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Exclusive: इस वजह से अक्सर पैपराजी से बात करती हैं रश्मिका मंदाना…खुद किया खुलासा

रश्मिका मंदाना जल्द ही नेटफ्लिक्स की फिल्म 'मिशन मजनू' में नज़र आनेवाली हैं. इस फिल्म में वो सिद्धार्थ मल्होत्रा के आपोजिकट नजर आनेवाली है. यह फिल्म 70 के दशक पर आधारित स्पाय थ्रिलर फिल्म है. इस फिल्म को लेकर उनसे खास बातचीत...

‘नेशनल क्रश’ रश्मिका मंदाना जल्द ही नेटफ्लिक्स की फिल्म ‘मिशन मजनू’ में नज़र आनेवाली हैं. यह फिल्म 70 के दशक पर आधारित स्पाय थ्रिलर फिल्म है. फिल्मों का पॉपुलर चेहरा रश्मिका हिंदी सिनेमा में भी अलग -अलग किरदारों के जरिए अपनी छाप छोड़नी चाहती हैं. उनकी इस फिल्म और कैरियर पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…

मिशन मजनू पहली हिंदी फ़िल्म थी, जिसकी शूटिंग आपने शुरू की थी, शूटिंग के अनुभव को कैसे याद करती हैं ?

शुरू में मैं बहुत डरी हुई थी, क्योंकि यह एक नया दल और पूरी तरह से नई टीम थी.इसके साथ ही नया और चुनौतीपूर्ण किरदार था, जिससे पेट में हमेशा तितलियां उड़ने जैसा महसूस होता था लेकिन जैसे ही शूटिंग शुरू हुई. टीम से मिलने के बाद मैं एकदम सहज हो गयी क्योंकि पूरी टीम ने मुझे बहुत कम्फर्ट दिया. इस फ़िल्म के सेट पर मैंने जमकर मिठाइयाँ खायी हैं. लखनऊ में शूटिंग के दौरान बहुत मच्छर सेट पर बहुत होते थे,लेकिन वे ज़्यादातर मेरे आसपास ही होते थे. जिस वजह से सिद्धार्थ मुझे मच्छर अट्रैक्टर बुलाता था.

इस फ़िल्म में आप दृष्टिबाधित लड़की की भूमिका में हैं, कितना इस किरदार के लिए होमवर्क से गुज़रना पड़ा?

दृष्टिबाधितों के बॉडी लैंग्वेज को समझने के लिए मुश्किल ट्रेनिंग से गुज़रना पड़ा. इस दौरान वों आपकी आँखों पर पट्टी बाँध देते हैं और आपके पास गेंद फेंकते हैं. आपको आवाज की मदद से उसे पकड़ना होता है. शुरूआत में यह बहुत ही मुश्किल भरा रहा लगता था. कई बार ट्रेनिंग के बाद मेरे सिर में दर्द होने लगता था. इसके साथ ही मैं ऐसी एक्ट्रेस हूं, जो अपने कोक्टर के आँखों की तरफ देखते हुए एक्टिंग करती है, लेकिन इस फ़िल्म में मुझे दूसरी तरफ देखकर एक्टिंग करना था. जो बहुत मुश्किल था, लेकिन इस दौरान मैंने जाना कि जब आपका एक अंग काम करना बंद कर देते हैं, तो दूसरे अंग और स्ट्रांग बन जाते हैं. मेरी ट्रेनिंग इतनी जबरदस्त हुई है कि अब मैं आंख बंदकर खाना भी बना सकती हूं.

70 के दशक को परदे पर लाने में कितना काम हुआ है?

निर्देशक और उनकी टीम ने बहुत मेहनत की है. छोटी -छोटी बातों का ध्यान रखा है. कपड़ों में ही नहीं बल्कि वाहनों में भी इस बात को बारिकी से उतारा गया है. यही वजह है कि फिल्म में सिद्धार्थ के किरदार को स्कूटी चलाते हुए दिखाया गया. वरना आमतौर पर हीरोज को बाइक पर ही दिखाया जाता है.

आपके कैरियर में पुष्पा ने आपको एक अभूतपूर्व सफलता दिलायी है, आपको नार्थ इंडिया में लोग श्रीवल्ली के नाम से जानते हैं, आपके किरदारों के नाम से आपको लोग जाने यह पहलू क्या आपको खुशी देता है?

अपने कैरियर के शुरूआती दिनों से ही मैंने अलग-अलग तरह के किरदार निभाए हैं,जिनसे लोगों ने मुझे पहचाना और दर्शकों ने इन किरदारों से मुझे जोड़ा. सान्वी, गीता, लिली से लेकर श्रीवल्ली तक . श्रीवल्ली एक बड़ा नाम बन गया है और निश्चित रूप से पुष्पा 2 से यह एक और बड़ा नाम बनेगा, लेकिन अगर मैंने अपनी अगली फ़िल्म के किरदार को भी श्रीवल्ली की तरह बना पायी और लोगों के जेहन में वह उसी तरह का छाप छोड़ पाया, तो असल में मैं विनर हूं ओ मेरा लक्ष्य शिद्द्त से अलग -अलग किरदारों को निभाना है ताकि लोग आगे भी मेरे किरदारों से मुझे जानें.

क्या आप खुश हैं जिस तरह से बॉलीवुड ने अब आपका स्वागत किया है?

शुरू में मुझे डर था कि मैं सबके साथ घुल-मिल पाऊंगी या नहीं, लेकिन जिस गर्मजोशी और प्यार से मेरा यहां पर स्वागत हुआ है, उससे मैं खुश हूं.

हिंदी सिनेमा में पैपराजी कल्चर हावी है, क्या ये आपको परेशान करता है ?

हां साउथ में पैपराजी का कल्चर नहीं है. यहां पर है, लेकिन मैं इससे परेशान नहीं होती हूं. मुझे लगता है कि वे अपना काम कर रहे हैं, जैसे हम अपना करते हैं. हर किसी का जीवन कठिन होता है, उनका भी है इसलिए मैं 30 सेकंड या एक मिनट की ही सही उनसे बातचीत करने की कोशिश करती हूं ताकि वह उन्हें थोड़ी देर के लिए ही सही थोड़ी सी खुशी दे जाए.

क्या इस कल्चर से हर समय अच्छा दिखने का दबाव नहीं बन जाता है?

असल में ऐसा नहीं है, यह आप पर है कि आप इसे दबाव की तरह लेते हैं या नहीं . मेरा मानना ​​है कि दिन के अंत में कोई भी इंसान परफेक्ट नहीं होता है. मेरे लिए एक अभिनेता के रूप में यह किसी भी दूसरे 9.00 बजे सुबह से से 9.00 बजे रात की नौकरी की तरह है, मैं अभिनय करती हूं. वों मेरा काम है. हमेशा खूबसूरत दिखना नहीं.

यहां काम करने में आपको क्या फर्क लगता है ?

मुझे नहीं लगता कि कोई अंतर है. अंतर उन अलग -अलग टीमों के साथ आता है, जिनके साथ आप काम कर रहे हैं. मैंने कन्नड़ फिल्मों से अपनी शुरुआत की थी और फिर मैंने पांच अलग -अलग भाषाओं कि फ़िल्म इंडस्ट्री में काम किया. इंडस्ट्री से कोई फर्क नहीं पड़ता है, लेकिन जो किरदार मैं निभाती हूं या जो कहानियां वे बताते हैं और जिन टीमों के साथ हम काम कर रहे हैं, उनसे फर्क पड़ता है. मैं मुंबई से प्यार करती हूं और मुझे यहां इतने प्यार से रखने के लिए शुक्रगुज़ार हूं.

अपनी आने वाली फिल्मों के बारे में बताएं?

20 जनवरी को मिशन मजनू रिलीज हो रही है. फिर मेरे पास रणबीर कपूर के साथ एनिमल है जैसा कि आप सभी जानते हैं कि वो 11 अगस्त, 2023 को रिलीज़ हो रही है. साल के अंत में एक और रिलीज़ होगी.

क्या आपने फ़िल्में साइन भी हैं?

मैं इस साल तीन फिल्मों की शूटिंग करूंगी, लेकिन मैं अभी बात नहीं कर सकती हूं, क्योंकि मुझे इसकी अनुमति नहीं है. एक बार उनकी घोषणा हो जाने के बाद हम इसके बारे में बात कर सकते हैं.

आप अपनी फिल्मों की डबिंग खुद करती हैं?

हां,मैंने अब तक कई भाषाओं में डब करने की कोशिश की है. यह ध्यान में रखने की कोशिश करती हूं कि हर भाषा के साथ लहजा भी अलग हो.

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