डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर आगामी 24 दिसंबर को फ़िल्म अतरंगी रे स्ट्रीम होने जा रही हैं. इस फ़िल्म के निर्देशक आनंद एल राय हैं. आनंद एल राय का कहना है कि उनकी यह फ़िल्म प्यार की नयी परिभाषा लिखेगी. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश
अतरंगी रे फ़िल्म को आप किस तरह से परिभाषित करेंगे?
हम लोग प्यार में पागल होना भूल गए हैं. हमलोग समझदार हो गए हैं. हमें दिल टूटने का डर लगता है. यह फ़िल्म आपको प्यार में पागल होने के लिए मोटिवेट करती है.
अतरंगी रे की कास्टिंग काफी रोचक है , कई बड़े नाम इस फ़िल्म से जुड़े है?
धनुष मेरी पहली प्राथमिकता थे. इस कहानी की वह ज़रूरत थे यह कह सकते हैं. बिहार की लड़की है और तमिलनाडु का लड़का है.अक्षय कुमार की बात करें तो उनका फ़िल्म से जुड़ना अपने आप में बहुत बड़ी बात है. मैंने जब उन्हें कहानी सुनायी थी तो उन्होंने कहा था कि जब आप ऐसी कहानी लिख सकते हैं तो मैं जुड़ क्यों नहीं सकता हूं. जब आप किसी फिल्म की कहानी लिख रहे होते हैं तो उस वक़्त आपके जेहन में वो चेहरा नहीं होता है लेकिन जब आप किसी से मिलते हैं तो आपको लग जाता है कि ये तो यही है. सारा अली खान के साथ यही हुआ था. वो मुझे एक फ़िल्म की प्रेस स्क्रीनिंग में मिली थी. उस वक़्त उनको देखते ही लगा कि मुझे कि यह रिंकू ही है. रिंकू के किरदार के लिए मासूमियत के साथ साथ एक जो रेस्टलेसनेस चाहिए थी. वो मुझे सारा में दिखी थी.
फ़िल्म के ट्रेलर में एक लड़की दो लड़कों से प्यार कर रही है ?इस फ़िल्म से प्यार की परिभाषा कितनी बदलने वाली है?
जितनी क्रांतिकारी ये बात आपको लग रही है क्रांतिकारी नहीं हैं. ये वास्तविक सच है.आप जहां रुककर यह सवाल पूछ रही हैं. मेरी कहानी वहां ऑपरेट ही नहीं करती है. मैंने जो प्यार की परिभाषा इस फ़िल्म में दिखायी है. वह आप भी जानते हैं. आपके आसपास ही है लेकिन आप देखना नहीं चाहते हैं।उम्मीद है कि इस फ़िल्म के बाद देखें.
फ़िल्म की कहानी बिहार से दक्षिण भारत की है शूटिंग कहां कहां हुई है?
यूपी और बिहार के बॉर्डर पर चकिया जगह है. वहां शूट हुई है।दिल्ली में भी हमने ठंड में शूटिंग की. मदुरै में चेट्टिनायर जगह है. वहां भी शूटिंग हुई.
फ़िल्म की ओटीटी रिलीज से कितने संतृष्ट हैं?
एक फ़िल्म मेकर के तौर पर आप सोचते हैं कि आपकी फ़िल्म थिएटर में रिलीज हो लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि आप उतने ही बड़े या छोटे हैं. जितनी आपकी कहानी है. थोड़े दिन दुखी था फिर लगा कि ओटीटी के माध्यम से ज़्यादा से ज़्यादा दर्शकों से ये फ़िल्म जुड़ेगी. ओटीटी एक रोशनदान की तरह है. जहां देश विदेश की फिल्में रिलीज हो रही है. उत्तर भारत का दर्शक अब कोरिया की फिल्में ही नहीं बल्कि मलयालम और तमिल सिनेमा भी देख रहा है.
ओटीटी पर बॉक्स ऑफिस का प्रेशर नहीं रहता है?
मैं बॉक्स ऑफिस का कभी प्रेशर नहीं लेता हूं. पैसों से इतना मोह ही नहीं रखा कि उनके आने और जाने का दुख हो.
आप तमिल और मलयालम फिल्मों की बात कर रहे हैं वहां की फिल्मों में आम लोगों की परेशानियां भी कहानी का अहम हिस्सा हैं हमारी फिल्मों से वह अछूता सा रहता है?
दर्शकों से ज़्यादा हम मेकर्स इसके लिए जिम्मेदार हैं. हमने इस बात पर ज़्यादा अहमियत दी है कि इस फ़िल्म से कितना कमा सकते हैं ना कि हमें कौन सी कहानियां सुनानी चाहिए. मैं नहीं कहता कि पैसे नहीं कमाने चाहिए।कमाने चाहिए आखिरकार कहानियां सुनाना हमारा बिजनेस है लेकिन साउथ की फिल्मों में कहानियां उनके जड़ों से जुड़ी होती हैं. हमारे यहां नहीं. हमारी एक और दिक्कत है ओरिजिनल कहानियां नहीं सोचते हैं. तमिल,तेलुगु और कोरिया का रिमेक बनाना हमें आसान लगता है. मैं अपनी बात करूं तो मुझसे दर्शक इसलिए नहीं जुड़े कि मैं मास्टरपीस फिल्में बनाता हूँ बल्कि इसलिए जुड़े क्योंकि मेरी कहानियां ओरिजिनल होने में साथ जड़ों से जुड़ी थी. मैं अभी भी मिडिल क्लास से हूं. मैं अभी भी खुद को टीचर का बेटा मानता हूं. मेरी माँ स्कूल जाने से पहले मेरे लिए कपड़े में रोटी बांधकर रख जाती थी. मेरी कहानियां वही की होती है.
सामाजिक कुरीतियों पर आधारित कहानियों को क्या कभी कहने की प्लानिंग है?
मैं ये नहीं सोचता हूं कि मैं समाज बदलूंगा. मैं शिक्षित करने में यकीन नहीं करता हूं. मुझे लगता है कि मैं ही समाज हूं और मेरे साथ ये धीरे धीरे बदलेगा.
अक्षय कुमार के साथ आप रक्षाबंधन फ़िल्म भी कर रहे हैं,अक्षय के साथ बॉन्डिंग को क्या कहेंगे?
एक्टर और डायरेक्टर का मेल नहीं है. ये दो एक जैसे परिवारों से आए लोगों के बीच की बॉन्डिंग है. हमारे बीच की मिडिल क्लास वाली सोच एक सी है. अक्षय की सादगी और ईमानदारी उन्हें खास बनाती है. अक्षय अभी भी दिल से मिडिल क्लास हैं.