”ट्रांसफॉर्मर्स ऐज ऑफ एक्सटेंशन’:फैंस को नहीं भा रहा शोर-शराबा

नयी दिल्ली: फिल्म ‘ट्रांसफॉर्मर्स: ऐज ऑफ एक्सटेंशन’ की मिली जुली प्रतिक्रिया आ रही है. इस फिल्म में वह सब है जो किसी ट्रांसफॉर्मर्स’ मूवी से दर्शक उम्मीद करते हैं. यह 165 मिनट की फिल्म है. इस फिल्म में शोर-शराबा काफी है. इसलिए कुछ फैंस को यह फिल्म पसंद नहीं आ रही है. फिल्म की शुरुआत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 29, 2014 10:46 AM

नयी दिल्ली: फिल्म ‘ट्रांसफॉर्मर्स: ऐज ऑफ एक्सटेंशन’ की मिली जुली प्रतिक्रिया आ रही है. इस फिल्म में वह सब है जो किसी ट्रांसफॉर्मर्स’ मूवी से दर्शक उम्मीद करते हैं. यह 165 मिनट की फिल्म है. इस फिल्म में शोर-शराबा काफी है. इसलिए कुछ फैंस को यह फिल्म पसंद नहीं आ रही है. फिल्म की शुरुआत में ही पर्दे पर कैड येगर यानि मार्क वह्ल्बर्ग आते हैं.

यह फिल्‍म के मुख्‍य नायक हैं जो एक ओवर प्रोटेक्टिव सिंगल फादर है और जो अमेरिका के टेक्सास प्रांत में स्क्रैप-कलेक्टर-कम इन्वेंटर है, जिसे पता चलता है कि उसका टूटा फूटा ट्रक असल में ऑटोबॉट्स का लीडर ऑप्टिमस प्राइम है.पर एक ऐसे फ्यूचर में सेट जहां सरकार ने सभी ट्रांसफॉर्मर्स पर अनऑफिसिअल वॉर डिक्लेयर कर दी है, ये फिल्म आखिर में तबदील होती हैएक से चेस में जिसमें शामिल है, कैड, उसकी टीनएज बेटी, उसका बॉयफ्रेंड और ऑप्टिमस और उसके कुछ दोस्त.

फिल्म का ये प्लॉट जो टेक्सास से शिकांगो, शिकांगो से बीजिंग और वहां से हांगकांग घूमता रहता है, और पेचीदा हो जाता है जब टेक्नॉल्जी की दुनिया के बादशाह स्टीव जॉब यानी स्टैनले टुक्की की मौजूदगी से, जो एक करप्ट सीआईए एजेंट के साथ मिलकर उन ट्रांसफार्मर्स को डुप्लीकेट करके खूब सारा मुनाफा कामना चाहता है. फिल्म में अलग-अलग ग्लैक्सीएस के बीच घूमता एक रोबोट है जिसका नाम लॉकडाउन है. जो ऑप्टिमस को पकड़ने के चक्कर लगाता रहता है.

Next Article

Exit mobile version