जीवन के आखिरी दिन अकेलेपन से जूझ रहे थे माइकल जैकसन

नयी दिल्ली : पॉप गायक माइकल जैकसन के जीवन के आखिरी दिनों में उनके साथ रहे उनके दो अंगरक्षकों ने अपनी किताब ‘‘ रिमेंबर द टाइम प्रोटेर्क्टिंग माइकल जैकसन इन हिज फाइनल डेज’’ में लिखा है कि उनके व्यक्तित्व को समझना थोडा पेचीदा है उन्होंने अपने हुनर से कई जिंदगियों को संवारा और करोडों डॉलर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 16, 2014 3:53 PM

नयी दिल्ली : पॉप गायक माइकल जैकसन के जीवन के आखिरी दिनों में उनके साथ रहे उनके दो अंगरक्षकों ने अपनी किताब ‘‘ रिमेंबर द टाइम प्रोटेर्क्टिंग माइकल जैकसन इन हिज फाइनल डेज’’ में लिखा है कि उनके व्यक्तित्व को समझना थोडा पेचीदा है उन्होंने अपने हुनर से कई जिंदगियों को संवारा और करोडों डॉलर का दान दिया लेकिन वह कहीं न कहीं एक निजी दर्द से जूझते रहे.

बिल वाइटफील्ड और जेवन बीयर्ड ने अपनी किताब में जैकसन के परिवार और बाहरी दुनिया के बीच एकमात्र द्वारपाल होने की भूमिका के अनुभव को दर्ज किया है. वे दोनों पॉप के राजा कहे जाने वाले जैकसन के साथ तीन साल तक बहुत नजदीक रहे जब तक 2009 में एनेस्थीसिया की अधिक मात्र दिए जाने से उनकी मौत नहीं हो गई. अपनी किताब में दोनों ने कहा है कि वे (जैकसन) चाहते थे कि दुनिया उनके अंदर के अच्छे इंसान को देखे और एक अद्भुत पिता के रुप में जाने. वाइटफील्ड जो पहले रैपर सीन कॉम्ब्स के सुरक्षा प्रमुख थे ,ने लिखा है कि जैकसन किसी पर भरोसा नहीं करते थे.

वाइटफील्ड कहते हैं, ‘‘वह थोडे अलग किस्म के थे और बहुत ज्यादा सोते नहीं थे. वे हमेशा रात को 3-4 बजे के दौरान घर का चक्कर लगाने निकल जाते थे और घर के सभी दरवाजों के तालों को जांचते थे.’’ अंगरक्षक लिखते हैं कि उनके घर में कोई भी बिना पूर्वाअनुमति के नहीं आ सकता था सिवाय उनकी मां कैथरीन जैकसन के जैकसन के पिता और भाई-बहन तक को उनसे अनुमति लेकर आना पडता था.

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