Chhorii Review : हॉरर के साथ-साथ भ्रूण हत्या को लेकर संदेश देती है नुसरत भरुचा की फिल्म, यहां पढ़े रिव्यू
नुसरत भरूचा की हॉरर फिल्म छोरी आज एमेजॉन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है. फिल्म में नुसरत की अदाकारा की तारीफ की जा रही है. फिल्म दर्शकों को डराने के साथ-साथ एक सोशल मैसेज भी देती है.
Chhorii Movie Review
फिल्म – छोरी
निर्देशक – विशाल फुरिया
कलाकार – नुसरत भरुचा, सौरभ गोयल, मीता वशिष्ठ, राजेश जैस
स्टार- 3/5
नुसरत भरूचा (Nushrratt Bharuccha) की हॉरर फिल्म छोरी आज एमेजॉन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है. फिल्म को लेकर दर्शकों में काफी बज है. यह फिल्म लोगों को डराने के साथ-साथ हमारे समाज की कई कुरीतियों को दिखाता है. इन कुरीतियों को खत्म करने के लिए भले ही समाज में अभियान चल रहे हो, लेकिन बावजूद इसके ये खत्म नहीं हुआ है. छोरी मराठी फिल्म लपाछपी (2016) का हिंदी रीमेक है.
फिल्म की कहानी
छोरी फिल्म में नुसरत भरूचा हैं, एक्ट्रेस अपनी दमदार एक्टिंग के लिए जाने जाती हैं. फिल्म छोरी ऐसी गर्भवती साक्षी की कहानी है, जो शहर से दूर गांव में अपने पति (सौरभ गोयल) के साथ रहने आती है. होता यह है कि साक्षी (नुसरत) आठ महीने की गर्भवती है. वह अपने पति सौरभ (हेमंत) ने की जान बचाने के लिए अपने ड्राइवर काजला जी (राजेश जैस) और उनकी पत्नी भान्नो की देवी (मीता वशिष्ठ) के गांव में आती है. यह गांव गन्ने के खेतों की भूलभुलैया के बीच एक बसा हुआ है.
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जिस घर में साक्षी रहती है, वह डरावना घर रहता है. यहां साक्षी को तीन छोटे बच्चे दिखाई देने लगते हैं, जो उसे खेतों में आने को कहते हैं. वहीं ‘सुनैनी’ नाम की एक महिला, जिसकी लोरी, सुनकर साक्षी को डर लगता है. घर में नुसरत के बच्चे को बुरी शक्तियों का सामना करना होता है और उसे इससे अपने बच्चे को बचाना होता है. अब क्या साक्षी अपने बच्चे को बचाने में कामयाब हो पाती है या नहीं यह तो मूवी देखकर पता चलेगा.
फिल्म की कहानी
फिल्म छोड़ी धीमी गति से आगे बढ़ती है, इतना अधिक, कि एक बिंदु आता है जहां आप डरावनी सीन के शुरू होने के लिए प्रार्थना करते दिखेंगे. लेखक विशाल फुरिया और विशाल कपूर मुख्य कहानी की प्रस्तावना सेट करने में लगभग आधा स्क्रीनप्ले खर्च करते हैं, लेकिन एक बार जब यह शुरू हो जाता है, तो यह दर्शक को काफी एंटरटेन करता है.
फिल्म एक सामाजिक संदेश देती है. जिसमें कन्या भ्रूण हत्या और भ्रूण हत्या, सेक्सिज्म, महिलाएं न केवल पीड़ित हैं बल्कि पितृसत्ता की एजेंट भी हैं, अनियंत्रित सूक्ष्म आक्रमण वास्तविक अपराधों की ओर ले जाते हैं. महिलाओं के खिलाफ अपराधों, जहरीली परंपराओं और सदियों पुराने विचारों पर नुसरत के संवाद अच्छी तरह से उतरते हैं.
कलाकारों की एक्टिंग
कलाकार अपना काम बखूबी करते हैं और स्क्रीन पर साझा जिम्मेदारी के साथ फिल्म का नेतृत्व करते हैं. नुसरत और मीता वशिष्ठ की एक्टिंग जबरदस्त है. नुसरत का प्रदर्शन उनके प्यार का पंचनामा के दिनों में स्पष्ट सुधार दिखाता है.
Posted By Ashish Lata