Exclusive: संघर्ष के दिनों में मैंने सेल्समैन का भी काम किया है- Shaheer Sheikh
छोटे परदे के लोकप्रिय चेहरों में से एक अभिनेता शहीर शेख इन दिनों धारावाहिक वो तो है अलबेला में नज़र आ रहे हैं.
छोटे परदे के लोकप्रिय चेहरों में से एक अभिनेता शहीर शेख इनदिनों धारावाहिक वो तो है अलबेला में नज़र आ रहे हैं. शहीर खुद को टीवी के लिए समर्पित बताते हुए कहते हैं कि वो किसी भी माध्यम के लिए टीवी को अलविदा नहीं कहेंगे बल्कि सभी माध्यम में बैलेंस बनाकर काम करने की उनकी तैयारी है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
वो तो अलबेला शो को हां की क्या वजह थी?
कई बार ऐसा होता है कि किसी इंसान की रुचि किसी अलग चीज़ में होती है लेकिन लोग उसे नहीं समझते हैं. इस शो में मेरा जो किरदार है. वो अलग है इसलिए सोसाइटी ने उसे पहले अपनाया नहीं लेकिन बाद में कैसे वो लोगों की जिंदगियों को छूता है. इसी की कहानी यह शो है. जहां तक मेरे हां कहने की बात है. मुझे अपने पसंदीदा लोगों के साथ एक बार फिर से काम करने का मौका मिला रहा था. यह राजन शाही शो के प्रोडक्शन हाउस का शो है. जिनके साथ मैं पहले भी काम कर चुका हूं. सच कहूं तो अगर मुझे किरदार नहीं भी पसंद आता तो भी मैं इस शो को हां ही कहता था,लेकिन मेरी किस्मत अच्छी थी कि मुझे मेरा किरदार पसंद आया. जिस तरह से राजन सर इस शो को प्रस्तुत करेंगे मेरे किरदार को वो मुझे अलग लगा.
आप इस किरदार से कितना मेल खाते हैं ,क्या आपकी चॉइसेज पर आपके परिवार या दूसरे लोगों ने सवाल उठाया है?
मैं पढ़ाई में उतना अच्छा और इंटेलिजेंट स्टूडेंट नहीं था. मेरी दोनों बहनें पढ़ाई में बहुत अच्छी थी तो मैं घर में हमेशा वो नालायक बेटा ही माना जाता था. थोड़ी देर लगी लेकिन मेरे परिवार वालों ने समझा कि कोई ज़रूरी नहीं कि अगर कोई बच्चा पढ़ाई में अच्छा नहीं है तो वो ज़िन्दगी में कुछ कर ही नहीं सकता है. हर इंसान का अलग अप्रोच होता है ज़िन्दगी को लेकर वो अपना रास्ता खुद चुनता है. जब उन्हें यह बात समझ आयी तो उन्होंने मुझे भी समझा.
एक्टर बनने के फैसले से एक्टर बनने तक की जर्नी में आपका संघर्ष क्या रहा है किस तरह से खुद को असफलताओं में मजबूत रखा?
संघर्ष का समय उस वक़्त था. जब मैं पुणे में था. कॉलेज के समय की बात कर रहा हूं. मैं उस वक़्त ये बात जानता था कि अगर आप ब्राइट ना हो तो आपको ज़्यादा मेहनत करनी होती है. मैं उस वक़्त पढ़ाई करने के साथ साथ काम भी करता था. अपना बीएमएस पूरा करने के बाद ही मैं एक्टिंग की दुनिया में आया लेकिन उससे पहले मैंने इवेंट मैनेज किया है. शॉप्स में सेल्समैन का काम किया है. दिन में कॉलेज रात में कॉल सेंटर्स ऐसी मेरी रूटीन थी. वो संघर्ष का दौर था लेकिन जब एक्टिंग में आया चीज़ें ठीक होती चली गयी है. पुणे में रहते हुए ही मुझे एक टीवी शो मिल गया. उसके बाद मैंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक्टिंग में काम मिलता चला गया.
इस शो को लेकर चर्चा है कि रुबीना दिलैक इस शो को करने वाली थी लेकिन आपकी वजह से हिबा नवाब को शो में लाया गया क्योंकि आपकी पेयरिंग ज़्यादा युवा दिखती है?
सच कहूं तो मैंने राजन सर से पूछा भी नहीं कि मेरे अपोजिट कौन हैं. मुझे नहीं पता कि पहले किसी और को इसके लिए चुना गया था. मुझे अपनी अभिनेत्री के नाम के तौर पर हिबा का नाम ही पता चला था. मैंने उनके साथ सीन्स किए हैं. वो बहुत ही टैलेंटेड हैं. एक एक्टर के लिए कोएक्टर का ट्यूनिंग में होना बहुत ज़रूरी है क्योंकि वो एक्शन रिएक्शन वाला ही पूरा मामला है. हिबा और मेरे में वो ट्यूनिंग है.
ओटीटी भी आप कर रहे हैं और टीवी भी कभी लगा नहीं कि टीवी से ब्रेक लेकर ओटीटी और फिल्मों पर फोकस करूं जैसे आमतौर पर टीवी अभिनेता करते हैं?
मेरी जर्नी आप देखें तो इंडस्ट्री में मेरे परिवार का कोई जान पहचान वाला भी नहीं था. मुझे जो कुछ भी मिला है और मैं जो कुछ भी हूं. वो टीवी की वजह से हूं. टीवी ने ही मुझे मेरे दर्शकों तक पहुंचाया है. अगर एक माध्यम ने आपको इतना कुछ दिया है तो आप भी उसे कुछ देना चाहेंगे. मैं ये बोलकर कि टीवी पर अच्छा कंटेंट नहीं है इसलिए मैं फिल्मों पर फोकस करूंगा. यह कहने वालों में से नहीं हूं बल्कि मैं टीवी पर ही कुछ अच्छा कंटेंट बनाने की कोशिश करने वालों में से हूं. अपनी तरफ से कोशिश करूंगा कि इंडियन टेलीविजन स्टैण्डर्ड को अपनी तरफ से थोड़ा ऊपर ले जाऊं. मैं इस बात के लिए अपने आपको बहुत खुशनसीब समझता हूं कि मैं उनलोगों तक पहुँच पाता हूं ,जो शायद थिएटर तक नहीं जा पाते हैं. औरतें,बुजुर्ग और बच्चे. जिनके लिए मनोरंजन का मतलब टीवी है. ऐसा नहीं कि मैं फिल्में नहीं करना चाहता हूं लेकिन मैं टीवी से भी लॉयल हूं. मुझे जब भी टीवी कुछ अच्छा आफर करेगा तो मैं ना नहीं कहूंगा.
क्या ये महसूस होता है कि आपकी क्षमता के साथ टीवी न्याय नहीं कर पायी है,आपकी इमेज एक रोमांटिक हीरो वाली ही टीवी में रही है?
मैं खुद को लकी समझता हूं कि मुझे बहुत अलग अलग तरह के किरदार टीवी इंडस्ट्री में करने को मिले हैं. मैं ऐतिहासिक किरदार भी किए हैं. इसबात को कहने के साथ मैं कहना चाहूंगा कि ये तो फिल्मों में भी होता है. अगर आप एक्शन हीरो बन गए हैं तो उनके लिए भी आसान नहीं होता है एकदम से कुछ अलग किरदार करना. बहुत सारे एक्टर्स एक ही इमेज में रह जाते हैं. शायद ऑडियंस उनको उसी तरह से देखना चाहती है.ओटीटी मौजूदा दौर में ऐसा माध्यम है जिसमें एक्टर्स को बहुत अलग अलग मौके मिल रहे हैं. मैं ओटीटी में एक दो शो कर चुका है. आगे कुछ भी कुछ अलग कुछ रोचक सा करने की प्लानिंग है. जहां तक फिल्मों की बात है तो किस्मत में होंगी तो मिल जाएंगी. मैं बताना चाहूंगा कि मैं तीन साल तक इंडोनेशिया में था. वहां मैंने दो तीन शोज किए थे. मेरी कोई प्लानिंग नहीं थी लेकिन वह हो गया. मैं हमेशा कहता हूं कि मैं प्लान नहीं कर सकता हूं क्योंकि वो तो ऊपरवाला करता है. मैं सिर्फ ख्वाइश कर सकता हूं.
क्या आपको फिल्मों के ऑफर्स आते हैं?
आते हैं. कई बार मैं कोई टीवी शो कर रहा था. उस वक़्त आए तो मैं नहीं कर पाया. हां कुछ बड़ा अभी तक ऑफर नहीं हुआ है. ऑडिशन्स देता रहता हूं.
टीवी इंडस्ट्री के कंटेंट पर टीआरपी हमेशा भारी पड़ी है,लॉकडाउन के बाद टीवी पर शो कुछ महीने में ही अब बन्द हो जा रहे हैं इस ट्रेंड को कैसे देखते हैं?
मुझे लगता है कि भारत ही एक ऐसा देश है जिसके टीवी शो सालों साल चलते हैं. ज़्यादातर जगहों पर छह से सात महीने ही शो चलते हैं. अच्छा शो होता है तो फिर अगला सीजन आता है. मुझे लगता है कि हम जो एक स्टोरी बताना चाहते हैं वो एक तय समय में खत्म हो जानी चाहिए. मैं कई ऐसे शोज का हिस्सा रहा हँ. जो अच्छे चल रहे थे लेकिन स्टोरी ओवर हो गयी तो शो बन्द कर दिए गए. स्टोरी को बेवजह नहीं खींचा गया. दूसरे सीजन के ज़रिए आगे की कहानी बढ़ायी गयी. उस हिसाब से यह ट्रेंड अच्छा है लेकिन एक्टर्स के लिए ये चैलेंजिंग रहता है कि उन्हें कुछ महीने बाद अपने लिए नया शो ढूंढना पड़ता है.
क्या आपके लिए भी यह चुनौती होती है या ऑफर्स आप तक खुद हमेशा सामने से पहुंच जाते हैं?
बहुत बार इंतज़ार करना पड़ा है. बहुत बार शो खत्म होने से पहले दूसरा शो अपने आप आया है. अगर आप 100 प्रतिशत लगन के साथ काम करें तो निर्माता फिर से आपके साथ काम करना चाहेगे क्योंकि टीवी में हर दिन आपको नए सीन ,नए इमोशन्स के साथ अपने दर्शकों को एंटरटेन करना होता है. जो मुश्किल का काम है. उसमें बहुत मेहनत चाहिए होती है.
हाल ही में आप पिता बनें हैं,इस नयी खुशी और जिम्मेदारी ने आप में क्या बदलाव लाया है?
ज़िन्दगी में बहुत सारे बदलाव आए हैं. (हंसते हुए)कैसे क्या क्या बताऊँ?मतलब मुझे लगता था कि मैंने बहुत कुछ ज़िन्दगी में अनुभव कर लिया है. मैंने अपनी बहनों के बच्चों के साथ बहुत सारा समय बिताया है. मैं उन्हें बहुत प्यार करता हूं. जब मैं पापा बनने वाला था ,तो लगा था कि वैसा ही कुछ महसूस होगा. इससे ज़्यादा प्यार क्या और किससे हो सकता है ,लेकिन जब मैंने अपनी बेटी को अपने हाथों में लिया तो महसूस किया कि इसकी तुलना ही नहीं हो सकती है. अपने बच्चे के अंदर अपने आपको देखो, तो वो फीलिंग्स ही अलग होती है.