क्यों आज भी हृषीकेश मुखर्जी की फिल्में दिल को छू जाती हैं?
बॉलीवुड के मास्टर स्टोरीटेलर, हृषीकेश मुखर्जी ने सिनेमा को वो मिठास दी, जो शायद अब कम ही देखने को मिलती है. उनकी कहानियां सीधी, दिल से जुड़ी और जिंदगी की असली जद्दोजहद को दिखाने वाली थीं. उनका सिनेमा ऐसा था जिसे देखकर लगता था जैसे आप अपने आस-पास के लोगों की ही कहानी देख रहे हैं.
आम लोगों की कहानियों के मास्टर थे मुखर्जी
मुखर्जी ने अपनी फिल्मों में मिडिल क्लास हीरोज को दिखाया, और शायद यही वजह थी कि लोग उनकी कहानियों से तुरंत कनेक्ट हो जाते थे. उनकी फिल्मों में ग्लैमर या हाई-प्रोडक्शन वैल्यू नहीं थी, लेकिन उनकी सादगी में ही खूबसूरती थी. ‘आनंद’ से लेकर ‘चुपके चुपके’ तक, उन्होंने दिखाया कि असली कहानियां वो होती हैं जो दिल तक पहुंचती हैं, ना कि वो जो बस बड़ी दिखती हैं.
मुखर्जी की फिल्मों में थे असली इमोशन्स
मुखर्जी की फिल्मों में एक खास बात थी – वो आपकी हंसी, आपके आंसू, और आपके इमोशन्स को पूरी तरह से छू लेती थीं. जैसे फिल्म ‘आनंद’. इसमें आप हंसते भी हैं और रोते भी हैं, और फिर से हंसते हैं. ऐसा नहीं है कि फिल्म आपको किसी तरह से इमोशनली ब्लैकमेल करती थी, बल्कि वो बस असली जिंदगी को आपके सामने रखती थी. ‘मिली’ और ‘सत्यकाम’ जैसी फिल्मों में उन्होंने दिखाया कि जिंदगी को जीना है, भले ही मौत नजदीक हो, और कुछ चीज़ें ऐसी होती हैं जिनके लिए मरना भी जायज है.
क्लासिक फिल्में जो कभी पुरानी नहीं होतीं
मुखर्जी की ‘चुपके चुपके’ और ‘गोलमाल’ जैसी कॉमेडी क्लासिक्स आज भी लोगों के चेहरे पर मुस्कान ला देती हैं. उन्होंने साबित किया कि बड़ी-बड़ी एक्शन या मसाला फिल्में ही सब कुछ नहीं होतीं, बल्कि एक सिंपल कहानी भी आपका दिल जीत सकती है. जैसे ‘गुड्डी’ और ‘अभिमान’ में उन्होंने दिखाया कि रियल लाइफ ग्लैमर से कितना अलग होता है.
आम आदमी का सिनेमा
मुखर्जी की फिल्मों में सुपरस्टार्स भी आपको आम लोगों जैसे ही लगते थे. चाहे वो राजेश खन्ना हों या अमिताभ बच्चन, उनकी फिल्मों में ये स्टार्स किसी ऑफिस में काम करने वाले या आपके पड़ोसी जैसे ही लगते थे. और यही उनकी फिल्मों की खासियत थी. उनकी फिल्मों में जो इमोशन्स दिखाए जाते थे, वो सीधे आपके दिल से जुड़ जाते थे.
इंसानी रिश्तों की गहराई थी मुखर्जी की फिल्मों में
मुखर्जी की हर फिल्म में इंसानी रिश्तों की गहराई को दिखाया गया था. ‘बावर्ची’ जैसी फिल्म में उन्होंने एक बड़े से परिवार को दिखाया, जो बाहर से भले ही एकदम डिस्फंक्शनल लगता हो, लेकिन अंदर से उसमें ढेर सारा प्यार छिपा हुआ होता है. ‘खूबसूरत’ में उन्होंने जनरेशन गैप को दिखाया, लेकिन यह भी बताया कि हर पीढ़ी की अपनी खासियतें और कमजोरियां होती हैं.
आज हृषीकेश मुखर्जी हमारे बीच नहीं है, पर उन्होंने अपने टैलेंट से बॉलीवुड को इतनी अच्छी फिल्में और कहानिया दी है जो उन्हें अमर बनाती है, आज उनकी जन्मतिथि पर प्रभात खबर की पूरी टीम उन्हें दिल से याद करती है.
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