झारखंड: फिल्मों के पहले आदिवासी नायक लूथर तिग्गा का निधन, अधूरा रह गया ये सपना
jharkhand the first tribal hero of films luther tigga passes away: एक और सितारा खो गया. भारतीय सिनेमा के इतिहास में देश के पहले आदिवासी अभिनेता बनने का गौरव प्राप्त करनेवाले लूथर तिग्गा (Luther Tigga passes away) नहीं रहे. गुरुवार को उन्होंने अंतिम सांस ली. लूथर ने 62 साल पहले जब ऋत्विक घटक की बांग्ला फिल्म ‘अजांत्रिक’ (1958) में अभिनय किया था.
रांची: एक और सितारा खो गया. भारतीय सिनेमा के इतिहास में देश के पहले आदिवासी अभिनेता बनने का गौरव प्राप्त करनेवाले लूथर तिग्गा (Luther Tigga passes away) नहीं रहे. गुरुवार को उन्होंने अंतिम सांस ली. लूथर ने 62 साल पहले जब ऋत्विक घटक की बांग्ला फिल्म ‘अजांत्रिक’ (1958) में अभिनय किया था. इस फिल्म से यूं कहिए वह आनेवाली पीढ़ी के लिए एक विरासत छोड़ गए. उन्हें और उनके कार्यों को हमेशा याद रखा जायेगा. लूथर तिग्गा अपने पीछे पत्नी और तीन बच्चों को छोड़ गए हैं.
‘अजांत्रिक’ फिल्म की ज्यादातर शूटिंग रांची, रामगढ़ और पुरुलिया में हुई थी. फिल्मों के कुछ सीन ओडिशा में भी हुई थी. इस फिल्म में आदिवासी नाच-गाने का बखूबी चित्रण किया गया था और आदिवासी संस्कृति की खूबसूरत झलक भी. लूथर तिग्गा ने झारखंड़ी अखड़ा को दिये एक इंटरव्यू में बताया था कि, ऋत्विक घटक ‘अजांत्रिक’ बनाने के लिए आदिवासी क्षेत्र तलाश कर रहे थे. वह नगालैंड तक घूम आए लेकिन उन्हें झारखंड का खुखरा परगना (रांची से गुमला-लोहरदगा का क्षेत्र) ही पसंद आया. फिल्म में उनके साथ परसादी मिंज ने काम किया था.
‘कोम अड़खा खुरैया, आयोगे कूल कीड़ा मेटेरा‘- ‘अजांत्रिक’ फिल्म के अंत में कुड़ूख गाने की ये पंक्तियां वाकई आदिवासी संस्कृति और प्रकृति के साथ उनके जुड़ाव को दिखाती हैं. इस गाने का अर्थ है- ‘कोयनार के पेड़ पर कोमल पत्ते उग आये हैं, उस देखकर ही मेरी भूख मिट गई है.’
सामाजिक कार्यकर्ता वंदना टेटे ने लूथर तिग्गा के निधन को अपूरणीय क्षति बताया. वह बताती हैं कि, वह (लूथर तिग्गा) बहुत ही मिलनसार व्यक्ति थे. वह हमेशा लोगों को नयी चीजें बताने के लिए तत्पर रहते थे. उनसे काफी कुछ सीखने को मौका मिला. जिन लोगों के साथ भी उन्होंने काम किया, वह आज अच्छे मुकाम पर है. हमने एक रत्न खो दिया जिसकी भरपाई नहीं हो सकती. वे आदिवासी समाज, संस्कृति, उनके विचारों को बखूबी समझते थे.’
उन्होंने बताया कि लूथर तिग्गा का एक सपना अधूरा रह गया. वंदना टेटे ने कहा,’ उनका एक सपना अधूरा रह गया. वह झारखंड के आदिवासियों की संस्कृति और जीवनशैली को लेकर फिल्में बनाना चाहते थे. आदिवासियों की वृहद् संस्कृति को पर्दे पर दर्शाना चाहते थे. लेकिन वह अपना यह सपना पूरा नहीं कर पाये. उनसे फोन पर बातचीत होती थी और वह अक्सर इस बारे में जिक्र किया करते थे. हमारी संस्कृति टूटती जा रही है. इसे संभाल कर रखना होगा.’
Posted By: Budhmani Minj