EXCLUSIVE : मेरे पिता अभी भी चाय बेचते हैं…पॉपुलर कोरियोग्राफर एक्टर धर्मेश ने किया खुलासा
Dharmesh Yelande Interview : डांसर, कोरियोग्राफर, एक्टर धर्मेश येलांडे (Dharmesh Yelande) इन दिनों डांस रियलिटी शो डांस दीवाने (Dance Deewane) में बतौर जज नज़र आ रहे हैं. उनके इस शो और कैरियर पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत...
Dharmesh Yelande Interview : डांसर, कोरियोग्राफर, एक्टर धर्मेश येलांडे (Dharmesh Yelande) इन दिनों डांस रियलिटी शो डांस दीवाने (Dance Deewane) में बतौर जज नज़र आ रहे हैं. उनके इस शो और कैरियर पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…
आप कई डांसिंग रियलिटी शोज का हिस्सा रहे हैं. आपको डांस दीवाने में क्या खास लगा?
तीसरी पीढ़ी का इस शो में हिस्सा बनना मुझे बहुत पसंद आया. आमतौर पर हमारे माता पिता की उम्र के लोगों को मौका मिलते नहीं देखा है. हम हमेशा सुनते आए हैं कि मैंने अपने परिवार की वजह से अपना ड्रीम छोड़ दिया था. अब वो अपने ड्रीम को जी सकते हैं, लेकिन कोई ऐसा शो नहीं है, जो उनको मौका दे तो ये ऐसा शो है. जिनके सपने पूरे होने बाकी है उन्हें मौका देता है.
माधुरी दीक्षित के साथ डांसिंग शो जज करना ये कितनी खास फीलिंग है?
बहुत ही खास है क्योंकि मैं बचपन में उनके ही गाने एक दो तीन और धक धक करने लगा को देखकर डांस करना सीखा. मैं जिन बच्चों को सीखाता था उनको कहता था कि इनके एक्सप्रेशन कॉपी करने की कोशिश करो. कभी नहीं सोचा था कि उनके बाजू में बैठकर डांसिंग को जज करूंगा.
कोविड की वजह से इस बार शो के ऑनलाइन ऑडिशन्स हुए हैं. क्या दिक्कतें आप जज के तौर पर पाते है?
हां वीडियो अटकता है. गाने आगे पीछे होता है लेकिन हम जानते हैं कि ऐसा होगा इसलिए पूरी टीम ने मिलकर बारीकी से हर एक डांस ऑडिशन को देखा है. यही वजह है कि बहुत अच्छे कंटेस्टेंट मिले.
प्रतियोगियों के संघर्ष और गरीबी को दिखाना कई लोग सही नहीं मानते हैं?
मुझे लगता है कि लोगों की संघर्ष की कहानियां बाहर आनी चाहिए. ताकि दूसरे लोग प्रभावित हो कि अगर ये इतने मुश्किल हालात में कर सकता है तो हम क्यों नहीं. एक छोटे शहर का मज़दूर लड़का इस मंच तक पहुंच गया. मैं तो शहर में रहता हूं तो मेरी मेहनत में क्या खामी रह गयी.
आप अपने संघर्ष को याद करते हैं?
हर रोज याद करता हूं कि मैंने कहां से कहां तक का सफर तय किया है. मैं इसे संघर्ष नहीं मानता हूं. मैं इसे जर्नी कहूंगा. मैं बस एक डांस की गाड़ी लेकर निकला हूं. वो मुझे जहां लेकर जाएगी. मैं जाऊंगा. मैंने अपनी मंज़िल नहीं तय की है, जो मुझे मज़ा आएगा करने में मैं करता चला जाऊंगा. फिल्मों में कोरियोग्राफी मुझे कभी भी पसंद नहीं थी. यही वजह है कि तीस मार खां फ़िल्म में मैंने बस एक बार कोरियोग्राफी की है. वो भी फराह मैम की वजह से की थी.
आपने संघर्ष का लंबा दौर देखा है क्या कभी लगा था कि डांसिंग छोड़ दूं?
हाँ. कई बार ऐसा हुआ गुस्से में आकर दो तीन दिनों के लिए मैं डांसिंग छोड़ देता था. लेकिन फिर खाना ना मिलने पर जो हमारा हाल हो जाता है वही मेरा हो जाता था. तो समझ में आया कि मैं डांसिंग के बिना नहीं रह पाऊंगा.
क्या एक्टिंग पर ज़्यादा फोकस करने की सोच रहे हैं?
मैंने पांच फिल्में की हैं. पहले मुझे एक्टिंग पसंद नहीं था लगता था कि डायरेक्टर ने लेफ्ट आंख से आंसू बहाने को बोला है तो बहाना ही है फिर तुरंत कॉमेडी करना है. बड़े- बड़े डायलॉग बोलना आसान नहीं है. मैं किताब पढ़ता हूं दो तीन लाइन पढ़ते ही मुझे नींद आने लगती है लेकिन अब मैं याद कर लेता हूं. हाल ही में मैंने अपनी एक गुजराती फ़िल्म के लिए दो पेज का मोनोलॉग बोला. वो मोनोलॉग के संवाद मेरी ज़िंदगी से मेल खाते थे इसलिए और आसानी से बोल गया. कुलमिलाकर अब एक्टिंग देखने और करने में मज़ा आता है.
रेमो सर की तरह क्या निर्देशन की भी प्लानिंग है?
हां, मैं एक स्क्रिप्ट लिख रहा हूं वेब सीरीज के लिए.
आपके पिता अभी भी टी स्टॉल चलाते हैं क्या?
हां मेरे पिता अभी भी टी स्टॉल चलाते हैं. मैंने उन्हें बोला भी आपके अभी बड़ा घर,गाड़ी सबकुछ है तो आपको अब काम करने की क्या ज़रूरत है. वे कहते हैं कि ये मेरा काम है और अपना काम करने में शर्म कैसी. मैंने उन्हें यहां तक बोला कि मैं आपको कोई शोरूम ओपन करके देता हूं. उन्होंने बोला नहीं टी स्टाल ही मेरा बिजनेस है. वहां मेरे दोस्त आते हैं. आसपास परिचित लोग मिलते हैं. मुझे अच्छा लगता है कि ये सही भी है. जो काम करने में जिसे खुशी मिले उसे करने देना चाहिए. वैसे भी कोई काम छोटा बड़ा नहीं होता है. मैं बताना चाहूंगा कि सलमान यूसुफ खान के पिता अभी भी मस्जिद के बाहर इत्र बेचते हैं.
एबीसीडी 4 की क्या तैयारी है?
अभी रेमो सर स्क्रिप्ट पर काम कर रहे हैं. अगले साल ही वो प्रोजेक्ट ऑन फ्लोर जा पाएगा.