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IPTA के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणबीर सिंह का निधन, तनवीर अख्तर बोले- पारसी थियेटर के पैरोकार को खो दिया

रणबीर सिंह के साथ बिताये पलों को याद करते हुए बिहार इप्टा के महासचिव तनवीर अख्तर ने कहा कि, रणबीर सिंह की सक्रिय भूमिका आगरा कन्वेंशन से शुरू हुई और उम्र भर IPTA आंदोलन को नए ओज पर लाने का प्रयास किया.

इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणबीर सिंह का निधन हो गया है. देश ने पारसी थियेटर के जानकार और वर्षों पुरानी इस सांस्कृतिक विरासत के पैरोकार को खो दिया है. रणबीर सिंह ने पारसी थियेटर को उसके मौलिक स्वरूप में नाटक करने वालों और दर्शकों के बीच लाने का काम किया. देश विदेश के कई नाटकों का पारसी थियेटर शैली में एडॉप्टेशन कर तथा राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पारसी थियेटर के विविध वर्णी आयाम को प्रस्तुत कर नौजवानों के बीच इस कला रूप को पूरी जिम्मेदारी और गंभीरता से रखा.

इप्टा ने अपना नेता और अभिभावक खो दिया

रणबीर सिंह के साथ बिताये पलों को याद करते हुए बिहार इप्टा के महासचिव तनवीर अख्तर ने कहा कि, रणबीर सिंह की सक्रिय भूमिका आगरा कन्वेंशन से शुरू हुई और उम्र भर IPTA आंदोलन को नए ओज पर लाने का प्रयास किया. इप्टा ने अपने नेता और अभिभावक को खो दिया है. रणबीर सिंह के असामयिक निधन से सबको आघात लगा है.

रणबीर सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे

बिहार इप्टा के कार्यकारी अध्यक्ष सीताराम सिंह ने कहा कि, रणबीर सिंह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे. उन्होंने इप्टा को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इप्टा आंदोलन को प्रमुखता के साथ प्रस्तुत किया.

नाटक सामाजिक परिवर्तन का प्रमुख आधार

इप्टा राष्ट्रीय सचिव मंडल के साथी फिरोज अशरफ खां ने कहा, रणबीर सिंह जी का निधन राष्ट्रीय क्षति है. देश ने नाट्य आंदोलन का एक सेनापति खो दिया. आज के विपरीत समय में अपने अगुआ का जाना हम सबकी क्षति है. उन्होंने कहा कि रणबीर सिंह ने कहा था कि नाटक हमारे जीवन और सामाजिक परिवर्तन का प्रमुख आधार रहा है.

नाटक मस्तिष्क पर सीधा असर करता है

आजादी का आंदोलन हो या देश और दुनिया में जितनी भी क्रांतियां हुई है, उसके पीछे नाटकों की प्रस्तुतियों ने बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. नाटक मनुष्य के मस्तिष्क पर सीधा असर करता है. नाटक का उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन करना भर नहीं है बल्कि वह समाज की विसंगतियों और विद्रूपताओं को सामने रखकर समाज को आइना दिखाता है .

वर्तमान दौर में नए नाटक नहीं लिखे जा रहे हैं

उन्होंने चिंता जाहिर की थी कि वर्तमान दौर में नए नाटक नहीं लिखे जा रहे हैं. जनता अच्छे नाटक देखना चाहती है और नाटककारों को जनता के बीच जाने की जरूरत है. आज के चुनौती भरे दौर में नाटककारों और कलाकारों की अहम भूमिका है जिसे गंभीरता से समझने की जरूरत है. रंगकर्मियों को अपनी वर्तमान भूमिका पर चिंतन करने जरूरत है. पटना इप्टा के सचिव पीयूष सिंह, ऊषा वर्मा, शाकिब, आदि ने भी राष्ट्रीय अध्यक्ष को भावभीनी श्रद्धांजलि दी.

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