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EXCLUSIVE : बिग बॉस में गए तो मैं और दिव्यांका मानसिक संतुलन खो देंगे – विवेक दहिया

वेब सीरीज स्टेट ऑफ सीज 26/11 में एनएसजी कमांडर की भूमिका में नज़र आए विवेक दहिया एक बार फिर इस किरदार को फ़िल्म स्टेट ऑफ सीईज टेम्पल अटैक में निभाते दिखेंगे. इस बार ज़ी 5 की इस कहानी का फॉर्मेट फ़िल्म है.

By कोरी | July 8, 2021 10:08 PM
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वेब सीरीज स्टेट ऑफ सीज 26/11में एनएसजी कमांडर की भूमिका में नज़र आए विवेक दहिया एक बार फिर इस किरदार को फ़िल्म स्टेट ऑफ सीईज टेम्पल अटैक में निभाते दिखेंगे. इस बार ज़ी 5 की इस कहानी का फॉर्मेट फ़िल्म है. जिसे लेकर विवेक बेहद उत्साहित हैं क्योंकि यह उनकी पहली फ़िल्म है. इस फ़िल्म, बिग बॉस और उनके कैरियर पर उर्मिला कोरी की बातचीत…

ट्रेलर का रिस्पॉस कैसा मिल रहा है

रिस्पॉन्स अच्छा है क्योंकि यह असल घटना पर यह फ़िल्म आधारित है. यह हीरोइज्म की कहानी है. इससे पहले जो सीईज वन था वो 26/11 पर है. उस घटना को लगभग पूरा विश्व जानता था लेकिन इस कड़ी में कहानी अक्षरधाम हमले पर है. उसके बारे में लोगों को इतना पता है कि हां हमला हुआ था लेकिन डिटेल्स क्या थी. वो लोगों को पता नहीं है. जिससे निश्चित तौर पर लोगों में फ़िल्म को लेकर एक उत्सुकता बढ़ी है. मुझे मज़ा आया एक बार यूनिफॉर्म पहनकर.

जब आप यूनिफॉर्म वाले किरदार करते हैं तो क्या जिम्मेदारी बढ़ जाती हैं?

हां बढ़ जाती है. एक एक्टर के तौर पर हम चाहते हैं कि अपने किरदार को बेहतरीन तरीके से निभाए लेकिन जब ऐसा किरदार करते हैं तो जेहन में रहता है कि कहीं वो लोग ये देखकर ना कहे कि क्या यार कैसे कर रहा है. गन ऐसे नहीं पकड़ते हैं. बॉडी लैंग्वेज एक यूनिफार्म वाले की ऐसी नहीं होती हैं तो ध्यान रखा छोटी छोटी चीजों का. लेफ्टिनेंट कर्नल पिछले बार की तरह इस बार भी हमारे मेंटर थे. उन्होंने हमें हर तरह से गाइड किया. वैसे पिछली पर सीज 26/11 के वक़्त की गया होमवर्क मेरे काम आया.

इस फ़िल्म में काफी बड़ी स्टारकास्ट है क्या लगा नहीं कि कहीं ओवर शैडो ना हो जाऊं?

बिल्कुल नहीं ,मैं टीम प्लेयर हूं और मुझे अच्छा लगता है एक टीम का हिस्सा होना. जब मुझे पता चला कि अक्षय खन्ना आ रहे हैं ऑन बोर्ड तो मुझे बहुत खुशी हुई क्योंकि इससे फ़िल्म ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचेगी. वैसे इस फ़िल्म के लिए सबसे पहले मैं ही साइन हुआ हूं क्योंकि उन्हें पिछली सीरीज और इस फ़िल्म के बीच में कॉमन लिंक दिखाना है.

अक्षय खन्ना के साथ शूटिंग का क्या खास अनुभव था?

अलग अनुभव था क्योंकि अब तक मैं किसी ऐसे एक्टर से मिला नहीं हूं जो थोड़े इंट्रोवर्ट किस्म के हैं. ये मेरा पहला एक्सपीरियंस है. अक्षय ज़्यादा बात नहीं करते हैं. अपने काम से काम रखते हैं. पैकअप करते हैं और घर चले जाते हैं. इसके साथ ही कहूंगा कि कम बातचीत हुई लेकिन जो भी हुई वो बेहतरीन और कई नयी जानकारियों से भरी थी.

अक्षरधाम हमला 2002 में हुआ था आप उस वक़्त क्या कर रहे थे?

मैं उस वक़्त स्कूल में था. न्यूज़ में हमले को देखा था. बस यही याद है.

ओटीटी प्लेटफार्म को भविष्य कहा जा रहा है क्या अब ओटीटी पर ही फोकस करना चाहते हैं?

टीवी ने मुझे नाम दिया है और जो कुछ भी मैं हूं. वो टीवी की वजह से हूं तो मैं नहीं कहूंगा कि टीवी नहीं करूंगा लेकिन हां मेरा फोकस ओटीटी पर है क्योंकि ओटीटी पर क्रिएटिविटी बहुत उम्दा है. अलग अलग तरह के रोल्स करने मिलते हैं.

टीवी एक्टर्स के लिए फिल्मों की राह आसान नहीं होती हैं क्या यह दोहरापन अभी भी है?

बिल्कुल है. आशा करता हूं कि खत्म हो जाए. इसकी जरूरत नहीं है कि आपको टीवी एक्टर बुलाया जाए. थिएटर या फ़िल्म एक्टर. एक एक्टर एक एक्टर होता है. जैसे मेरे पिता वकील हैं तो वो वकील हैं. सिविल,क्रिमिनल,प्रॉपर्टीज वाला ये कहकर उन्हें नहीं बुलाया जाता है. टैलेंट के आधार पर कास्टिंग की जाए ना कि आप कौन से बैकग्राउंड से हैं.

क्या कोई फ़िल्म आपको इस वजह से नहीं मिली?

बहुत सारे गए हैं. मेरी इस बात से टीवी एक्टर्स ज़रूर सहमत होंगे. कई बार हमारा ऑडिशन बहुत अच्छा जाता है लेकिन जब प्रोड्यूसर को पता चलता है कि ये टीवी से है तो वो दूसरे ऑप्शन देखते हैं.

दिव्यंका का क्या रिएक्शन हैं फ़िल्म का ट्रेलर देखकर?

उन्हें इस फ़िल्म का बेसब्री से इंतज़ार है. वो जानती हैं कि मैं फ़िल्म करना चाहता हूं. दो साल से मैं कोशिश कर रहा हूं. जब मालूम हुआ कि इस बार स्टेट ऑफ सीज सीरीज नहीं फ़िल्म के तौर पर आ रहा है तो वो बहुत खुश हुई. मैं निजी तौर पर फ़िल्म देखना सीरीज से ज़्यादा एन्जॉय करता हूं. दो घंटे में कहानी कह देने का अपना मज़ा है. 9 जुलाई का इंतज़ार है फ़िल्म देखने के बाद दिव्यंका के रिएक्शन का.

बिग बॉस के आनेवाले सीजन में कपल के तौर पर क्या आप और दिव्यंका त्रिपाठी जाने वाले हैं?

मुझे नहीं लगता कि मैं बिग बॉस में जा पाऊंगा. गया तो अपना मानसिक संतुलन खो बैठूंगा. बिग बॉस देखते ही मैं घबरा जाता हूं. हर सीजन हमें ऑफर आता ही है. इस बार भी आया था लेकिन नहीं होगा हमसे.जो जाकर आए हैं उनकी हिम्मत की तारीफ करूंगा. कमाल कर दिया है 5 महीने रहकर आ गए हो. मेरे लिए तो कठिन काम है.

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