पूरे देश में भोजपुरी गीतों का एक विशाल मार्केट है. लोकप्रियता, ग्लैमर और आर्थिक दृष्टिकोण से यह मार्केट अपना अलग ही मुकाम रखता है. पहले इस मार्केट में बिहार और उत्तरप्रदेश के कलाकारों की तूती बोलती थी. अब पलामू जैसे छोटे जगह से ताल्लुक रखने वाले गायक इसमें अपनी पहचान बनाने लगे है. गायकी में कुछ हद तक समकक्ष होने के बाद भी पलामू के गायक इनसे पिछड़े रहते थे. इसका सबसे बड़ा कारण था की यहां के गायकों के एलबम में क्वालिटी नहीं होती थी. क्वालिटी के वीडियो एलबम बनाने के लिए न तो यहां के सिंगर पैसे खर्च करते थे और न ही पलामू में शूटिंग और एडिटिंग की सुविधा थी. इसके लिए पलामू के गायकों को पटना जैसे जगह के तकनीशियनों पर निर्भर रहना पड़ता था जो काफी महंगा साबित होता था.
एलबम बनाने को लेकर पटना जैसे बड़े शहरों पर से निर्भरशीलता उस समय धीरे-धीरे खत्म हुई जब मनोज मेहता, मृत्यंजय मौर्या, प्रवीण तिवारी जैसे युवाओं ने पलामू में इंडस्ट्री बनाने की पहल शुरू की. इनके साथ और भी युवा जुड़ते गए. पलामू की खूबसूरत फिजाओं में लाइट, साउंड, कैमरा, एक्शन, कट की आवाज गूंजने लगी और गायकों की फौज तैयार हो गयी. ये युवा सिंगर अपने प्रोडक्ट के साथ भोजपुरी एलबम रिलीज करने वाले कंपनी के पास गए और फिर वहां से इनके गीतों को रिलीज किया जाने लगा, जो एक बड़ी उपलब्धि थी. कभी 1000 की राशि से वीडियो एलबम की शूटिंग शुरू करने वाले मृत्युंजय मौर्या आज एक गाने के वीडियो बनाने में 20000 तक की राशि लेते है. मनोज मेहता मेदिनीनगर में स्टूडियो खोलने के बाद अभी पटना इंडस्ट्री में एक सफल एडिटर के रूप में खुद को स्थापित किया है.
खुद के पैसे लगाकर एलबम बनाकर इसे रिलीज करने वाली कंपनियों से गुहार लगाते हुए अभिमन्यु सिंह क्रांति आज सफलता के झंडे बुलंद करने में सफल रहे. उनकी गीतों को अब लोटस, टीवीडी, नटराज मीडिया जैसी कंपनियों द्वारा रिलीज किया जाता है. इन कंपनियों का क्रांति के साथ एकरारनामा किया हुआ है. अब क्रांति खुद के ऑफिशियल चैनल पर मेहनत कर रहे है. हाल ही में उनके चार हाई बजट गीत शूट हुए है जिसे लेकर उन्हें काफी उम्मीद है. उन्होंने प्रभात खबर को बताया की इस जगह पर पहुंचने आठ साल मेहनत करना पड़ा. क्रांति को पहली बार तब सफलता का स्वाद मिला जब उनके भक्ति गीत “नवरात्र गर्दा” को मिलियन से अधिक दर्शक मिले और वो रातोंरात स्टार बन गए.
पलामू का एक और भोजपुरी स्टार सिंगर मनीष तिवारी जब इरा फिल्म्स भोजपुरी के नाम से अपना खुद का ऑफिशियल चैनल लंच किया और उसमे ‘डाल्टनगंज बजरिया’ गीत रिलीज किया तो इसे इतने दर्शक मिले की एक ही रात में चैनल को यूट्यूब ने मोनेटाइज कर दिया. अब इस चैनल से पिछले कुछ माह से श्री तिवारी 15 से 20 हजार रुपये कमा रहे है. इसके अलावा मनीष भोजपुरी के कई हिट चैनल को भी अपने गीत बेचते है. कई कंपनियों ने उनके साथ करार कर रखा है. इनके अधिकतर गीतों की शूटिंग पलामू में होती है.
शोहरत और दौलत बटोरने वाले इस रेस में पलामू के और भी कई युवा सिंगर शामिल है. इनमे धर्मेंद्र राणा, रौशन पांडेय, राकेश उजाला, आसु यादव, पूजा, आरती चंद्रवंशी प्रमुख है. पर इस रेस से इतर कभी कभार अपने खूबसूरत और मिट्टी की महक से भरपूर भोजपुरी संगीत को यूट्यूब पर जारी कर रामबोला बम ने भी प्रसिद्धि पायी है.
वीडियो एल्बम के शूटिंग के लिए पलामू में अभी भी महिला कलाकारों की कमी है. फीमेल एक्टर के लिए पलामू को अभी भी पटना इंडस्ट्री पर ही अधिक निर्भर रहना पडता है. हालाँकि हाल के दिनों में पलामू की कनक लता तिर्की, पूर्णिमा भारती, पूजा गुप्ता, आशना भेंगरा आदि लड़कियों ने इंडस्ट्री में सफल दस्तक दी है.
सफलता के इस चमकते सिक्के का एक अंधकार यह भी है की जल्द सफल होने के होड़ में युवा सिंगर कुछ ऐसी चीजों को भी पड़ोस रहे है जिसके संगीत होने पर भी कुछ लोग सवालिया निशान लगाते है. जल्द सफल होने की चाह में कुछ गीत बेशक श्लील अश्लील विवाद खड़े करते भी है. इसे लेकर पलामू लोक कलाकार मंच के अध्यक्ष शिशिर कुमार शुक्ल कहते है की युवा सिंगर शोहरत और दौलत के बाजार में संस्कृति को न भूले. उन्होंने मंच की ओर से युवाओं को प्रोत्साहित करने की भी बात कही.
पलामू से सैकत चटर्जी