Holi 2024: टीवी के ये स्टार्स ऐसे खेलते है होली, अमृता खानविलकर से लेकर विभव रॉय ने शेयर की यादें
Holi 2024: टीवी एक्टर अंकित बाथला ने होली को लेकर बात करते हुए कहा, होली का नाम सुनते ही सबसे पहले मुझे गुजिया, कलर और रेनडांस की याद आती है
Holi 2024: रंगों का त्योहार ‘होली’ खुशियों और सद्भाव का पर्व है. बदलते वक्त के साथ होली खेलने के तौर-तरीकों में कई बदलाव आये हैं. पानी और रंगों से सराबोर यह त्योहार अब बदलते वक्त के साथ सूखी होली का रंग खुद में चढ़ाये जा रहा है. सेलिब्रिटिज यहां अपनी होली की यादों, तैयारियों के साथ-साथ होली खेलने के अपने पसंदीदा अंदाज को भी बयां कर रहे हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश.
अमृता खानविलकर : बचपन में हमने जो होली खेली थी, वो वापस लौटनी चाहिए
जब कभी बात होली की होती है, तो मुझे सबसे ज्यादा याद होलिका दहन की आती है. होली की वह अग्नि बुराइयों और दुखों का नाश करती है. हम मराठियों में सफेद लाई उसमें अर्पित करने की परंपरा है. उसके चटकने की आवाज मुझे आज भी याद है. पिचकारी की पिचक वाली आवाज और पानी से भरा गुब्बारा किसी की पीठ के ऊपर जोर से पड़ता है, तो उसकी आवाज क्या होती है, मुझे उसकी भी याद होली के नाम से आती है. जहां तक बचपन की होली की बात है, तो वो बहुत यादगार थी. हम लोग कॉलोनी में खेलते थे और कॉलोनी वाले ऊपर से पानी डालते थे. आजकल की होली बहुत ग्लैमराइज हो गयी है. उसमें कहीं भी वो बचपन का रंग नहीं है. मुझे लगता है कि जो बचपन में हमने होली खेली थी, वो वापस लौटनी चाहिए. होली का ग्लैमराइजेशन खत्म होना चाहिए. अब होली थोड़ा बहुत गुलाल से खेल लेती हूं. इस साल भी ऐसे ही खेलूंगी. वैसे रंग जो स्किन पर रह जाते हैं, उनसे मैं बहुत डरती हूं. एक वक्त था, जब लोग सिल्वर और गोल्डन रंग लगा देते थे, तो मैंने होली खेलना ही बंद कर दिया था. मेरे लिए होली का मतलब गुलाल और पानी है और मैं वो बहुत एन्जॉय करती हूं.
विभव रॉय : हम दोस्तों के साथ पानी से नहीं, कीचड़ से खेलते थे होली
होली का नाम सुनते ही सबसे पहले मुझे रंग, मिठाई, खुशी, दोस्त और परिवार का ख्याल आता है. जहां तक बचपन की होली की बात है, तो वो काफी यादगार होती थी. क्योंकि उस वक्त हम बिना कुछ सोचे जो भी हमारे हाथ में होता था, उसके साथ होली खेलते थे. हमें इसका ध्यान नहीं रहता था कि रंग स्किन फ्रेंडली है या नहीं. हम दोस्तों के साथ पानी ही नहीं, कीचड़ में भी कूद जाते थे. रही बात इस बार की होली की, तो मेरे माता-पिता मुझसे मिलने आ रहे हैं. इस साल की होली पूरी तरह से परिवार को समर्पित रहेगी. मैं अपने परिवार के साथ होली मनाऊंगा. मेरी मां को रंगों और पानी वाली होली पसंद नहीं है, तो गुलाल और लजीज खाने के साथ ही मैं इस बार होली सेलिब्रेट करूंगा.
अंकित बाथला : गुजिया, कलर और रेनडांस की याद दिलाती है होली
होली का नाम सुनते ही सबसे पहले मुझे गुजिया, कलर और रेनडांस की याद आती है. जहां तक बचपन की होली का सवाल है, मेरे लिए यादगार होली का मतलब बचपन की होली है. होली के दिन मम्मी सुबह उठते के साथ ही सबसे पहले मेरे पूरे शरीर और बालों में तेल लगाती थी. मुंह में क्रीम लगाती थी, ताकि रंग पक्का ना चढ़ जाये, क्योंकि मैं बेपरवाह होकर होली खेलता था. चूंकि, हमें अगले दिन स्कूल जाना होता था, इसलिए मां को चिंता रहती थी. होली की शॉपिंग करने जाते थे, जिसमें कलर्स, पिचकारी के साथ सफेद कपड़े भी होते थे. इस बार मैं अपने दोस्तों के साथ ही होली सेलिब्रेट करूंगा. हम बढ़िया-सा खाना खाते हैं और वह खुद ही बनायेंगे भी. मुझे रंग बहुत पसंद है. एकता का एहसास होली करवाता है, क्योंकि जब रंग लग जाता है, तो किसी भी इंसान का न रूप दिखता है, न रंग. सब एक से दिखते हैं. मुझे निजी तौर पर रंग और पानी दोनों ही बहुत पसंद है.
रोमित राज : रंग और रेनडांस से जुड़ी मस्ती को ताजा कर देती है होली
मुझे होली उन यादों में लेकर चली जाती है, जो मैंने अपनी मम्मी, पापा और भाई के साथ मनायी थी. रंग एवं पानी से भरे गुब्बारे और रेनडांस से जुड़ी सारी मस्ती और शरारतें याद आने लगती हैं. जब आप बात बचपन की होली की कर रही हैं, तो उन दिनों की होली काफी यादगार होती थी. मैं एक दिन नहीं, बल्कि सात दिन होली खेलता था. मेरी मां घर में आने वाले सभी लोगों को अपने हाथों से बनी ठंडाई और गुजिया से ट्रीट करती थी. मेरे पापा होली की डिशेज खुद बनाते थे, तो यह सब बहुत खास होता था. जहां तक बात इस बार की होली की है, तो मैंने कुछ वर्षों से होली खेलना बंद कर दिया है. अब मन ही नहीं होता है. जिन लोगों के साथ मैं होली खेला करता था, उनको मैं बहुत मिस करता हूं. अब होली मेरे लिए पहले जैसी नहीं रही. वैसे मेरी बेटी रेहा होली खेलने को लेकर बहुत उत्साहित है. उसके एग्जाम चल रहे हैं, लेकिन मैं उसे रोकूंगा नहीं.
शिरीन सेवानी : रंगों से भरे गुब्बारे और अंडे के साथ खेलती थी डर्टी होली
जब कभी बात होली की होती है, तो सबसे पहले मुझे रंग, बैलून, अंडे और खुशी का ख्याल आता है. मौजूदा परिदृश्य से बचपन की होली तुलना करें, तो मुझे पता है कि यह बोलने में अच्छा नहीं लगेगा, लेकिन मैं डर्टी होली खेलती थी और मेरी सबसे पसंदीदा होली वही रही है. होली शुरू हो गयी मतलब मैं अपने दोस्तों को बोलूंगी चल अंडे लेकर आते हैं. रंगों से भरे गुब्बारे के साथ-साथ मैं अंडे भी लोगों पर मारती थी. जहां तक बात इस बार की होली की प्लानिंग की है, तो मुझे डर्टी होली ही खेलना पसंद है, लेकिन इस साल मैं चाहकर भी वैसी होली नहीं खेल पाउंगी, क्योंकि कुछ दिनों पहले ही मैं मां बनी हूं. मेरे बेटे की पहली होली होगी, तो यह सूखे भी नहीं जायेगी. मैं गुलाल का टिका लगाकर अपने पसंदीदा व्यंजनों के साथ होली को सेलिब्रेट करूंगी.
वैशाली म्हाडे : बचपन में जंगल के रंग-बिरंगे फूलों से तैयार पानी से खेलते थे होली
मेरे लिए होली मतलब खुशी और अपनों का साथ है. अपने-अपने काम और करियर के लिए लोग बिखर से जाते हैं, लेकिन होली के त्योहार में परिवार एकजुट होकर इसे एक साथ मनाता है. यह मुझे बहुत खास बात लगती है. मेरे बचपन की होली की बहुत ही खूबसूरत यादें हैं. स्कूल के समय की बात है, होली के कुछ दिन पहले हम जंगल जाते थे और जंगल के जो रंग-बिरंगे फूल होते थे, उनको चुनकर लाते थे और उनको उबाल पर जो रंग-बिरंगा पानी निकलता था, हम लोग उसी से होली खेलते थे. नेचर से हम होली खेलते थे, तो वह होली बहुत खास थी. उस होली को मैं बहुत मिस करती हूं. वहीं, इस साल की होली बहुत खास होने वाली है. इस साल मैं नंदुमार्ग के आदिवासियों के साथ होली मनाने वाली हूं. उनकी होली की परंपरा को देखने के लिए मैं बहुत ही उत्साहित हूं.