EXCLUSIVE : रियल बिहारी बनना था कैरिकेचर नहीं – अभिलाष थपलियाल
Abhilash Thapliyal Interview : सफल वेब सीरीज एस्पिरेन्टस के लोकप्रिय किरदार एस के यानी अभिलाष थपलियाल को अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि ये वेब सीरीज और उनका किरदार लोगों को इतना पसंद आएगा.
Abhilash Thapliyal Interview : सफल वेब सीरीज एस्पिरेन्टस के लोकप्रिय किरदार एस के यानी अभिलाष थपलियाल को अभी भी यकीन नहीं हो रहा है कि ये वेब सीरीज और उनका किरदार लोगों को इतना पसंद आएगा. वे इस सफलता को एन्जॉय कर रहे हैं. रेडियो और टीवी का हिस्सा रहे अभिलाष कहते हैं कि इस सफलता के बाद भी उन्होंने कैरियर को लेकर ज़्यादा प्लानिंग नहीं की है. बस वे अच्छे कहानियों और किरदारों से जुड़ना चाहते हैं. आगे भी उनकी यही कोशिश रहेगी. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…
एस्पिरेन्टस वेब सीरीज को लोगों का इतना प्यार मिलेगा क्या उम्मीद थी?
ये पता था कि कुछ अच्छा बना रहे हैं वो इतना सफल होगा. अभी भी लोग मैसेज करते हैं. तापसी पन्नू और आयुष्मान खुराना ने भी मैसेज किया था. ये ऐसे लोग हैं जो इंडस्ट्री में बहुत अच्छा कर रहे हैं. इन लोगों की तरफ से दो शब्द तारीफ के मिलते हैं तो अच्छा लगता है. आफिस में ही अगर हमारे लिए तालियां बजती हैं तो अच्छा लगता है. ये तो दुनिया जो हमें नहीं जानती फिर भी तालियां बजा रही है तो खास लगेगा ही.
एस्पिरेन्टस की जो इतनी तारीफ हुई वो काम के ऑफर्स में कितना बड़ा बदलाव ला पायी है?
बहुत फर्क पड़ा है. मैं हमेशा से फनी एक्टर के तौर पर देखा जाता था. एसके रोल के ज़रिए लोगों को मेरे अभिनय का दूसरा पहलू भी देखने को मिला. जिस वजह से अलग तरह के रोल ऑफर्स हो रहे हैं.
शो को बहुत प्यार मिला है लेकिन क्या जेहन में ये बात रहती है कि अगर नेटफ्लिक्स या प्राइम वीडियो पर रिलीज होता तो और लोगों तक ये पहुंचता?
मुझे तो लगता है कि यू ट्यूब पर रहा इसलिए लोगों से यह और जुड़ गया. हमारा टारगेट ऑडियंस स्टूडेंट्स थे. बहुत कम ऐसे स्टूडेंट्स होंगे जो आठ नौ सौ रुपये का सब्सक्रिप्शन लें. ऐसे में जब आपको फ्री में इतना प्यारा कन्टेंट देखने को मिलता है तो लोग जुड़ते चले जाते हैं.
सीजन 2 क्या पाइपलाइन में है?
सीजन 2 आना चाहिए क्योंकि बड़े लोग मुझसे सवाल पूछ रहे हैं कि एस के को कोई लड़की क्यों नहीं मिली. सब ये भी पूछ रहे कि तीनों लड़कों में सबसे ज़्यादा डिजर्विंग एसके था तो क्यों नहीं बन पाया आईएएस. शायद सीजन 2 में ये जवाब आए. आखिर में फैसला टीवीएफ टीम को लेना है.
एसके का किरदार बहुत पॉजिटिव है आप कितना किरदार के करीब हैं?
नहीं, उतना तो नहीं हूँ. मेरे ऐसे दोस्त होते तो कबका छोड़ देता. भाई जाओ मैं क्यों तुमको पैचअप करवाने में एनर्जी जाया करूं. एसके हर चीज़ में खुश है. हम कितने खुश हो पाते हैं जो हमें लाइफ में मिलता है. एक घर मिलता है तो लगता है कि इससे बड़ा घर होना चाहिए. हम खुश नहीं हो रहे हैं जो मिल रहा है बल्कि उससे बड़ा पाने के लिए भाग रहे हैं.
कोरोना टाइम में इसकी शूटिंग हुई थी किस तरह की मुश्किलें आयी थी?
दिल्ली के लगभग 55 लोकेशन्स पर यह सीरीज शूट हुई थी. मेरे अलावा मेरे दोनों को एक्टर नवीन और शिवंकित कोरोना से संक्रमित हो गए थे. दो हफ्ते शूटिंग रुक भी गयी थी. मुश्किलें आयी लेकिन हमने हर कठिनाई को पार कर लिया. कोरोना था फिर भी दिल्ली के छोले भटूरे का जमकर मज़ा लिया।मैं और नवीन दिल्ली से हैं.
सीरीज में आपका किरदार बिहारी था,बिहारी बनने के लिए क्या तैयारियां थी?
मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ा हूं कई बिहार के बच्चे मेरे साथ पढ़े हैं. फौजी का बेटा हूं तो हर तरह के लोगों के साथ बचपन से पला बढ़ा हूं. मधुपुरा, दरभंगा, मुज़्ज़फरपुर, पटना के कई लड़के मेरे साथ जर्नलिज्म में थे. मैं जुबान पकड़ने में तेज हूं. बाबुल, अभिषेक इन दोस्तों में से किसी एक की जुबान को हल्का सा पकड़ना था. मैं केरीकेचर बिहारी किरदार नहीं करना चाहता था. मैं रियल बिहारी दिखना चाहता था.
आप खुद पढ़ाई में कैसे रहे हैं?
इस सीरीज के बाद सोशल मीडिया पर पीसीएस से लेकर यूपीएससी तक के स्टूडेंट्स को पढ़ाने के ऑफर्स मिल चुके हैं. मैं सबको कहता हूं कि अगर मैंने पढ़ाया तो नौवीं पास होना भी मुश्किल है. वैसे दसवीं तक मैं बहुत ही ब्राइट स्टूडेंट्स था. 11 वीं में मैंने साइंस ले ली फिर मैं बर्बाद हो गया. दरअसल मुझे आर्ट्स लेना था लेकिन पिताजी की वजह से साइंस लेना पड़ा. पता नहीं क्यों उनके दिमाग में ये था कि जो इंटेलिजेंट बच्चे होते हैं. वो साइंस लेते हैं आर्ट्स बुद्धू बच्चे लेते हैं. वो चाहते थे कि इंजीनियर बनूं लेकिन वो एग्जाम.
आपकी कैरियर को लेकर क्या प्लानिंग थी क्या तय था कि एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में जाना है
बिल्कुल नहीं, फौजी का बेटा हूं तो फौज में ही जाना चाहता था. एनडीए में जाना था लेकिन वहां भी रिजेक्ट हो गया तो फिर ऑप्शन रहा नहीं. कुछ आता नहीं था. एक ही चीज़ आती थी बातें करना. जर्नलिज्म का कोर्स कर लिया. रेडियो जॉइन कर लिया. मुम्बई आ गए तो एड फ़िल्म और टीवी शोज से भी धीरे धीरे जुड़ता चला गया फिर ये वेब सीरीज. एक के बाद एक चीज़ें बस होती चली गयी.
आपके लिए संघर्ष फिर क्या था
मेरे लिए दो वक्त की रोटी का संघर्ष नहीं था. रेडियो की वजह से वो ज़रूरत पूरी हो रही थी लेकिन उससे कुछ अलग कुछ बड़ा करना था नौकरी छोड़े बिना. मुझे लगता है कि ये 90 प्रतिशत हिंदुस्तान में नौकरी करने वालों का संघर्ष है.
आपके पिता आपके कैरियर से खुश हैं,वो आपको इंजीनियर बनाना चाहते थे?
मेरे पिता नहीं रहे ।इस सीरीज के शूटिंग के दौरान ही उनका देहांत हो गया था. उनका ही शायद आशीर्वाद था जो शो को इतनी कामयाबी मिली. वैसे मेरी फैमिली हमेशा ही खुश ही रही है जो मैं करता रहा हूं।वो बहुत उत्साहित भी नहीं होते बहुत दुखी भी नहीं होते हैं. मिडिल क्लास फैमिली है तो खुश रहते हैं ज़्यादा दखलंदाजी नहीं करते हैं. मेरे माता पिता और बहनों ने कभी बताया नहीं कि क्या करना चाहिए क्या नहीं. मुझे लगता है कि ये सबसे सही चीज़ है.