मध्यप्रदेश की रहने वाली गीता सिंह गौर कौन बनेगा करोड़पति 13 सीजन की तीसरी करोड़पति बन गयी हैं. 53 साल की गीता सिंह एक हाउस वाइफ हैं. वे ज़िन्दगी की दूसरी इनिंग को अपने लिए और अपनी सोच के साथ जीना चाहती हैं. वे तमाम गृहणियों के लिए प्रेरणा बनना चाहती हैं कि किसी भी उम्र में आप अपनी पहचान बना सकते हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…
कौन बनेगा करोड़पति में अपनी जर्नी को किस तरह से देखती है?
मैं पिछले सोलह साल से केबीसी में कोशिश कर रही हूं. बहुत उतार चढ़ाव आया।लगा कि नहीं पहुंच रही हूं तो छोड़ दूं क्या. फिर खुद को मोटिवेट करती कि अगर छोड़ दिया तो मैं कुछ कर ही नहीं पाऊंगी तो इस उतार चढ़ाव के साथ आ गयी. मेरी मेहनत, आत्मविश्वास और बड़ों के आशीर्वाद से मैंने अपनी मंजिल पा ही ली.
आपके बारे में कुछ बताइए?
मेरी सारी शिक्षा मुरैना में हुई है. मैंने 12 वीं की पढ़ाई वहीं से की है. 19 साल की उम्र में शादी हो गयी. शादी के बाद मैं ग्वालियर आ गयी. मैं शादी से पहले एलएलबी करना चाहती थी लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से नहीं कर पायी. जब बच्चे थोड़े बड़े हो गए तब जाकर मैंने एलएलबी किया।सोचा आगे नौकरी करूंगी लेकिन जब वैकेंसी आयी. मेरी उम्र उसके लिए पार कर गयी थी. बहुत खराब लगा. बहुत निराशा हुई. उस वक़्त केबीसी आ गया था. मुझे लगा यह सामान्य ज्ञान पर आधारित है. मुझे इसका हिस्सा बनना चाहिए. इसी शो से अपनी पहचान बनाना चाहिए. सब जिम्मेदारियों को पूरा करने के बाद मैं अपनी लाइफ अपने लिए अपने तरीके से जीना चाहती थी तो उसके लिए सबसे ज़रूरी है कि मुझे अपनी पहचान बनानी होगी.
हॉट सीट में पहुंचने के बाद क्या आपको लगा था कि आप एक करोड़ रुपये जीत लेंगी?
मुझे विश्वास था कि मैं अच्छा करूंगी क्योंकि मैंने काफी सालों से इसके लिए मेहनत की थी. मुझे डर बस फास्टेस्ट फिगर का था. वो पड़ाव पार करते ही मैं समझ गयी. मैं अच्छा करूंगी.
बिग बी के साथ के अनुभव को किस तरह परिभाषित करेंगी क्या कोई डर था?
मेरे अंदर भी डर था. लोगों की बातें सुनकर कि हॉट सीट में आकर आदमी सब भूल जाता है. बहुत डर होता है क्योंकि सदी के महानायक के सामने होते हैं लेकिन वहां जाने पर महसूस किया कि सदी के महानायक हमें ये महसूस ही नहीं होने देते हैं कि वो महानायक हैं और हम आम इंसान. वो बहुत अच्छा फील करा देते हैं कि आपको लगता है कि वे आपके परिवार के ही सदस्य हैं. जिनसे बात करते हुए कोई संकोच नहीं रखना है. बेझिझक बात करना है.
क्या आपकी उम्र कभी आपके लिए रोड़ा बनी?
अगर आप में कुछ करने का जज्बा है सोच है. इच्छा है तो उम्र मायने नहीं रखती है .हां बहुत से लोग आपको कहेंगे कि इस उम्र में ये सब करने की ज़रूरत क्या है तो आपको कहना चाहिए कि अच्छा काम करने के लिए कोई उम्र नहीं होती है. हम महिलाओं के लिए तो अपनी पहचान बनाना बहुत ज़रूरी है. मैंने कभी नहीं सोचा कि मैं नानी बन चुकी हूं.दामाद है।मेरी बहू भी आने वाली है. मैं अपनी पहचान बनाना चाहती थी.
केबीसी में आने के लिए क्या तैयारी रही है?
एक हाउस वाइफ टाइम टेबल बनाकर पढ़ नहीं सकती है क्योंकि घर में कब किसी का स्वास्थ्य खराब है.कब किसी फंक्शन में आपको जाना है. आपको पता नहीं होता है।घर के हर सदस्य के खाने पीने का इंतज़ाम एक हाउसवाइफ को ही करना पड़ता है. एक हाउस वाइफ के लिए एक ही समय होता है जो वो अपने लिए कुछ कर सकती है.वो रात का समय होता है तो मैं उस समय का सदुपयोग पढ़ाई कर करती थी. जब सब सोते थे. जब मुझे मालूम हुआ कि इस सीजन के केबीसी के लिए मेरा चुनाव हुआ है तो फिर मैंने रोटी बनाते,सब्जी काटने से लेकर खाना खाते हुए इस बात का ध्यान रखा कि इसके साथ साथ मैं कुछ सामान्य ज्ञान और जानकारी भी हासिल कर लूं.
आप जीती हुई एक करोड़ की राशि से क्या करने वाली हैं?
बहुत सारी प्लानिंग है.जमीन लेना चाहूंगी.उसमें फार्मिंग करना चाहूंगी.प्रकृति से जुड़कर रहना चाहती हूं.मुझे बहुत शोर शराबा पसंद नहीं है. लाइट म्यूजिक सुनना पसंद करती हूं.अपने परिवार के लिए भी कुछ करना चाहूंगी.उन्होंने मुझे बहुत सपोर्ट किया. उनके बिना ये संभव नहीं हो पाता था.
करोड़पति बनने के बाद ज़िन्दगी कितनी बदल गयी है?
मैं एक साधारण गृहणी पहले भी थी और आज भी हूं. लोग मुझे कॉल करके पूछ रहे हैं कि अभी आप क्या कर रही हो. एक गृहणी घर में क्या करती है. अपने घर के खानपान की व्यवस्था करती है. वही कर रही हूं.किचन में हूंजो काम कल कर रही थी वो करोड़पति बनने के बाद भी कर रही हूं.मुझे सबसे खुशी इस बात की हो रही है कि मैं लोगों के लिए प्रेरणा बनकर आयी हूं. महिलाएं अब 50 के बाद सेकेंड इनिंग को मेरी तरह जीने की कोशिश करेंगी.ये बात मुझे बहुत खुशी दे रही है. वैसे मैं चाहती हूं कि केबीसी के प्रोमो में आप जीप चलाती नज़र आ रही है और क्या क्या करना आपको पसंद है.
बचपन में मैंने कभी साईकल भी नहीं चलाई थी लेकिन शादी के बाद मेरे पति ने मुझे जीप चलाना सीखाया .उनका कहना था कि अगर मुझे किसी चीज़ की ज़रूरत पड़े तो तुम खुद वो कर सको.बच्चों को स्कूल भी ले जाती थी. बाइक और जीप चलाने के साथ साथ मुझे कढ़ाई और बुनाई करना भी बहुत पसंद है.आजकल की महिलाएं बाजार में सबकुछ मिलता है.ये सोचकर कढ़ाई बुनाई से दूर रहती हैं लेकिन मुझे इन सारी चीजों का बहुत शौक है.मुझे बहुत खुशी मिलती है कि मैं अपने हाथ से स्वेटर बनाकर बच्चों को पहनाऊं.मुझे खाना बनाने का भी बहुत शौक है.खाने का नहीं है खिलाने का बहुत शौक है.मुझे घर के कामों में बहुत रुचि है. मैं इसे बोझ नहीं खुशी के साथ करती हूं.
एक महिला के सपने पूरे करने की राह आसान नहीं होती है अगर वो 50 प्लस हो तो और भी मुश्किलें होती हैं आसपास के लोगों से भी कई नकारात्मक बातें सुनने को मिलती है क्या आप भी इससे गुजरी हैं.
हां, मेरे बच्चों को भी मुझे लेकर लोगों ने सुनाया है. मैं सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट में देखना पसंद करती हूं. सचिन पर जब भी लोगों ने कमेंट किया उन्होंने मुंह से नहीं बल्कि बल्ले से जवाब दिया. मैं भी इसी बात में यकीन करती हूं और अपने बच्चों से कहती कि मैं भी एक दिन ऐसा धमाका करूंगी कि जो लोग मेरे लिए उटपटांग बोलते हैं. वो सारे के सारे फटी आंखों से मुझे देखेंगे कि इसके अंदर ये हुनर था और हम इसे क्या समझ रहे थे.