोबारा रिलीज हुई, तब उसके म्यूजिक के कारण एक बार फिर चार्ली की काफी सराहना हुई. सिटी लाइट्स के बाद, चैपलिन ने अपनी लगभग सभी फिल्मों का स्कोर तैयार किया.
जन्मजात संगीतज्ञ थे चार्ली चैपलिन : टिमोथी ब्रॉक
कंडक्टर-कंपोजर (और चैपलिन म्यूजिक एक्सपर्ट) टिमोथी ब्रॉक के अनुसार, चार्ली एक जन्मजात संगीतकार थे, जिनके अंदर वास्तविक संगीत प्रतिभा थी. वह संगीत पढ़ व लिख नहीं पाते तब भी, उनके मस्तिष्क में जटिल, sophisticated compositions पूरी तरह तैयार रहती थीं. उनकी एकमात्र समस्या अपने सहयोगियों को यह समझाना और पेपर पर उतारना होता था कि वह पियानो पर उनके लिए क्या और किस तरह गुनगुनाएं या फिर उसका स्केच तैयार करें.