बॉलीवुड अभिनेत्री मल्लिका शेरावत (Mallika Sherawat) निर्देशक रजत कपूर की फिल्म आरके से बड़े पर्दे पर एक बार फिर नजर आनेवाली हैं. वह इस फिल्म का हिस्सा बनकर बेहद खुश हैं क्योंकि इस तरह की सीरियस और ड्रामेटिक फिल्म उन्होंने कभी नहीं की थी. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश
आरके में आपको क्या खास अपील कर गया
मैं रजत कपूर की फैन हूं. आंखों देखी मेरी बहुत ही पसंदीदा फिल्म रही है. मुझे खुशी है कि मुझे ऐसे निर्देशक के साथ काम करने का मौका मिल रहा है. आमतौर पर मेरे पास ऐसे सीरियस और ड्रामेटिक टाइप के रोल आते नहीं है. जब रजत कपूर ने मुझे गुलाबो का किरदार सुनाया, तो मैंने कहा कि मैं गुलाबो हूं. हम ये करते हैं.
गुलाबो के किरदार के लिए क्या खास तैयारियां करनी पड़ी?
गुलाबो का किरदार 50 और 60 के दशक की अभिनेत्री पर आधारित है. मैंने वहीदा रहमान, मीना कुमारी की बहुत सारी फिल्में देखी. मुझे पता है कि वे लीजेंड्स हैं. हम उनकी कॉपी नहीं कर सकते हैं, लेकिन हां मैंने उनके हाव-भाव को कॉपी करने की कोशिश की. मेरे लिए एक जो स्ट्रगल थी, वो ये थी कि मैं एक्टिंग करते हुए अपने हाथों का बहुत इस्तेमाल करती हूं. मेरी एनर्जी बहुत ज्यादा रहती है, लेकिन गुलाबो जो है. वो आंखों से खुद को एक्सप्रेस करती है. डायलॉग बोलने का तरीका भी काफी अलग था. साड़ी पहनने का अंदाज भी जुदा था. सब कुछ उनके नारी होने का सेलिब्रेशन टाइप होता था.
रजत कपूर की यह फिल्म काफी अलग लग रही है क्या ये मसाला फिल्में देखने वालों दर्शकों को लुभा पाएगी?
मसाला फिल्में देखने जाने वालों दर्शकों के लिए भी यह बहुत ही अलग अनुभव होगा. वे रजत कपूर की अलग ही दुनिया से रूबरू होंगे. मुझे लगता है कि रजत कपूर जैसे निर्देशक बहुत कम हैं, हमें और निर्देशक चाहिए इसलिए इस फिल्म को सभी को सपोर्ट करना चाहिए.
इस फिल्म के अलावा और कौन से प्रोजेक्ट्स कर रही हैं?
मेरी अगली फिल्म गुरमीत सिंह के साथ है, जिन्होंने मिर्जापुर निर्देशित की थी. बाउंसर नगर फिल्म का नाम है. काफी अलग तरह की फिल्म है. ओटीटी के आने के बाद जबरदस्त एक्सपेरिमेंट हो रहा है. इससे पहले मुझे ऐसे किरदार आफर नहीं होते थे. पहले मुझे ग्लैमरस रोल ही आते थे. अभिनेत्रियों के लिए तो ये बेस्ट टाइम है. दिल्ली क्राइम का चेहरा 50 वर्षीय एक अभिनेत्री है. इससे पहले कोई सपने में भी नहीं सोच सकता था.
मौजूदा दौर में आप क्या खास बदलाव पाती हैं?
पहले अभिनेत्रियों के लिए दो ही टाइप के रोल लिखे जाते थे या तो वह बदचलन है या फिर सती सावित्री एकदम मासूम सी, जिसे कुछ मालूम ही नहीं है. ये जो बदलाव आया है. वो औरतों को असल इंसान के तौर पर दिखा रहा है. वो खुश हो सकती हैं. दुखी भी.वह गलत चीचें कर सकती हैं. इसके बावजूद आप उन्हें पसंद करते हैं. अपनी बॉडी को लेकर अभिनेत्रियों में एक आत्मविश्वास आया है. जब मैंने मर्डर की थी कितना बवाल मचा था. बिकिनी और किस पर लोगों ने ना जाने क्या क्या कहा था. दीपिका पादुकोण ने गहराइयां में जो किया है. वो मैं पंद्रह साल पहले कर चुकी हूं. उस वक्त लोगों की सोच कितनी छोटी थी. मैं बताना चाहुंगी कि इंडस्ट्री और मीडिया का एक ऐसा तबका था, जो मुझे मानसिक तौर पर शोषित कर रहा था. उनलोगों ने सिर्फ मेरी बॉडी और ग्लैमर पर ही बात किया. मैंने मर्डर के अलावा प्यार के साइड इफेक्ट्स, वेलकम, दशअवतराम भी की थी, लेकिन किसी ने मेरे अभिनय के बारे में नहीं लिखा था.
आपकी इमेज एक स्ट्रांग महिला की रही है, क्या वो सब बातें आपको परेशान भी करती थी?
बिल्कुल मैं भी परेशान होती थी. सीधे तौर पर मेरे चरित्र पर सवाल उठाया जाता था. मल्लिका गिरी हुई है. भारतीय संस्कृति को खराब कर रही है. ये सब लिखने और कहने वालों में सबसे ज्यादा महिलाएं ही थी. मैं हमेशा से सबसे ज्यादा महिलाओं को सपोर्ट करती आयी हूं. उन्हें आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित करती आयी हूं. मैं हमेशा औरतों को ये कहती हूं आयी हूं कि अगर आपको जिंदगी अपने तरीके से जीनी है, तो आपको खुद पैसे कमाने पड़ेंगे. आप अपने पिता और पति के पैसों से अपनी शर्त पर जिंदगी नहीं जी सकती हैं. मगर किसी महिला ने मुझे नहीं सपोर्ट किया. मैंने अपनी लड़ाई खुद लड़ी और आज बदलाव देखने को मिल रहा है.
शुरुआत में आपका परिवार आपकी एक्टिंग के खिलाफ था,अब उनका कितना सपोर्ट है?
फैमिली से अभी भी मेरे रिश्ते उतने करीबी वाले नहीं हो पाए हैं, क्योंकि मेरा परिवार बहुत ही रूढ़िवादी सोच रखता है. मेरी लाइफ में फैमिली का सपोर्ट नहीं है. मैंने इस बात को स्वीकार लिया है और मैं उनके फैसले का भी सम्मान करती हूं.
बिना परिवार के सपोर्ट के मुम्बई जैसे महंगे शहर में संघर्ष करना कितना मुश्किल था?
हमारी संस्कृति में ये है कि जब हमारा जन्मदिन होता है, तो मां, दादी, नानी पैसों के साथ-साथ सोने और चांदी के समान भी दे दिया करती थी. मैं अपनी वो सारी सेविंग्स जोड़ती आयी. मैं फिलॉसफी में ग्रेजुएट हूं. मैंने विवेकानंद जी को बहुत पढ़ा है. उनका कहना था कि हमेशा अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रयासरत रहो. जब मुझे लगा कि मेरे एक्ट्रेसे बनने के सपने को पूरा करने का समय आ गया है तो मैंने बगावत कर दी. जब मैंने घर छोड़ा तो मेरे पास वो जोड़े हुए पैसे और ज्वेलरी थी. जिन्होंने मेरे संघर्ष को आर्थिक तौर पर आसान बना दिया था.
मर्डर के बाद आपको बॉलीवुड में खूब शोहरत मिली थी, लेकिन फिर आपका कैरियर उस ऊंचाई को नहीं छू पाया जैसी उम्मीद की गयी थी?
मुझे लगता है कि मुझे बहुत कुछ मिला है. मैं हरियाणा से आयी लड़कीं हूं. मेरे बॉलीवुड में कोई कनेक्शन नहीं थे.मेरा कोई गॉड फादर या बॉयफ्रेंड नहीं था. कभी किसी ने किसी को फ़ोन करके नहीं कहा कि मल्लिका को ले लो, इसके बावजूद मुझे जैकी चेन ने कास्ट किया.कान फिल्म फेस्टिवल भी लेकर गए. बराक ओबामा से मिली. ब्रूनो मार्स ने एक म्यूजिक वीडियो में मुझे कास्ट किया. ये सब बहुत है मेरे लिए.अभी और अच्छा करना है.
एलए आपका दूसरा घर है,कैसे मुम्बई और वहां पर बैलेंस बिठाती हैं?
मैं अपने समय को मुम्बई और लॉस एंजिल्स के बीच बहुत ही अच्छे तरीके से बांटा है. जब मुम्बई में शूटिंग नहीं होती है,तो एले चली जाती हूं. बहुत ही अच्छे लोग वहां मेरे दोस्त हैं.बहुत ही क्रिएटिव वाला वहां का माहौल है. मैंने वहां पर एक फिल्म पॉलिटिक्स ऑफ लव में काम किया है. उसको बहुत ही अच्छे रिव्यूज मिले हैं. कितनी अभिनेत्रियां हैं,जिन्होंने विदेश के निर्देशकों के साथ काम किया है.
प्रियंका चोपड़ा भी वहां रहती हैं, क्या उनसे मिलना हुआ है?
उनसे मिली नहीं हूं,लेकिन उनके काम से मैं बहुत ही ज़्यादा प्रेरणा लेती हूं. विदेश में जाकर अपना नाम बनाना बहुत मुश्किल होता है.मुझे लगता है कि जब कोई अभिनेत्री अच्छा काम करती है फिर चाहे विदेश में हो या भारत में. वो कहीं ना कहीं दूसरी सभी अभिनेत्रियों के लिए भी फायदेमंद होता है.
क्या आप लाइफ में शादी करने की सोच रही हैं?
सिंगल रहने से मैं भी खुश नहीं हूं, लेकिन मुझे एक ऐसे पार्टनर की तलाश है, जो अभिनेत्री के फेम से सहज हो, उसकी सफलता में खुश रहे. बहुत सी चीजों का मिश्रण होना चाहिए. बस शादी करनी है इसलिए नहीं कर लूंगी
आपकी फिटनेस का राज क्या है?
बहुत सी चीजों का मिश्रण हैं. मुझे पार्टीज पसंद नहीं है. मैं शाकाहारी हूं. मैं शराब और सिगरेट से दूर रहती हूं. योगा करती हूं. बहुत ही पॉजिटिव सोच रखती हूं.