kirti kulhari :अभिनेत्री कीर्ति कुल्हारी इनदिनों जिओ सिनेमा पर स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज शेखर होम में नजर आ रही हैं.कीर्ति लगभग दो साल के लम्बे अंतराल के बाद किसी प्रोजेक्ट से जुड़ी हैं.वह कहती हैं कि आउट ऑफ साइट आउट ऑफ माइंड इंडस्ट्री की इस थ्योरी में वह यकीन नहीं करती हैं.वह साइलेंट तरीके से अपना काम करने में यकीन करती हैं. उनके इस प्रोजेक्ट, निर्माता के तौर पर नयी शुरुआत सहित कई पहलुओं पर अपनी बात की.उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश
शेखर होम से जुड़ने इस वजह से जुड़ी
इस शो से जुड़ने दो से तीन वजह थी. सबसे पहले मेरा किरदार. वह जैसा दिख रहा है वैसा है नहीं. यह डिटेक्टिव सीरीज है तो मजा आता है उस पहलू के साथ खेलने में.इसके साथ ही जो इस सीरीज की टीम में हैं.मैंने उनके साथ पहले भी काम किया है. बीबीसी के साथ मैंने क्रिमिनल जस्टिस की है. रोहन सिप्पी निर्देशक है, जो मेरी उसे सीरीज के भी निर्देशक थे, तो एक कंफर्ट जोन भी होता है एक दूसरे के साथ काम करने से. इसके अलावा इस सीरीज के जो एक्टर्स है.वह भी मेरे लिए काफी अपीलिंग था. शो को हां कहने में.मुझे सबसे पहले के के मेनन का नाम बताया गया फिर रणवीर का उसके बाद रसिका दुग्गल का.(हंसते हुए )जिसके बाद मेरे मुंह से निकल ही गया कि क्या कर रहे हो यार तुम लोग. वैसे इन नामों के अलावा भी कई कमाल के एक्टर्स इस सीरीज से जुड़े हुए हैं. शहनाज पटेल जी के अलावा कई बंगाली एक्टर भी सीरीज का हिस्सा हैं. उनसे मुलाकात बहुत यादगार रही . सच कहूं तो जब अच्छे एक्टर साथ में होते हैं तो मुझे बहुत मजा आता है.
अच्छे एक्टर्स को देखकर इनसिक्योर नहीं होती हूं
अक्सर लोगों को लगता है कि जब मंझे हुए एक्टर्स एक साथ होते हैं तो सभी एक्ट्रेस में प्रतिस्पर्धा और चुनौती बढ़ जाती होगी, लेकिन मैं अपनी बात करूं तो मैं बहुत ही सिक्योर एक्टर हूं. मुझे लगता है कि अगर आपके अंदर असुरक्षा है. अगर यह एक्टर मुझसे अच्छा कर गया. इस सीन में मुझे खा जाएगा.अगर आप सिक्योर एक्टर हैं तो ही अच्छे एक्टर को देखकर आप परेशानी में आएंगे. मैं किसी दौड़ या रेस में नहीं हूं.मुझे ही सबसे आगे आना है.मेरी सोच रहती है कि सब मिलकर अच्छे से काम करेंगे. मुझे लगता है कि जब सब एक्टर मिलकर अच्छा करते हैं तो फिल्म या सीरीज अच्छी बनती है और उसे देखने में मजा आता है. केके और रणवीर मुझसे सीनियर हैं , तो मुझे सीखने का ही उनसे मन करता है.
बड़े स्टार्स को बड़ा ट्रीटमेंट दिया जाता है
मैं नहीं कहती कि मैं असुरक्षा की भावना कभी महसूस ही नहीं करती हूं.ऐसे पल आते हैं, जब मुझे भी यह भावना आती है,लेकिन मैं इन सब में नहीं जाती कि किसका कितना बड़ा रोल है. किसको क्या मिल रहा है, लेकिन मैं यह जरूर चाहती हूं कि सबको अपना ड्यू मिले. सबको अपना रिस्पेक्ट मिलना चाहिए. मैं इन चीजों को लेकर बहुत जागरूक हूं. इंडस्ट्री में मेरे बहुत सारे ऐसे अनुभव रहे हैं तब बहुत फर्क पड़ता था. इंडस्ट्री में इस बात को बहुत तवज्जो दी जाती है कि कौन कितना बड़ा स्टार है और उसी हिसाब से ही उसको ट्रीटमेंट भी दिया जाता है. जो लोग छोटे रोल में आते हैं लेकिन हमसे कहीं बेहतरीन एक्टर होते हैं.हमें उनकी इज्जत करनी नहीं आती है. इस अनदेखी में फिल्म के निर्देशक एक्टर से लेकर लेकर मीडिया तक जिम्मेदार है. शूटिंग सेट पर हायरार्की के अनुसार रिस्पेक्ट देने से पहले मुझे बहुत फर्क पड़ता था. मगर मैं इसके बारे में बात करना चाहूंगी क्योंकि मुझे लगता है कि यह गलत है और इसे बदलना चाहिए.यह इंडस्ट्री का सिस्टम है.
कोविड में निर्माता बनने का ख्याल आया
निर्माता बनने का ख्याल मुझे कोविड के समय में आया था. उसे वक्त सोचने के लिए बहुत टाइम था तो ऐसे उठने बैठने या ख्याल आया था कि मैं क्यों नहीं फिल्में प्रोड्यूस कर रही हूं. वैसे मैं बताना चाहूंगी कि हर इंसान की तरह मेरे जेहन में भी बहुत सारे ख्याल आते हैं, लेकिन अगर कोई ख्याल एक या दो महीने रह जाता है तो फिर मैं समझ जाती हूं कि इस पर एक्शन ले लेना चाहिए. निर्माता बनने के पीछे एक वजह यह भी थी कि हम एक्टर के तौर पर अच्छा काम करते, लेकिन कई बार आपके हाथ में या नहीं होता है कि सीरीज या फिल्म कैसी बनती है. फाइनल प्रोडक्ट हम एक्ट्रेस के हाथ में नहीं होता है. मेरी समझ फिल्म मेकिंग स्क्रिप्ट को लेकर अच्छी है. पिछले कई सालों से मैंने इस पर काम किया है. मैं यह कह सकती हूं कि मुझे अच्छे सिनेमा की समझ है. मुझे ऐसे लोगों के साथ काम करना है, जो इस तरह का काम करना चाहते हैं. मैं चाहती हूं कि फिल्म से मैं स्क्रैच से जुड़े और आखिर तक उसके साथ रहूं.
लोगों को लग रहा है मैं कुछ नहीं कर रही
महिला के तौर पर ही नहीं मेरे को तो बहुत सारे मेल डायरेक्टर और प्रोड्यूसर मिल जाते हैं ,जिनकी राह आसान नहीं है. मुझे लगता है कि इस मामले में जेंडर जा चुका है. संघर्ष तो बहुत ज्यादा है. पिछले 2 साल में से बहुत सारे मौके आए हैं जब मैं कुछ सवाल किया कि तुम्हें या पंगा लेने की क्या जरूरत थी. सब ठीक से चल रहा था. तुम एक्टिंग कर रही थी. कीड़े ने तुमको काट लिया था. मुझे लगता है. यही जिंदगी है. आप जब किसी चीज पर विश्वास करते हैं ,तो आप उस पर लग जाते हैं. मुझे यह भी लगता है कि अगर आप में किसी चीज को लेकर शिद्दत या पागलपन नहीं है ,तो फिर क्या फायदा है.क्योंकि जिंदगी जीने को तो सभी जी रहे हैं. वैसे इन 2 सालों में मैं बहुत अच्छे लोगों से मिली हूं.बहुत अच्छी स्क्रिप्ट मेरे पास आई है.लोगों को क्या है कि जब तक आपको सक्सेस नहीं मिलती है.उनको लगता है कि आप कुछ कर नहीं रहे हैं. लोग यह भूल जाते हैं उसे सक्सेस को पाने के लिए पीछे एक साइलेंटली बहुत सालों तक काम करना पड़ता है.अभिनेत्री के तौर पर भी मेरे दो तीन फिल्में आनेवाली हैं. माधवन के साथ एक फिल्म तो इसी साल रिलीज होगी.