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नहीं रहीं बुलबुल-ए-पाकिस्तान, 71 साल की उम्र में हुआ निधन, भारत से था नायरा नूर का गहरा नाता

पाकिस्तान में नायरा नूर के लाखों प्रशंसकों को उनके निधन से आघात पहुंचा है. बात करें नायरा के गीत और गजलों की तो कई फिल्मों को उन्होंने अपनी गीतों और गजलों से संवारा है. उन्होंने 1971 में पहली बार एक टीवी सीरियल में अपनी आवाज दी थी. इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में गीत गाए.

पाकिस्तान की मशहूर सिंगर और मेलोडी क्वीन के नाम से विख्यात नायरा नूर (Nayyara Noor) का निधन हो गया है. नायरा 71 साल की थीं. बीते काफी समय से वो बीमार थीं. आज यानी रविवार को कराची में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन की बात उनके भतीजे ने सोशल मीडिया पर शेयर की. वहीं नायरा की मौत से उनके प्रशंसकों में घोर निराशा है. बता दें, नायरा को उनकी गायकी के चलते बुलबुल-ए-पाकिस्तान का टाइटल मिला था.

निधन से फैंस में घोर निराशा: नायरा नूर के निधन से उनके चाहने वालों में निराशा है. सोशल मीडिया में उनके कई प्रशंसकों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है. उनके प्रशंसकों ने उनकी आत्मा की शांति के लिए दुआ की. उनके निधन पर पाकिस्तानी मशहूर डायरेक्टर सह प्रोड्यूसर नादिया फातिमा जैदी कहा कि उनके निधन से मैनें अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा खो दिया. उनकी आवाज, उनकी गजलें और गीत हमेशा गूंजते रहेंगे.

कई गानों और गजलों को दी आवाज: पाकिस्तान में नायरा नूर के लाखों प्रशंसकों को उनके निधन से आघात पहुंचा है. बात करें नायरा के गीत और गजलों की तो कई फिल्मों को उन्होंने अपनी गीतों और गजलों से संवारा है. उन्होंने 1971 में पहली बार एक टीवी सीरियल में अपनी आवाज दी थी. इसके बाद उन्होंने कई फिल्मों में गीत गाए. फिल्म तानसेन और घराना जैसी फिल्मों में उन्होंने गाना गाया. गीतों के अलावा नायरा नूर ने गालिब और फैज जैसे विख्यात गजल लेखकों की रचना को अपनी आवाज दी.

भारत से था नायरा का गहरा नाता: नायरा भले ही पाकिस्तान में रहने चली गई थीं. लेकिन उनका जन्म भारत में हुआ था. भारत में ही उन्होंने अपनी जिंदगी के 10 बसंत गुजारे थे. जन्म 3 नवंबर 1950 को वो असम के गुवाहाटी में जन्मी थीं. भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के करीब 10 सालों बाद वो पाकिस्तान चली गई थीं. पाकिस्तान में गायकी के क्षेत्र में वो निरंतर आगे बढ़ती गईं. उनकी सुरीली और नायाब आवाज के लिए उन्हें कई पुरस्कारों और सम्मान से नवाजा गया था.

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