इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में होगी झारखंड के फिल्मकार निरंजन कुजूर की फिल्म ‘तीरे बेंधो ना’ की स्क्रीनिंग
निरंजन कुजूर की शॉर्ट फिल्म 'तीरे बेंधो ना' 21वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल साइंस ऑफ द नाईट, पेरिस, फ्रांस में दिखाई जाएगी. 'तीरे बेंधो ना' 3 अक्टूबर 2023 को हाउस ऑफ इंडिया में 10 बजे रात से दिखाई जाएगी.
झारखंड के युवा फिल्मकार निरंजन कुजूर की शॉर्ट फिल्म ‘तीरे बेंधो ना’ हाउस ऑफ इंडिया में तीन अक्टूबर को 10 बजे रात से दिखायी जाएगी. फिल्म का चयन फोकस इंडिया कैटेगरी में हुआ है. डच कॉलेज, हाउस ऑफ अर्जेंटीना और हाउस ऑफ इंडिया ऑफ सिटी इंटरनेशनेल यूनिवर्सिटेयर डी पेरिस 29 सितंबर से 8 अक्टूबर के बीच अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के 21वें संस्करण की मेजबानी कर रहे हैं.
क्या है ‘तीरे बेंधो ना’ की कहानी
शॉर्ट फिल्म ‘तीरे बेंधो ना’ के डायरेक्टर और स्क्रीनराइटर निरंजन कुजूर हैं. वहीं, इसके स्टोरी राइटर और सिनेमेटोग्राफर जॉयदीप भौमिक हैं. फिल्म के एडिटर ज्योति रंजन नाथ हैं. शॉर्ट फिल्म की कहानी कुछ ऐसी है- हरिपद की बेटी उर्मी के स्कूल में एक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन होता है, जहां वह हृदय संबंधी किसी जटिल रोग से पीड़ित पायी जाती है. हरिपद के अपनी पत्नी के साथ पहले से ही संबंध अच्छे नहीं चल रहे थे. उर्मी के इलाज के दौरान वह अपनी पत्नी की उसके प्रति नाउम्मीदी को संभालने के जद्दोजहद में लग जाता है. निरंजन ने इसे लेकर कहा, हरिपद का चरित्र लगभग हर परिवार में मौजूद उस एक व्यक्ति की तरह है, जिसे समाज के तौर तरीक़े समझ नहीं आते, जिनको व्यावहारिक ज्ञान कम होता है जिसकी वजह से वे प्यार और सम्मान नहीं पा पाते. उनकी आदतों की वजह से लोग उनसे दूरी बना लेते हैं या उन्हें ठगने का प्रयास करते हैं. ‘तीरे बेंधो ना’ एक वास्तविक घटना पर आधारित है जो कुछ साल पहले एक स्थानीय बंगाली समाचार पत्र के माध्यम से हमें मिली. फ़िल्म को यथार्थवादी तरीके से सजाया गया है ताकि कहानी की नाटकीयता दायरे में रहे.
जानें फ़िल्म फेस्टिवल: साइन्स ऑफ द नाइट के बारे में
इक्कीसवां इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल: साइन्स ऑफ द नाइट 2003 से हर साल आयोजित किया जाता है. फ़िल्म फेस्टिवल नयी सोच, मूल कल्पना एवं आधुनिक मनुष्य के अस्तित्व को आलोचनात्मक ढंग से प्रस्तुत करने वाली फ़िल्मों को संग्रहित करता है. फेस्टिवल वेन्यू, इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी सिटी ऑफ पेरिस की स्थापना प्रथम विश्व युद्ध के बाद वर्ष 1925 में विश्व शांति बहाल करने के उद्देश्य से की गई थी.
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गौरतलब है कि झारखंड के युवा फिल्मकार निरंजन कुजूर की कुडुख भाषा में बनी फि ल्म ‘एड़पा काना ’ को नॉन फीचर फिल्म कैटेगरी में बेस्ट ऑडियोग्राफी के लिए राष्ट्री य पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. झारखंड के लोहरदगा जिले के रहनेवाले निरंजन कुजूर निदेशक और पटकथा लेखक हैं. अब तक निरंजन ने कुड़ुख, हिंदी, बांग्ला और संताली भाषा में फिल्म बनायी है. हाल ही में निरंजन ने बांग्ला में शार्ट फिल्म ‘तीरे बेंधो ना’ बनायी है, जिसे केरल के IDSFFK aur SiGNS फिल्म फेस्टिवल में दिखाया जा चुका है.
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