डिजिटल प्लेटफार्म का लोकप्रिय चेहरा अमोल पराशर ओटीटी को फ्यूचर नहीं बल्कि प्रेजेंट कहने में यकीन रखते हैं. जी 5 के ब्रांड कैंपेन देखते रह जाओगे में नज़र आ रहे अमोल कहते हैं कि ओटीटी लगातार काम दे रहा है. अपनी ही बात करूं तो मुझे इतना काम मिल रहा कि मुझे दो में से एक प्रोजेक्ट का चयन करना पड़ता है क्योंकि मैं दो जगहों पर एक साथ मौजूद नहीं रह सकता हूं. अमोल से ओटीटी की संभावनाओं और चुनौतियों पर उर्मिला कोरी की बातचीत…
ज़ी 5 के ब्रांड कैम्पेन देखते रह जाओगे का चेहरा बनना कितना खास है?
खास है क्योंकि यह प्लेटफार्म अच्छा काम कर रहा है. मेरे कई प्रोजेक्ट इस प्लेटफार्म पर आ चुके हैं. यूथ को अपने प्लेटफार्म से जोड़ने के लिए इन्होंने मुझे कैंपेन से जोड़ा है जो मेरे लिए खास है.
पिछले साल ज़ी 5 के कैंपेन का चेहरा विक्की कौशल थे तो क्या कोई प्रेशर है?
एड और कैंपेन में प्रेशर नहीं लेता हूं. मुझे नहीं लगता कि उसमें लोग तुलना करते हैं कि इस एड में वो अच्छा था या वो हां अगर कोई फ़िल्म होती कोई एक्टर पहले कर चुका होता और मुझे सीक्वल करना होता तो मुझे एक प्रेशर महसूस होता था.
सारा अली खान इस कैंपेन में आपके साथ हैं कैसा रहा उनके साथ शूट का अनुभव?
एड फ़िल्म में क्या होता है. एक दिन का काम होता है।ऐसे में आप ज़्यादा वक़्त एक दूसरे के साथ नहीं बीता पाते हैं. कैमरा ऑन आपने एक्टिंग की और कैमरा ऑफ होते ही आप अलग अलग. चूंकि सारा काफी प्रोफेशनल हैं इसलिए कम समय के बाद भी वो ट्यूनिंग और केमिस्ट्री हमारे बीच आपको एड फ़िल्म में नज़र आएगी जो एड फ़िल्म की ज़रूरत थी.
डिजिटल प्लेटफार्म को यूथ का प्लेटफार्म माना जाता रहा है क्या पिछले डेढ़ सालों में समीकरण बदले हैं?
हां, अब ओटीटी प्लेटफार्म सिर्फ यूथ के मनोरजंन के लिए नहीं रह गया है. 2016 में जब मैंने अपनी पहली वेब सीरीज की थी उस वक़्त बात कुछ अलग थी लेकिन अब तो कितने सारे ओटीटी प्लेटफॉर्म्स आ गए हैं. जिनमें अलग अलग तरह का कंटेंट हर वर्ग के लिए बन रहा है। मेरे माता पिता भी अब ओटीटी देखते हैं. हां युवा लोगों की तरह कोई सीरीज पसंद आ गयी तो रात भर नहीं देखते हैं. वे अपने समय और सहजता के अनुसार देखते हैं. कई चैनल्स के ओटीटी प्लेटफार्म आ गए तो माँ ने अगर कोई सीरियल मिस किया तो वो ओटीटी पर अपने समय अनुसार देख लेती हैं.
ओटीटी के कई प्लेटफार्म आ चुके हैं जिनमें ढेरों शो बन रहे हैं क्या आपको लगता है कि क्वांटिटी पर क्वालिटी हावी हो जाएगी.
हमारे देश में सबसे अधिक फिल्में बनती हैं. सभी फिल्में भी तो अच्छी नहीं होती है।जो सफलता का अनुपात फिल्मों में होता है. वही वेब सीरीज में भी होगा. वैसे हर कोई चाहता है कि वो अच्छा और एंटरटेनिंग शो बनाये लेकिन हर कोई दर्शकों की कसौटी पर खरा नहीं उतर पाता है.