यूपी बिहार पर फिल्में वेब सीरीज बनाने वाले फिल्‍मकारों पर भड़के कुमार विश्‍वास, बोले- रहम करो भाई

kumar vishwas angry on bihar based movie and webseries: मशहूर कवि डॉ कुमार विश्‍वास (Kumar Vishwas) भारतीय फिल्‍मों और वेबसीरीज में किरदारों की बोली को लेकर गुस्‍सा जाहिर किया है. उन्‍होंने सोशल मीडिया ट्विटर के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर की है. उनका ये ट्वीट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 30, 2020 8:38 AM

मशहूर कवि डॉ कुमार विश्‍वास (Kumar Vishwas) भारतीय फिल्‍मों और वेबसीरीज में किरदारों की बोली को लेकर गुस्‍सा जाहिर किया है. उन्‍होंने सोशल मीडिया ट्विटर के जरिए अपनी नाराजगी जाहिर की है. उनका ये ट्वीट सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. उन्‍होंने अपने ट्वीट में मुंबई के लेखकों पर निशाना साधा है.

कुमार विश्‍वास ने ट्‍वीट किया,’ UP बिहार की पृष्ठभूमि पर फ़िल्में-वेब सीरीज़ बनाने वाले मुम्बईया लेखकों को यह क्यों लगता है कि भोजपुरी-अवधी-बृज-बुंदेली-मगही-अँगिका-वज्जिका सब एक ही हैं😳! एक ही घर के पाँच सदस्यों में से बेटा भोजपुरी में सवाल करता है तो बाप अवधी में जवाब देता है ! हमारी भाषाओं पर रहम करो भाई.’

कुमार विश्‍वास के इस ट्वीट पर लोग जमकर प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. एक यूजर ने लिखा,’ हरियाणवी तो इस बार सुना है पाताल लोक में सही बोली, वरना हरियाणवी का सबसे ज़्यादा सत्यानाश करते थे. अरे ताऊ बोलने को हरियाणवी बोलना समझते थे.’ इसका जवाब देते हुए कुमार विश्‍वास ने लिखा,’ वो शायद इसलिए कि @JaideepAhlawat खुद हरियाणा के ही हैं !’

https://twitter.com/Graaamin/status/1266322252775124993

एक और यूजर ने लिखा,’ हमें तो बाद में पता चला है कि हम अवधी बोलते है हम किसी से पूछते थे तो वह सब बोलते की ये ठेठ भाषा है किसी को पता नहीं है कौनसी भाषा बोलते हैं यहां तक कि अभी भी हमारे पूरे गांव में “केहू से पुछिहन कवन भाषा बोलत थेन. केव अईसन ना मिलिहन ” जो बता सके अब तो सब जैसे भोजपुरी हो गए हैं दुखद.’

एक यूजर ने लिखा,’ श्रीमान, भाषा का ज्ञान होना सबके बस की बात नहीं है. यह Hinglish पढ़ने वाले लोग हैं जिनके दिमाग में बात नहीं जाएगी. भाषा के ज्ञान के लिए भाषा को पढ़ना पड़ता है समझना पड़ता है. इसलिए आप जैसे ज्ञानी पुरुष बहुत सीमित हैं. प्रणाम आपको. आपसे प्रेणना मिलती है हिंदी में लिखने की.’

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एक और यूजर ने लिखा,’ श्रीमान ये ज्ञान की बात है, जैसे हमलोगों के लिए 20 साल पहले south india मतलब मद्रास था, south indian मतलब मद्रासी. वैसे ही मुम्बईया लेखकों को सब एक ही लगता है. जितनी भाषा की बात आपने की वो बहुत कम लोगों को ही मालूम होगी. आपके ज्ञान का स्तर अलग है. माँ सरस्वती का आशिर्वाद बना रहे.’

एक और यूजर ने लिखा,’ उसी तरह भैया दिल्ली , यूपी वालों को लगता है कि झारखण्ड में भोजपुरी, मगही बोली जाती है पर झारखंड हार्टलैंड की भाषा नागपुरी, खोरठा, पंचपरगनिया, संथाली इत्यादि है. हमारी पहचान को मिट्टी पलीद करने वाले कृपा करें, हमें हमारे हाल पर छोड दें.’

posted by: Budhmani Minj

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