सफर, तू भी सताया जाएगा और मुस्कुराएगा इंडिया जैसे एक के बाद एक सफल गीतों के गीतकार कौशल किशोर इनदिनों टाइगर श्रॉफ के साथ अपने नए सिंगल वंदेमातरम को लेकर सुर्खियों में हैं. बिहार के ढाका के रहने वाले कौशल किशोर कहते हैं कि देश के लिए जितने गाने लिखने का मौका मिले वो कम है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत…
वंदे मातरम का रिस्पांस कैसा मिल रहा है क्या था गाने के बनने का पूरा प्रोसेस?
वंदे मातरम गीत से पूरा देश पहले से ही जुड़ा हुआ है. ये गाना उनको और कनेक्ट कर गया है क्योंकि भाषा आसान है. इस गाने पर दो साल पहले से काम चल रहा था मुस्कुराएगा इंडिया से पहले से ये गाना चल रहा है. हर बार देश के हालात बदल जा रहे थे. कभी लॉक डाउन हो जा रहा था. कभी अचानक से बहुत सारी मौतें हो जा रही थी. कभी बहुत जॉब जा रहे थे. हमें लगा गाने को रिलीज करने के लिए सही वक्त नहीं रहेगा. शूट भी हम काफी अलग तरह से करना चाहते थे जो लॉकडाउन में संभव नहीं था. हम शुक्रगुज़ार हैं कि टाइगर इस गाने से जुड़े. जिस वजह से बहुत कम समय में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों से ये गाना कनेक्ट हुआ. कोरोना के बाद जो हालात बनें हैं उसमें ये गाना हर किसी को मोटिवेट करने लिए उद्देश्य से बनाया गया है.
देश भक्ति का सुबूत देने के लिए अक्सर लोगों से जबरदस्ती वंदेमातरम या राष्ट्रगान गवाया जाता है उसपर आपकी क्या सोच है?
मैं मानता हूं कि इस देश में थोपने की कोई जगह नहीं हैं. इस देश का लोकतंत्र इसकी इजाजत नहीं देता है. अपनी अपनी इच्छा है. कोई वंदे मातरम गा रहा है कोई नहीं गा रहा हैं लेकिन मुझे लगता है कि देश के प्रति जान देने की नीयत सब में होनी चाहिए. आप मार पीट कर किसी से अपनी बात नहीं मनवा सकते हैं. हां गुजारिश कर सकते हैं फिर सामने वाले पर है।वो माने या ना माने.आपका पिछला गीत मुस्कुराएगा इंडिया काफी कामयाब हुआ था अभी वंदे मातरम रिलीज हुआ है देश से जुड़ा गीत लिखने में ज़्यादा प्रेशर महसूस होता है?
आपका पिछला गीत मुस्कुराएगा इंडिया काफी कामयाब हुआ था अभी वंदे मातरम रिलीज हुआ है देश से जुड़ा गीत लिखने में ज़्यादा प्रेशर महसूस होता है?
मैं प्रेशर महसूस नहीं करता हूं. मुझे लगता है कि यह एक मौका है. जब आपको देश पर ही कुछ लिखने को मिल रहा है. मुस्कुराएगा इंडिया गाने को लोगों ने इतना प्यार दिया कि देश के ऊपर और गाने लिखने के लिए हिम्मत बढ़ी. रिलायंस फाउंडेशन के लिए मैंने एक और गाना लिखा था जीता रहे मेरा इंडिया. जितना मौका देश के लिए लिखने को मिलेगा. मुझे लगता है कि वो कम है.
अपने बैकग्राउंड के बारे में बताइए और संघर्ष क्या रहा था?
मैं बिहार के ढाका से हूं. क्लास पांचवीं में ही तय कर लिया था कि गीतकार बनना है. मैंने हर तरह का संघर्ष किया है. मैं जहां से हूं वहां के लोगों को एक ही बात समझ आती है कि फ़िल्म लाइन मतलब हीरो बनना है. गीतकार क्या होता है उन्हें नहीं पता है. ऐसे में कदम कदम पर आपको अपने सपनों के लिए सुनना पड़ता है. मैं लकी था कि मेरे माता पिता को मुझ पर भरोसा था. उन्होंने मुझे बहुत सपोर्ट किया. मुम्बई में रहने के लिए उन्होंने मुझे आर्थिक मदद भी की. मैं 16 साल की उम्र में ही मुम्बई आ गया था. बहुत संघर्ष किया तो आज इस मुकाम पर पहुंचा हूं कि लोग मुझे मेरे नाम से जानने लगे हैं. सलमान खान मुझसे बात करते हैं. मेरे गानों की तारीफ करते हैं. मेरे लिए तो ये एक सपना है. बचपन से उनको देखकर बड़ा हुआ हूं तो मेहनत रंग ला रही है.
सिंगर और कंपोजर विशाल मिश्रा के साथ अपने रिश्ते को किस तरह से परिभाषित करेंगे?
विशाल के साथ मेरा गहरा रिश्ता है अगर मैं बोलूं कि मैं उनका भाई हूं तो मैं कम ही बोलूंगा. विशाल और मैंने जो पहला गाना किया था उसका नाम था हंसते भारत की हमको तलाश है. 2011 में हमने इसे बनाया था. वहां से शुरू हुआ सफर वंदे मातरम तक. विशाल और मैं स्टूडियो में 18 घंटे साथ रहते हैं. हम एक जैसे ही हैं इसलिए हम एकदूसरे को समझते हैं.
इंडस्ट्री में गीतकारों को क्या उनका वो हक मिलता है जिसके वे हकदार हैं?
नहीं , निर्माता निर्देशकों को ये बात समझ नहीं आती है कि शब्द नहीं होंगे तो सिंगर गाएगा क्या. धुन को आप कितना फिल्माओगे. याद तो शब्द ही रहते हैं. थोड़े हालात बदले हैं लेकिन लंबी लड़ाई बाकी है. लड़ेंगे चुप नहीं बैठेंगे.
आपके आने वाले प्रोजेक्ट्स कौन से हैं?
मैं तलाक पर एक गाना लिख रहा हूं. मैं उन चीजों पर गाना लिख रहा हूं. जिस पर लोग ज़्यादा बात नहीं करना चाहते हैं. जिससे लोग घबराते हैं. मैं उनपर बात कर रहा हूं. मैं यहां म्यूजिक के खांचों को भरने के लिए नहीं आया हूं. मेरे पास बहुत सारी कहानियां हैं. जो मुझे कहनी हैं. ऐसे गाने लिखूंगा जिनसे लोगों की ज़िंदगी पर फर्क पड़ेगा सोचने पर नहीं. इस गाने के अलावा 12 से 14 गाने मेरे इस साल आएंगे.