लोकप्रिय यूट्यूबर्स में से एक भुवन बाम ने ओटीटी की दुनिया में भी अपनी शुरूआत कर दी है. उनके ओटीटी डेब्यू वाली वेब सीरीज ताजा खबर इन-दिनों डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर स्ट्रीम कर रही है. उनकी इस वेब सीरीज, कैरियर पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…
वेब सीरीज ताजा खबर से भुवन बाम का ओटीटी डेब्यू इस टैगलाइन को आप किस तरह से लेते हैं?
ये बड़ी ही स्पेशल सी फीलिंग है. अभी सात सालों से मैं यूट्यूब पर था और अभी देश के सबसे बड़े प्लेटफार्म डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर डेब्यू करने का मौका मिल रहा है, तो फीलिंग तो बहुत अच्छी सी है. अब उम्मीद ये है कि जो बनाया है, वो ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे. उनको पसंद आए. ताजा खबर का किरदार बिल्कुल अलग है. यह मेरे लिए नया स्पेस है.जनता को मेरी तरफ से ऐसा कुछ पहली बार देखने को मिलेगा.
ताजा खबर की इस कहानी में क्या खास पाया, जो आपको अपील कर गयी?
ये किरदार किसी भी लड़के और लड़की की तरह इस देश के है. जो सपने देखते हैं. अपने सपने पूरे करना चाहते हैं, लेकिन किसी वजह से वे नहीं कर पाते हैं. लेकिन मन में उनके लगन है कि जो भी हम जीवन में चाहते हैं, वो हमें मिल जाए, तो ये उन सब की कहानी है. ये कहानी उम्मीदों की है. रिश्तों की है. किसी दोस्त का रिश्ता, किसी बेटे का मां के साथ रिश्ता, अपनी लवर के साथ रिश्ता. ये पूरी कहानी रिश्तों की है. निर्णय लेने की है.उसकी क्षमता की है.मैं बताना चाहूंगा कि मुझे पहले भी कई शोज के ऑफर हुए हैं, इस तरह की कहानी को कहने का पहली बार मौका मिला था, तो जितना भी मेरे यूट्यूब ने दिया था.उस सारे अनुभवों को लेकर मैं इस प्रोजेक्ट से जुड़ गया.
आप अपने इस किरदार से कितना रिलेट करते हैं, क्या कुछ विशेष तैयारी भी करनी पड़ी ?
मैं किसी भी किरदार से रिलेट कर लेता हूं. वैसे जब ये शो लिखा जा रहा था, तब से ही मैं इस शो के साथ हूं. मुंबई के अलग -अलग जगहों को जाकर देखना पड़ा क्योंकि मैं दिल्ली से आता हूं, तो मुझे देखना पड़ा कि मुंबई के लोग कैसे बातें करते हैं, कैसे रहते हैं. दो दोस्त आपस में कैसे बातें करते हैं. इसके अलावा मेरे लिए कुछ और चुनौतीपूर्ण नहीं था, क्योंकि मैं खुद मराठी बोलता हूं. जो डायलेक्ट था, वो जितना पोलिश होना था. उतना शूटिंग के दौरान ही हो गया.इतने बेहतरीन को एक्टर इस सीरीज में मेरे साथ हैं. मराठी फिल्म इंडस्ट्री के कई चेहरे हैं.उनके साथ रहकर शूट करके धीरे -धीरे सब अच्छे से हो गया.
आप अपने प्रोजेक्ट्स में एडिटिंग, म्यूजिक सहित और डिपार्टमेंटस से भी जुड़े रहते हैं, इस सीरीज के दूसरे पहलुओं में कितना योगदान था?
योगदान तो नहीं कहूंगा, लेकिन हां मैं वहां हर क्रिएटिव प्रोसेस में मौजूद था. म्यूजिक कह लीजिए. बैकग्राउंड स्कोर कह लीजिए, एडिटिंग कह लीजिए. मैं सब जगह मौजूद था,क्योंकि ये मेरे शुरूआती प्रोजेक्ट्स हैं. मैं चाहता हूं कि सबकुछ अच्छे से हो. जैसा मैं उस शो को अपने नज़रिए से देखता हूं, वैसा हो. हालांकि हर चीज के एक्सपर्ट थे. वो अपना काम बखूबी जानते थे, पर मैं कोशिश करता था कि उस रूम में बैठूं .मैं अपनी राय उनलोगों के सामने रखूंँ. आपस में बातचीत करके एक फैसला लें और हम आगे बढ़े. यही कोशिश हमेशा रहती थी कि जिसको जो आता है, वो ही वो करें. बस मेरा ये रहता है कि मैं वहाँ मौजूद रहूं और सबकुछ होते हुए देखूं.
आपने अपने सोशल मीडिया पर हाल ही में मुंबई के मरीन ड्राइव में आपकी 11साल पुरानी फोटोज के साथ इस वेब सीरीज की शूटिंग स्टिल को भी सांझा किया था. जेहन में क्या कुछ था?
एक पोस्ट डाला था मैंने कि 11 साल पहले मरीन ड्राइव आया था अपनी कजिन की शादी पर. यही लाइन भी है वेब शो में चमत्कार यकीन से होता है. ये चमत्कार से मेरे लिए कम नहीं है, क्योंकि तब मुझे पता नहीं था कि मुझे जीवन में क्या करना है, लेकिन जब मैं ताज़ा खबर को शूट कर रहा था. उसी जगह पर था तब मुझे अचानक से महसूस हुआ कि अरे मैं तो यहां आ चुका हूं,फिर मैंने ढूंढा तो मुझे फेसबुक पर वो पोस्ट भी मिली. जो मैंने 11 साल पहले डाली थी. मुझे यही लगता है कि अगर आप कुछ ठानते हैं, तो ये मत सोचिएगा कि कितना जल्दी मिल सकता है. आप ये सोचिए जब मिलेगा, तो मैं उसके साथ क्या करूंगा. मैं वहां तक पहुंचूंगा कैसे . जो लोगो कहते हैं कि उसको तो मिल गया है मुझे नहीं मिला कैसे, तो मैं यही कहूंगा कि सबकी अपनी जर्नी है. आप कभी भी खुद को कम मत आंके. हौंसला रखें. मेरी उस फोटो और इसमें 11साल का अंतर है. आपकी जर्नी में 5 महीने या 15 साल का भी अंतर हो सकता है.
आप अपनी निजी कामयाबी को चमत्कार कहेँगे या मेहनत?
मैं अपनी कामयाबी को चमत्कार ही मानूंगा, क्योंकि चमत्कार हमेशा यकीन से होता है. यदि आप अपने अंदर यकीन रखेंगे तो हर चीज चमत्कार है.
अपने शुरूआती मुश्किलों से भरे संघर्ष के दिनों को भी याद करते हैं?
सच कहूं तो जीवन में ज्यादा संघर्ष नहीं रहा क्योंकि मैंने कभी ऐसा कुछ नहीं माँगा, जो मिलना मुझे मुश्किल हो जाए.मेरी ज़रूरतें बहुत कम थी. मुझे बस ये चाहिए था कि मुझे अपना कुछ करने का फ्रीडम हो और वो हमेशा मुझे मेरे घरवालों से मिला. मुझे पता था कि मैं जो भी करूंगा दिल से करूंगा. मुझे उसके लिए समय चाहिए, तो वो समय भी मिला और घर वालों का पूरा सपोर्ट भी. मुझे घरवालों से कभी टोका- टाकी नहीं मिली. हां अब ज़ब मैं ये कर रहा हूं, तो यहां काफी संघर्ष है, क्योंकि इतने सारे लोगों से हर दिन कोर्डिनेट करना पड़ता है, तो एक संघर्ष रहता ही है.
कंटेंट क्रिएटर की बहुत भीड़ बढ़ गयी है, आपके काम करने का क्या प्रोसेस होता है?
मैं ऐसा नहीं सोचता कि फटाफट बनाकर डाल दूँ, ताकि जल्द से जल्द व्यूज मिल जाए. मैं हमेशा वक़्त लेकर बनाने में यकीन करता हूं और कभी ये नहीं सोचता कि सभी लोग ये बना रहे हैं, तो मैं भी बना लूं. हमेशा कहानी को ज्यादा तवज्जो दी है. मैं क्वालिटी काम में विश्वास रखता हूं.
मौजूदा दौर में सोशल मीडिया फॉलोवर्स की वजह से कई इनफ़्लूएंसर्स को एक्टिंग में मौके मिल जा रहे हैं, ये कितना सही आप मानते हैं?
फॉलोवर्स सबके होते हैं, पर ये सोचना कि जिसके ज्यादा फॉलोवर्स हैं.वो एक्टिंग में भी अच्छा है. ये तो वही बात हो गयी कि जो स्कूल में गणित में अच्छा है, वो सिंगिंग कॉम्पीटिशन में भी सबसे आगे खड़ा है. वैसे अब सब बिजनेस के नज़रिए से देखते हैं कि कौन कितने दर्शक ला सकता है, मगर वो लोग ये ना भूले कि कहानी अच्छी होते हुए अगर अच्छी एक्टिंग ना हुई तो वह दर्शकों तक नहीं पहुंचे पाएगी तो इस नंबर का क्या फायदा. वैसे जो भी समझदार लोगो हैं. वो एक्टिंग के क्राफ्ट को जानने वाले लोगों को महत्व देंगे ना कि फॉलोवर्स वाले को.
इस सीरीज में आपके पास पावर है, अगर आपको मौका मिले तो कौन सा पावर निजी जिंदगी में पाना चाहते हैं?
मैं तो नोट छापने की मशीन बनाना चाहूंगा.सिंपल तरीके से सारी परेशानियां खत्म.
नए साल में खुद के सामने आपने क्या लक्ष्य या कहें चुनौती निर्धारित की है?
मैं खुद को चैलेंज नहीं देता हूं, क्योंकि मैं खुद को किसी दबाव में नहीं डालना चाहता हूं. लोगों से मिलकर मैं कहानी ढूँढना चाहता हूं लोगों से चीज़ें समझना चाहता हूं. हमारे देश में इतनी कहानियां हैं. मैं चाहता हूं कि अच्छी कहानियां बनाकर लोगों तक उसे पेश कर पाऊं. बस मैं यही चाहता हूं कि जिस काम को बड़े प्यार से शुरू किया था उसे बड़े प्यार से जारी रखूं.
जेहन में क्या ये डर भी रहता है कि एक दिन सबकुछ चला जाएगा?
स्वभाविक है ऐसा सोचना. कई बार ऐसा सोचता हूं कि ये चला गया तो फिर क्या, पर फिर ये भी एहसास होता है कि मैंने शुरू इसलिए थोड़े ना किया था कि एक दिन सब चला जाएगा. पहले तो इसलिए शुरू किया था कि मुझे इस चीज से प्यार था और अगर आपको किसी चीज से प्यार है और आप उसी लगन से लगे रहते हो तो वो चीज कभी आपसे कोई ले नहीं सकता है.
एक्टर के तौर पर आगे की क्या प्लानिंग है?
मैं कैरियर को प्लान नहीं करता हूं जो जैसे आता जाता है. मैं उसे वैसे करता जाता हूं. मैं बस इतना ही प्लान करता हूं कि अगले महीने फलां स्टूडियो जाना है. उनसे मिलना है बस. प्रोजेक्ट की बात करुं, तो ढिंढोरा के अगले सीजन की तैयारी शुरू हो गयी है. फिलहाल राइटिंग का काम चल रहा है.