Decoding Jigra Controversy: क्या सच में है जिगरा, सावी की रीमेक, क्या है श्रीदेवी कनेक्शन, जानिए
जिगरा और सावी दोनों फीमेल सेंट्रिक फिल्में हैं, जिनमें विदेशी जेल से किसी को छुड़ाने की कहानी है. हालांकि दोनों फिल्मों में कुछ समानताएं हैं, लेकिन दोनों की कहानी और ट्रीटमेंट में बड़े अंतर हैं. क्या जिगरा ने सच में सावी की कहानी कॉपी की है? आइए जानें पूरी सच्चाई
क्या सच में कॉपी की गई है कहानी ?
Decoding Jigra Controversy: हाल ही में रिलीज हुई जिगरा, जिसमें आलिया भट्ट और वेदांग रैना ने मुख्य भूमिका निभाई है, आलोचकों और दर्शकों के बीच ध्रुवीकरण का कारण बनी. एक तरफ जहां कुछ लोग फिल्म की तारीफ कर रहे हैं, वहीं कुछ ने इसे अपनी उम्मीदों से कम बताया. बॉक्स ऑफिस पर फिल्म की शुरुआत भी कुछ खास नहीं रही. इसी बीच, दिव्या खोसला ने आलिया भट्ट पर आरोप लगाया कि उन्होंने खुद टिकट खरीदकर बॉक्स ऑफिस आंकड़े बढ़ाए हैं. इस आरोप ने लोगों का ध्यान खींचा और सवाल उठने लगे कि दिव्या ने जिगरा के खिलाफ मोर्चा क्यों खोला. इसका जवाब दिव्या की हालिया रिलीज सावी में छिपा है.
क्या सावी की कहानी जिगरा में कॉपी की गई है ?
सावी, जिसका निर्देशन अभिनय देव ने किया है, एक महिला (दिव्या खोसला द्वारा निभाई गई) की कहानी है जो अपने पति को विदेशी जेल से अंदाज कराने के लिए एक मिडल-एज व्यक्ति की मदद लेती है. वहीं, जिगरा में भी आलिया भट्ट की सत्या अपने भाई को बचाने के लिए एक मिडल-एज व्यक्ति की मदद से विदेशी जेल में एक खतरनाक प्लान बनाती है. दोनों फिल्मों में प्लॉट की यह समानता कई दर्शकों को लगा कि जिगरा ने सावी से प्लॉट चुराया है.
एक जैसे करैक्टर
हालांकि, दोनों फिल्मों में कुछ ऐसी समानताएं हैं, जो अनदेखी नहीं की जा सकतीं. दोनों फीमेल लीड्स अपने प्रियजनों को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हैं, दोनों फिल्मों में मिडल-एज आदमी का किरदार भी खास है, सावी में अनिल कपूर का किरदार जॉयदीप एक पूर्व-क्रिमिनल है जिसने ग्यारह बार जेल तोड़ी है. वहीं, जिगरा में मनोज पाहवा का भाटिया एक रिटायर्ड गैंग लीडर है, जिसका बेटा भी जेल में बंद है. इन समानताओं ने दर्शकों में यह सवाल खड़ा किया है कि क्या ये महज संयोग हैं या जानबूझकर लिया गया प्लॉट है.
श्रीदेवी का कनेक्शन
जिगरा और सावी के विवाद में एक दिलचस्प कड़ी श्रीदेवी की 1993 में आई फिल्म गुमराह है. इस फिल्म में श्रीदेवी ने एक ऐसी महिला का किरदार निभाया था जिसे गलत आरोपों में जेल भेजा जाता है. संजय दत्त और अनुपम खेर का किरदार उसे जेल से भगाने में मदद करता है. इस फिल्म में आलिया भट्ट की मां, सोनी राजदान ने भी एक अहम भूमिका निभाई थी. गुमराह भी एक जेलब्रेक थ्रिलर थी, और इसी तरह की कहानी की वजह से कई लोग जिगरा और सावी के साथ गुमराह का कनेक्शन देख रहे हैं.
आलिया और दिव्या के कैरेक्टर्स में बड़ा अंतर
जिगरा में आलिया भट्ट का किरदार सत्या एक तगड़ा, रिसोर्सफुल प्रोफेशनल है, जो शुरू से ही एक फाइटर की तरह पेश आती है. दूसरी ओर, सावी में दिव्या का किरदार एक सामान्य गृहिणी का है, जो अपने आप को एक साहसी महिला के रूप में साबित करती है. ये दोनों ही किरदार अपने प्रियजनों के लिए लड़ाई लड़ते हैं, लेकिन सत्या पहले से ही एक हीरो के रूप में सेट है, जबकि सावी अपने संघर्ष के साथ एक ‘अंडरडॉग’ है, जो धीरे-धीरे अपनी ताकत पाती है.
क्या है सच्चाई ?
हालांकि, दोनों फिल्मों में प्लॉट की समानताएं हैं, यह कहना कि जिगरा ने सावी की कहानी कॉपी की है, पूरी तरह सही नहीं होगा. दोनों फिल्मों में कई अनोखे और अलग-अलग एलिमेंट्स हैं, जो उन्हें अलग पहचान देते हैं. बॉलीवुड में एक ही समय पर एक जैसे थीम्स पर आधारित फिल्में पहले भी देखी गई हैं, जैसे भगत सिंह पर एक साथ तीन बायोपिक्स आई थीं. इसलिए, जिगरा और सावी को भी अपनी जगह मिल सकती है.
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