Devara Box-Office: 3 दिन में 300 करोड़ , फिर भी मेकर्स को को क्यों लेनी चाहिए टेंशन
देवरा ने 3 दिनों में 300 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया, लेकिन फिल्म का गिरता कलेक्शन और बड़ा बजट मेकर्स के लिए चिंता का कारण बन सकते हैं.
Devara Box-Office: एनटीआर की फिल्म देवरा ने बॉक्स ऑफिस पर धमाका कर दिया है. सिर्फ 3 दिनों में 300 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली है, लेकिन फिर भी मेकर्स के लिए टेंशन खत्म नहीं हुई है. आखिर ऐसा क्यों? इतनी बड़ी कमाई के बाद भी, फिल्म से जुड़ी कुछ चुनौतियाअभी भी बाकी हैं.
स्टारडम का जादू और जनता का प्यार
एनटीआर की देवरा में उनकी स्टार पावर का पूरा असर दिखा. फिल्म ने पहले ही दिन से धमाकेदार बिजनेस किया और पूरे 3 दिनों में 300 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया. एनटीआर के नाम पर लोगों ने टिकट्स खरीदे, थिएटर स्टेडियम की तरह भर गए, और पब्लिक का रिस्पॉन्स भी शानदार रहा. लेकिन एक सवाल उठता है कि क्या यह फिल्म उनके स्टारडम के बराबर की है?
कलेक्शन है पर कंटेंट में कमी
भले ही देवरा ने बॉक्स ऑफिस पर बंपर कलेक्शन किया है, लेकिन कंटेंट के मामले में यह कुछ लोगों को निराश कर गई. फिल्म की कहानी में कोई नई बात नहीं है और क्लाइमेक्स भी ज्यादा प्रभावी नहीं लगा. बाहुबली जैसी फिल्मों से तुलना की जाए तो देवरा का प्लॉट कमजोर नजर आता है. और यही कारण है कि लोगों को फिल्म से बड़ी उम्मीदें थीं, जो पूरी नहीं हो पाई.
कलेक्शन के बावजूद क्यों है टेंशन?
अब सवाल यह है कि जब देवरा ने 300 करोड़ कमा लिए हैं, तो टेंशन क्यों? इसका कारण है फिल्म का बड़ा बजट. फिल्म का कुल बजट लगभग 300 करोड़ है, और एक फिल्म को सुपरहिट बनने के लिए अपने बजट से दोगुनी कमाई करनी होती है. यानि देवरा को 600 करोड़ का आंकड़ा छूना होगा ताकि इसे एक बड़ी सफलता मानी जाए.
क्या एनटीआर का स्टारडम करेगा मदद?
देवरा का बिजनेस काफी हद तक एनटीआर के स्टारडम की वजह से हुआ है. उनकी लोकप्रियता साउथ से उठकर पूरे देश में फैल चुकी है, और यही वजह है कि फिल्म ने हिंदी बेल्ट में भी अच्छा प्रदर्शन किया है. लेकिन फिल्म का डे बाय डे कलेक्शन ग्राफ धीरे-धीरे गिरता जा रहा है, जो मेकर्स के लिए चिंता का कारण हो सकता है.
देवरा और भविष्य की संभावनाएं
अगर देवरा जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट होती रहेंगी, तो हमें बार-बार घिसी-पिटी कहानिया ही देखने को मिलेंगी. फिल्म के कंटेंट में नयापन लाना बेहद जरूरी है ताकि भारतीय सिनेमा को इंटरनेशनल स्तर पर ले जाया जा सके. पुष्पा 2 जैसी फिल्मों से अब और बड़ी उम्मीदें होंगी, और अगर यह भी देवरा की तरह सिर्फ स्टारडम के भरोसे चलेगी, तो इंडियन सिनेमा में बदलाव की संभावनाएं कम हो सकती हैं.
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