बिहार के आरा भोजपुर की रहने वाली रजनी मिश्रा आज रात रियलिटी शो कौन बनेगा करोड़पति के हॉट सीट पर नजर आएंगी. वे गृहिणी होने के साथ-साथ स्टूडेंट भी हैं. वह औरतों का असली खूबसूरती ज्ञान को मानती है कपड़े और गहनों को नहीं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश…
केबीसी की अब तक की जर्नी कैसी रही है?
केबीसी की जो प्रोसेसिंग है. वो मार्च से शुरू हो गयी थी. मोबाइल फोन के जरिए हमने रजिस्टर्ड किया था. हर दिन चार सवाल पूछे जा रहे थे. मोबाइल के ज़रिए सवालों के जवाब दिए.जो केबीसी के लिए पूछे जा रहे थे. केबीसी की टीम ने कॉल किया और बताया कि आपका नंबर शॉर्टलिस्ट हुआ है. उन्होंने चार सवाल पूछे .तीन के ऑप्शन थे.एक बिना ऑप्शन के था. उसके बाद ग्राउंड ऑडिशन के लिए हमारा सिलेक्शन हुआ. इस बार इंटरव्यू में एक नया एडिशन जोड़ा गया कि आपको एक निश्चित नंबर वहां हो रहे सवालों के जवाब में से लाने होंगे,तो ही आपका पर्सनल इंटरव्यू होगा.वरना वहीं से आपको घर भेज दिया जाएगा.पहले जितने भी प्रतियोगी ऑन ग्राउंड के लिए बुलाए जाते थे. उन सभी का इंटरव्यू होता था.मैं वहां सेलेक्ट होकर पर्सनल इंटरव्यू देने फिर कोलकाता गयी थी. वहां सुबह के 11 बजे से इंटरव्यूज शुरू थे.मेरा नंबर सबसे आखिर में रात के आठ बजे आया. अठारह मिनट यह इंटरव्यू चला.जिसमें मेरे बारे में सबकुछ पूछा गया था. उसके बाद मुझे केबीसी खेलने के लिए बुलाया गया.
केबीसी सहित दूसरे रियलिटी शो के बारे में यह बातें सुनने को मिलती रहती है कि प्रतियोगियों की दुखभरी कहानी मेकर्स को अपील ज़्यादा करती हैं?
आपकी दुख भरी कहानी होगी,तो ही केबीसी में आपको खेलने के लिए बुलाया जाएगा .ये सब बकवास बात है. केबीसी सिर्फ आपकी प्रतिभा के दम पर आपको चुनता है.
यह आपकी पहली कोशिश है या इससे पहले भी आपने केबीसी में कोशिशें की हैं?
पिछले साल भी मैं गयी थी.पर्सनल इंटरव्यू तक गयी थी,लेकिन उसके बाद कॉल नहीं आया. वैसे उस दौरान मेरा जीके टेस्ट अच्छा नहीं गया था. उस दौरान कॉल आने से बहुत खुश थी लगा कि बस केबीसी खेलने पहुंच गयी. ऑडिशन में पहुँचकर मालूम हुआ कि लंबा प्रोसेस होता है.इस बार मैंने बहुत मेहनत जीके पर की थी और मेरे टेस्ट भी अच्छे गए थे.मन में कहीं ना कहीं था कि मुझे इस बार कॉल केबीसी खेलने के लिए आएगा.
केबीसी में आने के पीछे आपका क्या अहम मकसद था?
मेरा सबसे अहम मकसद सोच में बदलाव था.हम लड़कियों को शादी के बाद पढ़ाई-लिखाई से दूर कर दिया जाता है. मैं बिहार से आती हूं.वहां औरतों की कंडीशन अभी भी बहुत अच्छी नहीं है. मेरी शादी 17 साल की उम्र में हो गयी थी.उस वक़्त मेरा ग्रेजुएशन तक नहीं हुआ था.शादी के बाद मैंने ग्रेजुएशन किया,पोस्ट ग्रेजुएशन किया. बीएड किया. अब मैं पीएचडी की पढ़ाई करूंगी.शादी के बाद पढ़ाई बहुत बड़ी बात है क्योंकि समाज जज करने लगता है कि बहु को क्यों पढ़ाना है. बहू घर के काम के लिए होती है. मैंने बहुत मेहनत और संघर्ष से अपनी पढ़ाई पूरी की है. मैं इसका श्रेय अपने सास ससुर और पति को भी देना चाहूंगी.केबीसी के मंच से मैं लोगों को यही समझाना चाहती थी कि शादी के बाद भी पढ़ाई को जारी रखें.पढ़ाई हम औरतों के लिए बहुत ज़रूरी है.
आपके लिए खुद को उच्च शिक्षित करने की जर्नी में संघर्ष क्या रहा?
मैं बहू थी तो घर के कामों की जिम्मेदारी पूरी तरह से मुझ पर ही थी. उसके साथ पढ़ाई कई बार एक घंटे की भी नींद नहीं मिल पाती थी. ग्रेजुएशन की एक पेपर के ठीक एक दिन पहले मेरी सास की मौत हो गयी थी. मैं रोते-रोते एग्जाम देकर आयी हूं. पोस्ट ग्रेजुएशन के एक सिमेस्टर में मैं प्रेग्नेंट थी. डिलीवरी डेट के छह दिन पहले में एग्जाम देने गयी थी. पांचवे फ्लोर पर मेरा सेंटर था.मैं पांच फ्लोर चढ़कर एग्जाम देने गयी थी. मैंने तय कर रखा था कि कोई भी मुश्किल आए .मैं पढ़ाई नहीं छोडूंगी. कई बार लोगों ने ये भी बोला कि इतना पढ़कर कर क्या रही हो,हो तो हाउस वाइफ.मैं अपने बच्चों के लिए नौकरी नहीं कर रही हूं लेकिन मैं जल्द ही टीचिंग में सरकारी नौकरी में कोशिश करूंगी. वैसे सिर्फ नौकरी के लिए ही नहीं बल्कि एक शिक्षित औरत अपने बच्चों को भी अच्छे से शिक्षित कर सकती है.
आपके माता- पिता को क्या अपनी गलती का एहसास हुआ है?
नहीं हुआ है. हमारे बिहार में लड़के-लड़कियों में भेदभाव अभी भी होता है. मेरे पिताजी को लगता था कि अक्षरों का ज्ञान लड़कियों को हो जाए बस बहुत है. मैंने अपने पिता को कितनी बार समझगया था कि मुझे पढ़ने दीजिए.ग्रेजुएशन के बाद मेरी शादी करवा दीजिएगा.वो कहते थे कि तुम्हारी किस्मत में शादी है. हम तीनों बहनें पढ़ने में अच्छी थी लेकिन हमारे पिताजी ने हमारी पढ़ाई को कभी महत्व नहीं दिया.मैं ही अपनी बहनों में सबसे ज़्यादा पढ़ी हूं.
अमिताभ बच्चन के साथ के अनुभव को किस तरह से परिभाषित करेंगी?
उनका एक अलग ही ऑरा है.एक अलग ही ग्रेस है.उनको देखकर मैं सब भूल गयी थी. एक कविता है.जो मैं रोज पढ़ती हूं. मेरी कॉपी में ही लिखा हुआ है.उनके बाबूजी की ही कविता है तुम मुझको कब तक रोकोगे. उनके सामने मैं दो लाइन से ज़्यादा नहीं बोल पायी.वहां मौजूद पब्लिक मुझे बोल रही थी.गहरी सांस लीजिए.पानी पीजिए.मैं बहुत छोटी जगह से आती हूं.अमिताभ बच्चन को दूर से देखना ही मेरे लिए बहुत बड़ी बात है.ऐसे में उनके सामने बैठकर बात करना बहुत बड़ी बात है.
अमिताभ बच्चन की कही गयी सबसे अच्छी बात क्या लगी?
उन्होंने मेरी मुस्कान की तारीफ की.उन्होंने कहा कि मैं बहुत सी महिलाओं को प्रेरित कर सकती हूं.सदी के महानायक के मुंह से ये सब सुनकर लग रहा था कि मैं जैसे किसी सपने को जी रही हूं.
कितनी राशि आपने जीती है?उस राशि से क्या खास करने की प्लानिंग है?
उसके लिए आपको एपिसोड देखना पड़ेगा. जीती रकम से क्या खास करने वाली हूं,तो अपनी बेटी के अच्छे एजुकेशन के लिए कुछ जमा करूंगी.अपने एजुकेशन में भी कुछ रकम लगाना चाहुंगी.उसके बाद कुछ पैसे अगर बचते हैं तो मैं मेरा अपना घर होने का सपना पूरा करना चाहूंगी.मैं चाहती हूं कि मेरा एक घर हो.जिसमें मेरे नाम की नेमप्लेट हो.