लोगों को लगता था कि मैं एक्सरसाइज भी नहीं करती हूं, एक्शन तो दूर की बात : दिव्यांका त्रिपाठी दहिया
OTT प्लेटफाॅर्म पर अदृश्यम द इनविजिबल में टीवी एक्टर दिव्यांका त्रिपाठी नजर आने वाली हैं. आइए जानते हैं अभी उनकी जिंदगी में क्या खास चल रहा है.
Divyanka Tripathi : छोटे पर्दे का लोकप्रिय चेहरा दिव्यांका त्रिपाठी दहिया इन दिनों SonyLiv के शो अदृश्यम द इनविजिबल में नजर आ रही हैं. इस शो में वह अंडर कवर एजेंट पार्वती की भूमिका में हैं. दिव्यांका की मानें तो इस तरह के किरदार का इंतजार वह सालों से कर रही थीं, जिसमें वह अपने एक्शन को दिखा सकें और आखिरकार उन्हें ऐसी भूमिका मिल गई है. हमारी संवाददाता उर्मिला कोरी ने उनसे इस मुद्दे पर खास बातचीत की.
अदृश्यम शो को आप किस तरह से परिभाषित करेंगी ?
मुझे लगता है कि शीर्षक इस शो के विषय के साथ प्यूरी तरह से न्याय करता है. हम कहानियां सुनते हैं कि करोड़ों की ड्रग पकड़ी गई. नक्सलवादी अटैक रोक दिया गया. उसके पीछे कितना इंटेलीजेंस लगता है. कितने लोगों की मेहनत होती है. यह हमें कभी-कभी ही मालूम हो पाता है कि अरे इतना बड़ा खतरा टल गया. लेकिन कितने ऐसे हमले हैं, जो ये अंडरकवर अफसर टाल देते हैं और हमें मालूम भी नहीं चलता है. जो मेडल के लिए काम नहीं करते हैं. जो शहीद भी हो जाएं तो उनकी शहादत बतायी नहीं जाती है. ऐसे ही सिपाहियों की कहानियों को छूने की कोशिश हमारे शो में की गई है. इस सीरीज में जो भी कहानियां आपको दिखायी जाएंगी. वो असल जिन्दगी की घटनाओं से प्रेरित हैं. रियल जो आईबी के अफसर हैं, उनकी मदद इस शो में ली गई है.
आप एनसीसी कैडेट रही हैं, लेकिन इस किरदार से आप घुटने की सर्जरी के तुरंत बाद जुड़ी. तो यह कितना मुश्किल प्रोसेस था ?
मेरा हमेशा से ये ड्रीम था कि मैं पर्दे पर पुलिस अफसर या आर्मी अफसर का रोल करूं क्योंकि बचपन में मैंने जो ट्रेनिंग ली थी वो आज भी मेरे पर्सनालिटी का हिस्सा है. वो वाक, वो मैनेरिज्म, वो अनुशासन, लेकिन कभी ऐसा शो मिला ही नहीं. ये ऑफर तब आया जब मैं सर्जरी के लिए जा ही रही थी, जिस वजह से मैं थोड़ी टेंशन में थी. हां बोलने का मतलब है कि मुझे सर्जरी के तुरंत बाद शूटिंग से जुड़ना होगा. बहुत ही मुश्किल प्रोसेस था क्योंकि उससे पहले भी कई चोटें लगी हैं. मालूम था कि सर्जरी होने के बाद समय लगता है. ये भी पता था कि इससे बॉडी के बाकी पार्ट्स भी कहीं ना कहीं कमजोर होने लगते हैं क्योंकि सर्जरी के तुरंत बाद आप वर्कआउट नहीं करते हैं. इस बात का मुझे डर था इसलिए मैंने सर्जरी को बहुत ही अच्छे से प्लान किया. अपने डॉक्टर से बात की कि कब मोबिलिटी वापस शुरू कर देना सही रहेगा. उन्होंने कहा कि अगर आप अपनी सर्जरी वाले पैर को बिना हिलाये कुछ कर सकते हो तो आप करें. मैंने बहुत सारे रिसर्च किए और वो एक्सरसाइज शुरू की, जिससे मेरे बाकी के बॉडी पार्ट्स पर मैं काम करती रहूं। सर्जेरी के बाद से ही मैंने एक्सरसाइज शुरू कर दी थी. सर्जेरी के टांके हटे और और डॉक्टर ने कहा कि पैर सुरक्षित है तो फिर मैंने अपने उस पैर पर दिन में दो बार फिजियो करना शुरू किया है. ऐसी फिजियो एक्सरसाइज शुरू की जो मुझे कम समय में अधिक से अधिक फायदा दे. खानपान पर भी मैंने विशेष ध्यान दिया. आप कह सकती हैं कि मैंने बहुत अच्छे से प्लान किया.
जब रिकवरी करने के बाद एक्शन सीन किया तो आपकाे कैसा लगा?
मेरा पैर जब मूव करने लायक हो गया था, उस दौरान भी दौड़ना और उछलना नहीं था. मैंने धीरे-धीरे उस पर भी काम किया. मैंने मिक्स मार्शल आर्ट्स सीखना शुरू किया. दो महीने में मैं चलने फिरने लगी थी. तीसरे महीने में तो मेरी शूटिंग भी शुरू हो गयी थी. पहली जो दौड़ थी, वह सीधे मैंने अपने एक्शन शॉट पर ही लगाई. एक ऐसा सीक्वेंस था, जिसमें मुझे किसी के पीछे जंगल में दौड़ना था. जैसे ही एक्शन बोला गया. मैं दौड़ पड़ी और बहुत खुशी हुई कि यार मैं दौड़ सकती हूँ.
विवेक खुद भी फिटनेस से काफी जुड़े हैं, उन्होंने कितना आपको इस दौरान गाइड किया?
विवेक ने मेरी बहुत मदद की. एक्सरसाइज और डाइट प्लान को बनाने में उनका गाइडेंस मिला. जब आपका बॉडी मूवमेंट रुक जाए तो आप आसानी से वजन बढ़ा लेते हैं और मेरी बॉडी तो इस मामले में सबसे आगे है. बहुत वजन बढ़ जाता है. उन्होंने एक्सरसाइज में भी मुझे सुपरवाइज किया. मैं क्या खाऊं या नहीं इस पर पूरा ध्यान दिया.
महिलाएं जब भी एक्शन करती हैं, तो उसका महिमा मंडन किया जाता है लेकिन पुरुषों के लिए इसे आम बात कहा जाता है, इस सोच पर आपकी राय?
मैं इतने सालों से इंडस्ट्री में काम कर रही हूं. मैं इन्तजार में थी कि मुझे कोई तो ऐसा किरदार मिले. पहली बात तो औरतों को ऐसा किरदार मिलता ही नहीं है. अगर बना भी रहे हैं तो उनको उस तरह से चैलेंजेज नहीं देते हैं, जो पुरुषों को देते हैं. मैंने अब तक जितने भी मेल एक्टर्स के साथ काम किया है, उन सभी ने एक्शन किया ही है, लेकिन सभी एक्ट्रेसेज को एक्शन करने का मौका नहीं मिला है. यह बात विश्वास की है. कहीं ना कहीं इंडस्ट्री को लगता है कि लड़का कर लेगा लड़की नहीं. दूसरी बात ये है कि लड़कियां खुद को इस तरह डेवेलप भी नहीं कर पाती हैं. जब तक आपको चैलेंज दिया नहीं जाएगा, आप कैसे खुद को उसके लिए तैयार करोगे. मैं इसलिए चाहती थी कि मेरे पास ऐसा कोई काम आये ताकि लोगों का विश्वास बदले. पहले यकीन ही नहीं था कि मैं कुछ भी एक्शन से जुड़ा कर सकती हूं. लोगों को लगता था कि मैं एक्सरसाइज भी करती हूं या नहीं.
निजी जिंदगी में कभी आपने अपनी पहचान छिपाकर कुछ खास किया है?
अपनी शादी के लिए मैंने मुंबई के भीड़भाड़ वाले इलाके क्रैफोर्ड मार्केट और मोहम्मद अली से शॉपिंग की थी. अपनी हेयर ड्रेसर साहिबा को लेकर वहां गई थी और हमने बुरखा पहनकर जमकर शॉपिंग की तो अदृश्यम होकर मैंने अपनी शादी की शॉपिंग की.
आपके सोशल मीडिया अकाउंट पर अक्सर आप बाइक राइड करती दिखती हैं, उस अनुभव को कैसे बयां करेंगी?
मैं देखती थी कि लड़के किस तरह से बाइक राइड करते हैं. कई लड़के तो अपनी बाइक को गर्लफ्रेंड तो कोई वाइफ बुलाते हैं. मुझे तब वो मोहब्बत समझ नहीं आती थी, जब तक खुद मैंने बाइक चलाना शुरू नहीं किया था. ये मेरे लिए मेडिटेशन जैसा है. मेडिटेशन में आपको सिखाया जाता है कि आपके दिमाग में 10 बातें चलती हैं. उन्हें भूलकर एक जगह ध्यान लगाए. यही मेडिटेशन है और इससे आपके दिमाग को शांति मिलती है. ये चीज अपने आप बाइक राइड करते समय हो जाती है. आप कार चलाते-चलाते दस बात पर सोच सकते हैं, बाइक चला रहे होते हैं, तो आपका अपने आप ध्यान बाइक पर, रोड और वादियों पर चला जाता है. मैंने नोटिस किया है कि बाइक चलाने के बाद मैं बहुत शांत होकर घर लौटती हूं. मैंने यह भी देखा है कि मुझे भी अपनी बाइक से प्यार हो गया है. राइड से आने के बाद मैं अपनी बाइक की टंकी को सहलाते हुए कहती हूं कि आज का दिन अच्छा रहा. इस तरह की हॉबी को अपनी लाइफ से जोड़ना आपको बेहतर और आत्मविश्वासी बनाता है. मैंने यह महसूस किया है.
कब तय किया कि मुझे बाइक चलाना सीखना है?
विवेक ने बाइक के ऊपर एक फिल्म की थी. वहां पर जिस तरह की बाइक उन्होंने चलाई और अपने अनुभव उन्होंने लदाख में शेयर किये. उससे मैं बहुत ज्यादा मंत्रमुग्ध हो गई थी. विवेक नई बाइक भी लेकर आ गए थे, फिर क्या था वो अकेले जाते थे क्योंकि वो सिंगल सीटर बाइक थी. मैं वो अनुभव करना चाहती थी कि आखिर ये कैसे होता है और लड़कों को अपनी बाइक से बहुत मोहब्बत होती है, तो मैं उनसे सीखने के लिए मांग भी नहीं पा रही थी. मुझे लगा कि जब मुझे इतना मन है तो मैं सीखती क्यों नहीं हूं. मैंने सर्च किया और राइडिंग सीख ली. मैं पांच – छह दिन में ही सीख गई. मैंने विवेक को बताया फिर उन्होंने मुझे बाइक दिलवाई. जो शॉप वाले थे वो भी चकित हो गए थे कि मैंने पांच दिनों में बाइक सीख ली.
अब आपकी विशलिस्ट में क्या सीखना बाकी है?
सीखना तो पता नहीं लेकिन बंजी जंपिंग करना है. स्काई डाइविंग तो कर ली है.
करियर के इस मुकाम पर किस तरह के किरदार आप करना चाहती हैं?
मैं अपने प्रोजेक्ट्स कॉन्सेप्ट्स के हिसाब से चुनती हूं, फिर कितना भी पैसा हो, कितना भी अच्छा प्रोडक्शन हो. मैं ना ही बोलती हूं. इस बात के साथ मैं यह भी कहूंगी कि यह आसान नहीं होता है. दिल पर पत्थर रखकर मैं मना करती हूं. हम सब को अपनी रोजी रोटी कमानी है. ऐसा नहीं है कि मैंने बहुत ही पैसे रखे हैं लेकिन फिर लगता है कि अपने अभिनय के साथ क्यों अन्याय करना. जब तक कुछ अलग नहीं मिलेगा. मैं मना कर देती हूं.
क्या किसी प्रोजेक्ट को ना कहने का अफसोस है ?
रिग्रेट अभी तक कभी नहीं किया है. मेरी गट फीलिंग ने सही बताया है. मैंने उन किरदारों को दूसरों को प्ले करते देखा है, तो लगा कि मेरा फैसला सही था.
अदृश्यम के बाद क्या ?
अभी शूटिंग चल रही है. दो तीन महीने बाद कुछ नया कर पाऊंगी. ये जरूर कहूंगी कि हम सिर्फ और सिर्फ अपने एक्टिंग प्रोजेक्ट्स पर फोकस करना चाहते हैं. कुछ साल जमकर एक्टिंग करने के बाद अपने प्रोडक्शन हाउस के लिए कुछ करने की सोचूंगी.