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अंधविश्‍वास को तोड़कर समाज को ये संदेश देगी नागपुरी फिल्‍म ”फुलमनिया”

।। अमिताभ कुमार ।। नागपुरी फिल्‍म ‘फुलमनिया’ 6 सितंबर को रिलीज हो रही है. फिल्‍म हाल ही में 72वें कांस फिल्‍म फेस्टिवल में प्रदर्शित की गयी थी. फिल्‍म का निर्देशन झारखंड के लोहरदगा जिले के रहनेवाले लाल विजय शाहदेव ने किया है. फिल्‍म में अंधविश्‍वास और बेटा-बेटी में भेदभाव जैसे कई ज्‍वलंत मुद्दों को उठाया […]

।। अमिताभ कुमार ।।

नागपुरी फिल्‍म ‘फुलमनिया’ 6 सितंबर को रिलीज हो रही है. फिल्‍म हाल ही में 72वें कांस फिल्‍म फेस्टिवल में प्रदर्शित की गयी थी. फिल्‍म का निर्देशन झारखंड के लोहरदगा जिले के रहनेवाले लाल विजय शाहदेव ने किया है. फिल्‍म में अंधविश्‍वास और बेटा-बेटी में भेदभाव जैसे कई ज्‍वलंत मुद्दों को उठाया गया है. फिल्‍म में अभिनेत्री के तौर पर राजधानी रांची की रहनेवाली कोमल सिंह ने काम किया है. अमिताभ कुमार ने फिल्‍म के निर्देशक लाल विजय शाहदेव और अभिनेत्री कोमल सिंह से खास बातचीत की. पेश है बातचीत के मुख्‍य अंश…

* सवाल- कोमल आप इस फिल्‍म से कैसे जुड़ीं ?
जवाब- एक शो ‘सलाम इंडिया’ के ऑडिशन के दौरान मेरी मुलाकात लाल विजय शाहदेव से हुई. उन्होंने मेरे टैलेंट को पहचाना और मुझे फिल्म ऑफर किया. फिल्म में मैंने खुद में किरदार को उतारने की कोशिश की है. ‘फुलमनिया’ एक ऐसी फिल्म है जो किसी की भी बेटी या बहन की कहानी हो सकती है. फिल्म अंधविश्‍वास पर बनी है. फिल्म में मेरा किरदार ‘फुलमनिया’ का है जो एक चुलबुली लड़की है, लेकिन गांव में व्याप्त अंविश्‍वास के चक्कर में उसकी जिंदगी कैसे बर्बाद हो जाती है यह फिल्म में दर्शाया गया है. यह लोगों को जरूर देखनी चाहिए.
* सवाल- लाल विजय शाहदेव जी आप फिल्‍म की कहानी के बारे में थोड़ा बतायें ?
जवाब- यह फिल्म सच्ची घटना पर आधारित हैं. यह घटना धनबाद के झरिया की है. फिल्म में गंगिया नाम की एक युवती की कहानी है जिसका पति शादी के कुछ दिनों के बाद ही एक हादसे का शिकार हो जाता है जिसमें उसकी मौत हो जाती है. फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे गंगिया की मौत के बाद समाज की जिल्लत उसे झेलनी पड़ती है.
फिल्म में ‘फुलमनिया’ डायन प्रथा, बांझपन और लिंगभेद से लड़ती नजर आयेगी और समाज को खास संदेश देगी. फिल्म का स्क्रिप्ट मैंने खुद लिखा है. मैंने यह घटना एक मैग्जीन में छपी देखी थी, तभी मेरे मन में ख्‍याल आया था कि इस घटना पर मैं फिल्म बनाऊंगा.
* सवाल- शाहदेव जी इस फिल्‍म की शूटिंग के लिए आपको कैसे तैयारी करनी पड़ी ?
जवाब- झारखंड की वादियां फिल्‍म निर्माण को लेकर बेहद शानदार हैं. फिल्म का लोकेशन मैंने खुद तलाश. लोकेशन ढूंढने के लिए मैं कार उठाकर झारखंड के विभिन्‍न जगहों पर निकल पड़ता. मैंने अपनी फिल्‍म में राज्‍य के ऐसे-ऐसे लोकेशन दिये हैं, जिसके बारे में कम हीं लोगों को जानकारी होगी. फिल्‍म में 85 प्रतिशत झारखंड के कलाकार हैं जिनकी एक्टिंग लोगों को काफी पसंद आएगी.
* सवाल- कोमल जी फिल्‍म में काम करने का अनुभव कैसा रहा ?
जवाब- फिल्म में मैनें अपना 100 प्रतिशत दिया है. यह मेरी पहली फिल्‍म है. इससे पहले मैंने फियर फाइल्स, क्राइम पेट्रोल जैसे शो में काम किया है. फिल्म की शूटिंग करते वक्त मैं अकसर निर्देशक से पूछती थी कि शॉट कैसा रहा. इसपर वे कहते थे मैं आपको खराब होने पर बता दूंगा. शूटिंग पूरी होने के बाद मैंने फिल्म देखी और मुझे विश्‍वास नहीं हुआ कि ‘फुलमनिया’ इतनी शानदार बनी है. मैंने फिल्म कई बार देखी है. जब भी मैंने फिल्म देखी कहीं भी ऐसा नहीं लगा कि बीच में छोड़कर मैं उठ जाऊं.
* सवाल- कोमल जी अपने करियर के बारे में कुछ बताएं ?
जवाब- समाज के बंधनों को तोड़कर मुंबई में जगह बनाना मेरे लिए आसान नहीं था. मैंने मुंबई में लगभग ढाई साल बिता दिए हैं. फिल्मों में करियर बनाने का मेरा सपना काफी पुराना था. हालांकि मुझे मेरे पापा को इसके लिए काफी मनाना पड़ा, जबकि मेरी मां ने मेरा बहुत सर्पोट किया. बचपन से ही मैं छोटे-छोटे डांस शो और नाटक में हिस्सा लेती थी. इसमें मेरी मां मुझे सपोर्ट करती थी.
* सवाल- शाहदेव जी नागपुरी फिल्‍म का क्रेज क्यों नहीं देखने को मिलता ?
जवाब- आजतक जो भी फिल्‍म नागपुरी में बने हैं, वह लोगों को बांधने में नकाम रही हैं. जो भी फिल्‍में नागपुरी में बनी उसमें किसी ने भी कोई भी किरदार निभा दिया. लोगों को यह समझना होगा कि सभी हर तरह के काम नहीं कर सकते. उन्हें अपनी क्षमता को पहचानना होगा और उसके अनुसार काम करना होगा. ‘फुलमनिया’ के माध्‍यम से मैंने लोगों के मइंडसेट को चेंज करने की कोशिश की है.

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