ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का भरोसेमंद और लोकप्रिय चेहरा अभिनेता जितेंद्र कुमार की कॉमेडी ड्रामा सीरीज पंचायत 2 आगामी 20 मई को अमेज़न प्राइम वीडियो पर दस्तक देने जा रही है. आनेवाले सीजन पर जितेंद्र कहते हैं कि इस सीजन काफी चीज़ें होने वाली हैं .लव एंगल के अलावा भी बहुत रोचक ट्रैक है. उर्मिला कोरी के साथ हुई बातचीत…
पंचायत का पहला सीजन बहुत सफल था तो क्या सेकेंड सीजन को लेकर प्रेशर है?
मुझे प्रेशर नहीं है. मुझे लगता है कि वैसा ही कुछ कुछ है.चीज़ें इम्प्रूव हुईं है. सिचुएशन और कहानी के अनुसार.मुझे लगता है कि दर्शकों को उतना ही पसंद आएगा जितना पहला आएगा.उस टाइम पर लोग फ्री थे घर पर थे .मैं चाहता हूं कि इस टाइम भी लोग पूरे परिवार के साथ समय निकालकर इसे देखें लेकिन देखें ज़रूर क्योंकि फुलेरा गाँव की कहानी और दिलचस्प हो गयी है. नए किरदार भी हैं.
एक अंतराल के बाद फिर से उसी किरदार जीना कितना मुश्किल हो जाता है?
सब स्क्रिप्ट की बात है.स्क्रिप्ट अच्छी हो तो आपको मज़ा आने लगता है. पहले आप कर चुके होते हैं.रिहर्सल्स होती है.रीडिंग होती है फिर फ्लो में आ जाते हैं.सेट पर दो तीन दिन ठीक से निकल जाए तो वापस रिद्म आ जाता है. कहानी और कंटेंट अच्छा हो तो वो किरदार के लिए सरप्राइज लाता है .जो दर्शकों के लिए भी सरप्राइज होगा.
नीना गुप्ता के साथ आपने शुभ मंगल ज़्यादा सावधान की थी रघुबीर यादव जैसे सीनियर एक्टर के साथ यह आपका पहला प्रोजेक्ट था तो क्या पहले सीजन में नर्वस थे?
मैं बहुत उत्साहित था.पहली रीडिंग में ही समझ आ जाता है कि सबकुछ मजेदार होने वाला है. बहुत कुछ सीखने को मिलने वाला है और वही हुआ भी.
निजी जिंदगी में क्या कभी गांव से जुड़ाव रहा है?
अलवर में खैरथल एक जगह है. उसके आसपास बहुत सारे गांव है तो वहां से कनेक्शन रहा है.घर में पॉलिटिकल फैमिली रही है तो ये सारी चीज़ें देखी हैं.पंचायत में जो दिखाया गया है प्रधान जी वाइफ इलेक्शन जीती थी लेकिन प्रधान जी सारा काम देखते हैं तो ये वाली चीज़ें हमारे घर में भी कहीं ना कहीं थी. नीना मैम का किरदार जिस तरह से सामने आता है कि अब सबकुछ मैं संभालूंगी वो भी देखा है.
आपके किरदारों पर गौर करें तो वो लगभग एक जैसे ही हैं ऐसे में किसी प्रोजेक्ट को हां कहते हुए आप क्या देखते हैं?
इंडस्ट्री की परेशानी है.जो जिसमें हिट है.उसको वैसा ही ऑफर करो. जब तक कोई अतरंगी सा दूसरा किरदार नहीं कर देता तब तक अलग भूमिकाएं नहीं मिलेगी.किसी प्रोजेक्ट को हां कहने से पहले . मैं कहानी की दुनिया देखता हूं.कैसे मेकर्स उसे बना रहे हैं और क्या उस दुनिया में मुझे काम करने में मज़ा आएगा.मैं मानूंगा कि मेरे किरदारों में कहीं ना कहीं समानता होती है.कई बार लगता है कि यार फिर मैं वही कर रहा हूं लेकिन फिर कहानी और दुनिया अलग होती है तो कर लेता हूं. मैंने इससे पहले भी अपने शोज में इंजीनियर का किरदार निभाया है लेकिन उनकी अलग दुनिया थी. डायरेक्टर का विजन अलग है और दिखाने का तरीका अलग हो तो एक तरह के किरदार होने के बावजूद मजा आ सकता है .यह मैंने निजी अनुभव से महसूस किया है.
शुरुआत में जब आप एक्टिंग में आए तो एक्टिंग में वो मौका आपको नहीं मिला तो आपने एक्टिंग में संघर्ष के साथ कोचिंग भी पढ़ाने लगे.वो कौन सा प्रोजेक्ट था जिसके बाद आपको लगा कि अब मुझे प्लान बी की ज़रूरत नहीं है?
इंडिया का जो पहला वेब शो था परमानेंट रूममेट्स.उसमें मैंने एक एपिसोड किया था. उसका जो रिस्पॉस आया उसने मुझे थोड़ा सा कॉन्फिडेंस दिया कि कोचिंग छोड़कर पूरी तरह से एक्टिंग में घुस जाता हूं. उसके बाद पिचर्स आया और उसने बहुत पॉपुलारिटी हासिल की और फिर चीज़ें होती चली गयी.
क्या पंचायत का तीसरा भी सीजन आएगा?
उम्मीद तो है.