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आम आदमी के भ्रष्ट व्यवस्था में फंसने और पिसने की दास्तां बताती है झारखंड के सतीश मुंडा की फिल्म ‘चक्की’

आम आदमी, आम आदमी होता है. वो कोई सुपरमैन नहीं होता जो बड़ी से बड़ी समस्या का चुटकियों में समाधान निकाल ले. आम आदमी के जीवन में समस्याएं जब आती हैं, तब वह सबकुछ भूल समस्या का हल निकालने में लग जाता है. अधिकांश ऐसा होता है कि एक समस्या के निदान के चक्कर में दूसरी परेशानियों में उलझता चला जाता है.

एक आम आदमी के भ्रष्ट व्यवस्था की चक्की में फंसने और पिसने की दास्तां को बयां करती है फिल्म “चक्की” . हमारे आपके जीवन के बीच से निकली इस कहानी को फुललेंथ फिल्म के रूप में बताने की कोशिश की है झारखंड के रामगढ़ जिले के रहने वाले सतीश मुंडा ने. यह फिल्म सात अक्तूबर को सिनेमाघरों में रिलीज की जाएगी.

रामगढ़ के रहने वाले हैं सतीश मुंडा

इस फिल्म के डायरेक्टर हैं सतीश मुंडा. सतीश झारखंड के रामगढ़ जिले के रहने वाले हैं. किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले सतीश मुंडा इसी फिल्म के साथ बतौर डायरेक्टर डेब्यू भी कर रहे हैं. इन्होंनें रांची के मारवाड़ी कॉलेज से कॉमर्स में बैचलर फिर बीआईटी मेसरा से मार्केटिंग में एमबीए करने के बाद फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडिया पुणे से साल 2016 में डाइरेक्शन की पढाई पूरी की है. इसके बाद में मुंबई में रह कर फ़िल्मी दुनिया में खुद को स्थापित करने में लगे हुए हैं.

प्रभात खबर में छपी खबर से निकली है फिल्म की कहानी

इस फिल्म की कहानी को लेकर सतीश ने बताया कि फिल्म की कहानी प्रभात खबर में छपी एक न्यूज से ही निकली है. उन्होंने बताया कि प्रभात खबर में ओरमांझी के एक युवक की कहानी छपी थी. वह आटा चक्की चलाता था. एक बार कुछ ऐसा होता है कि बिजली विभाग की ओर से उसको 1 लाख 60 हजार का बिल भेज दिया जाता है. इसके बाद वो लगभग चार सालों तक संघर्ष करता है और फिर उसकी जीत होती है. प्रभात खबर के इस न्यूज ने ही मुझे इस कहानी को लिखने के लिए प्रेरित किया. सतीश ने बताया कि मेरी कहानी आम आदमी के जीवन में अचानक के आयी परेशानी, उस परेशानी की वजह से जीवन में आने वाले संघर्ष और फिर उससे उबरने की जर्नी बता रही है.

जन्म के 21 वें दिन से ही मैं फिल्मों से जुड़ा

खेती किसानी परिवार से ताल्लुक फिर बिजनेस की पढाई और काम फिल्मों में, ये सबकुछ अचानक से हुआ या कोई और प्लानिंग? इस सवाल के जवाब में सतीश ने बताया कि मेरे जन्म के 21 वें दिन घर में सतैसा पूजा था मेरा. घर वाले बताते हैं उस दिन मेरे पापा ने घर में पर्दे पर जंजीर फिल्म लगाई थी. सब मिलकर देखे थे. ऐसे में आप कह सकते हैं कि फिल्मों से मेरा लगाव जन्म के 21 वें दिन से ही है. शायद है कभी ऐसा हो कि मैं फर्स्ट डे फर्स्ट शो नहीं देखा या अब भी नहीं देखता. उन्होंने बताया कि बहुत दिनों तक मेरे परिवार को तो समझ ही नहीं आ रहता कि मैं क्या कर रहा हूँ. इनफैक्ट, वे आज भी इसी उधेड़बुन में हैं. सतीश ने बताया कि अब जब वो फिल्म देखेंगे तब समझ जायेंगे कि मैं इतने दिनों से कर क्या रहा हूं.

तकरीबन आठ करोड़ के बजट की है फिल्म

सतीश मुंडा ने बातचीत के क्रम में बताया कि इस फिल्म की बजट तकरीबन साढ़े छह से आठ करोड़ के बीच की है. फिल्म की पूरी शूटिंग मुंबई और भोपाल में हुई है. 102 मिनट की इस फिल्म को लेकर सतीश कहते हैं कि मुझे इस बात की बेहद ख़ुशी है कि इस फ़िल्म के हरेक डिपार्टमेंट से जुड़ा हर व्यक्ति बेहद प्रतिभाशाली है. फ़िल्म से जुड़े सभी तकनीशियन ने कुछ बेहद चर्चित फ़िल्मों में काम किया है. इन सभी ने ‘चक्की’ से जुड़ने का फ़ैसला स्क्रिप्ट पसंद आने के बाद किया और फ़िल्म के निर्माण में पूरी लगन के साथ काम‌ किया है. भले ही यह फ़िल्म छोटी हो, मगर यह आम‌ आदमी से जुड़े बेहद अहम मसले पर बात करती और समाज को आईना दिखाने का‌ काम करती है.

सात अक्तूबर से होगी सिनेमाघरों में

इस फिल्म के स्टारकास्ट राहुल भट्ट और मराठी फिल्मों की सुपरस्टार प्रिया बापट हैं. फ़िल्म ‘चक्की’ 7 अक्तूबर, 2022 को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज़ की जाएगी. इस फिल्म को निंदरवाल प्रोडक्शंस प्राइवेट लिमिटेड के बैनर तले भरत निंदरवाल ने इस फ़िल्म का निर्माण किया है. शिलादित्य बोरा के प्लाटून‌ डिस्ट्रिब्यूशन द्वारा इस फ़िल्म का वितरण किया जाएगा. उल्लेखनीय है कि ‘ओह! माय गॉड’ और ‘102 नॉट आउट’ जैसी चर्चित फ़िल्में बना चुके निर्देशक उमेश शुक्ला इस फ़िल्म के प्रजेंटर हैं.

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वरुण ग्रोवर और पियूष मिश्रा ने ली है गीत-संगीत की जिम्मेदारी

बताते चलें कि इस फ़िल्म के गानों को‌ बेहद लोकप्रिय बैंड इंडियन ओशन ने संगीतबद्ध किया है जबकि मोनाली ठाकुर, पापोन और दिवंगत केके ने इस गानों को अपनी ख़ूबसूरत आवाज़ से सजाया है. दिग्गज़ गीतकार पियूष मिश्रा और राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त गीतकार वरुण ग्रोवर ने इन गीतों को ख़ूबसूरत लफ़्ज़ों से सजाया है.

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