EXCLUSIVE: अच्छी लाइफस्टाइल पाने के लिए खराब फ़िल्म नहीं कर सकता हूं- इनामुल हक

फिल्मिस्तान,एयरलिफ्ट,जॉलीएलएलबी 2 जैसी हिंदी फिल्मों में अपने विविधतापूर्ण किरदारोंके लिए सराहे गए अभिनेता इनामुल हक इनदिनों फ़िल्म मेरे देश की धरती में नज़र आ रहे हैं. इनामुल हक कहते हैं कि फिल्मों की संख्या नहीं बल्कि किरदार का महत्व मेरे लिए मायने रखता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 7, 2022 11:09 PM

फिल्मिस्तान, एयरलिफ्ट, जॉलीएलएलबी 2 जैसी हिंदी फिल्मों में अपने विविधतापूर्ण किरदारोंके लिए सराहे गए अभिनेता इनामुल हक इनदिनों फ़िल्म मेरे देश की धरती में नज़र आ रहे हैं.इनामुल हक कहते हैं कि फिल्मों की संख्या नहीं बल्कि किरदार का महत्व मेरे लिए मायने रखता है. इस फ़िल्म, कैरियर और सोशल मीडिया पर हुई बातचीत के प्रमुख अंश…

मेरे देश की धरती फ़िल्म में आपको क्या अपील कर गया जो आपने हां कहा

कॉमेडी हमेशा से मेरा फोर्टे रहा है. कॉमेडी सर्कस का मैं क्रिएटिव राइटर और प्रोड्यूसर रहा हूं.कॉमेडी की मैंने बहुत खायी है.एक वक्त के बाद लगा इंडस्ट्री मुझे टाइपकास्ट करने लगी थी.जो मैं होना नहीं चाहता था इसलिए मेरी फिल्मों के बीच आपको गैप नज़र आएगा.2019 में मेरी पिछली फिल्म आयी थी.2022 में अब एक फ़िल्म आयी है.मैंने कॉमेडी से दूरी बना ली थी लेकिन इस बार मुझे लगा कि सीरियस कर लिया ड्रामा भी कर लिया. कॉमेडी से गैप लंबा हो गया है तो लगा कि चलो करते हैं. दूसरी वजह इस फ़िल्म को हां कहने की निर्देशक फ़राज़ हैं.जिनको मैं सालों से जानता हूं. हम दोनों एक ही ट्रेन से मुम्बई आए थे.उस दौरान मैंने अपने घर के बनें कबाब खिलाए थे. (हंसते हुए)मुझे लगा कि कभी तो कबाब काम आएंगे.फ़राज़ ने दो फ़िल्म बना ली लेकिन मुझे कॉल नहीं किया लेकिन तीसरी फिल्म यानी इस फ़िल्म में उसने सामने से कॉल किया और मुझे किरदार भी काफी रोचक लगा.

आपने सोशल मीडिया से बीच में ब्रेक लिया था कोई खास वजह थी

डेढ़ साल पहले सोशल मीडिया से गया था लेकिन अब प्रेशर में आना पड़ा है. सोशल मीडिया छोड़ने का फैसला नेगेटिविटी की वजह से लेना पड़ा था.वहां भी लोग हिन्दू मुस्लिम कर रहे थे. मुझे लगा उस नेगेटिविटी से जूझने से अच्छा खुद को समझा जाए. मैंने अपने साथ वक़्त बिताया और खुद को और बेहतरीन तरीके से जाना.लॉकडाउन भी इसमें आ गया तो यह और प्रभावी हो गया.

लॉक डाउन में खास क्या किया

मैंने ऑप्टिकल पेंटिंग सीखी और बनायी.जो आर्ट और क्राफ्ट का मिक्चर हैं. जिसे बनाने में मुझे छह महीने का वक़्त गया.एक आर्टिस्ट हैं पैट्रिक ह्यूज .वो रिवर्स पर्सपेक्टिव से आर्ट को बनाते हैं. उनकी एक पेंटिंग डेढ़ करोड़ में बिकती है. मैं उतने पैसे से खरीद नहीं सकता था तो 50 हज़ार रुपये से सामान सब लाकर मैंने खुद अपने लिए ऑप्टिकल रिवर्स पेंटिंग बना ली. मेरी पेंटिंग है तो उसमें डिटेलिंग मेरी होगी.उसमें फिल्मिस्तान का पोस्टर है. मेरी कुछ निजी चीजों की झलक है लेकिन मैंने पैट्रिक को क्रेडिट अपनी पेंटिंग में भी दिया है. इंवेंटेड बाय पैट्रिक रीक्रिएटेड बाय इनामुल.छह महीने इसमें गए फिर घर में थोड़ी तोड़ फोड़ करके फाउंटेन बनाया .पेड़ बनाया तो बड़ा क्रिएटिव गुजरा मेरा लॉकडाउन.

आपने फ़राज़ से फ़िल्म के ऑफर होने का इंतज़ार किया क्या आप सामने से काम मांगने में यकीन नहीं रखते हैं

मैं किसी से काम नहीं मांग पाता हूं क्योंकि ना कहने की पावर खत्म हो जाती है. आप काम मांगेंगे फिर जो आपको सामने वाला देगा.आपको करना पड़ेगा.ना कहना खतरनाक चीज़ है.आपको घर बैठना पड़ सकता है. बहुत सारी चीज़ें झेलनी को पड़ती है लेकिन उस ना में जब आप हां कहते हैं तो आपको वो करने को मिलता है जो आप चाहते हैं.

काम नहीं करने से क्या असुरक्षा की भावना नहीं आती है

मैं अभी भी भाड़े के घर में रहता हूं. एक नार्मल कार है. पत्नी और बेटा है. जिनको डिसेंट ज़िन्दगी दे रहा हूं.बेटे को अच्छा एजुकेशन है.अपनी क्षमता के अनुसार सबकुछ बेस्ट दे रहा हूं तो मुझे खुद से या अपनी ज़िंदगी से कोई शिकायत नहीं है. मैं वर्क लाइफ हाई रखना चाहता हूं लाइफ स्टाइल नहीं. आमतौर पर लोग अच्छी लाइफ के लिए कुछ भी काम कर लेते हैं लेकिन मैं उस सोच से नहीं हूं .

क्या कभी आप डिप्रेशन में भी जाते हैं

मुझे लगता है कि हर कोई डिप्रेशन में होता है बस उसकी इंटेनसिटी कम या ज़्यादा होती है. अगर बुखार की तरह इसका भी कोई थरमामीटर होता तो ये बात आसानी से साबित हो जाती थी. मेरा कहने का मतलब है ये नार्मल है और आपको इससे डील करना चाहिए वो भी सकारात्मक रवैये के साथ.

महारानी का सीक्वल आप कर रहे हैं?

करने वाला था लेकिन नहीं कर रहा हूं.मैं अपनी शर्तों पर काम करने वालों में से हूं . चीज़ें नहीं हुई तो हमने अलग हो जाने में भी भलाई समझी. वैसे मुझे एक ही किरदार को बार बार करना पसंद नहीं है.

ओटीटी माध्यम में आपको क्या खूबियां या खामियां दिखती हैं

खूबियों की बात करें तो अब हम किसी कहानी को आठ घंटे में कह सकते हैं तो किसी नॉवेल पर बेहतरीन वेब सीरीज बन सकती है.मैंने काइट रनर फ़िल्म देखी थी तो उस फिल्म को देखकर महसूस हुआ कि यार ये सीन क्यों नहीं लिया.वो ज़्यादा अच्छा था.ढाई घंटे की फ़िल्म में आप सबकुछ कह सकते हैं लेकिन 8 की वेब सीरीज में आप बहुत कुछ कह सकते हैं. जहां तक खामियों की बात है तो

मुझे सेल्फ वैल्यू नहीं लगती है. सेल्फ में होती है किताब जब मन हुआ मंटो पढ़ लिया हैरी पॉटर पढ़ लिया. मुझे सिनेमा किताब लगती है.टीवी अखबार और ओटीटी मंथली मैगज़ीन.अखबार हम बेच देते हैं.मैगज़ीन तुरंत नहीं बेचते लेकिन ज़्यादा हो जाने के बाद हम उसको भी बेच देते हैं . आज से दस साल बाद 2022 में ओटीटी पर कौन सी वेब सीरीज आयी थी लोगों को याद नहीं रहेंगी लेकिन फिल्में याद रहेंगी.

नवाज़ ने हाल ही में कहा था कि हम हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में काम करते है लेकिन स्क्रिप्ट से लेकर सेट तक से हिंदी भाषा गायब है

यह हकीकत है.मैं जब टीवी में काम करता था उस वक़्त की बात है . मैं चैनल के लोगों से भी डील करता था. एक युवा लड़का लड़की थे.जो विदेश से एमबीए करके आए थे. उन्हें अंग्रेज़ी के सेलिब्रेशन का हिंदी मतलब नहीं पता था.हैरानी तब हुई जब वो महान लेखक मुंशी प्रेमचंद को भी नहीं जानते थे लेकिन वे हिंदी का सीरियल बना रहे थे. मैंने अपने घर में नियम बनाया है कि मेरा बेटा हिंदी में ही बात करेगा .वह अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूल में पढ़ता है तो ये तय है कि उसके सभी दोस्त अंग्रेज़ी में ही बात करते होंगे तो उससे हिंदी में कौन बात करेगा इसलिए हमने तय किया.

आपके आनेवाले प्रोजेक्ट्स कौन से हैं

शारिब हाशमी के साथ मडॉक की एक फ़िल्म कर रहे हैं लेकिन साथ में स्क्रीन शेयर नहीं किया है. इस फ़िल्म के निर्देशक लक्ष्मण उतेकर हैं. पिप्पा एक फ़िल्म कर रहा हूं.इसके अलावा भी एक और फ़िल्म है.एक फ्रेंच फ़िल्म के लिए भी बात चल रही है.

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