‘कुमकुम भाग्य’ से लेकर ‘गुड्डन तुमसे ना हो पाएगा’ तक, इन मांगों के पूरा होने के बाद ही शुरू होगी शूटिंग
kumkum bhagya to guddan tumse na ho payega shooting : टीवी सीरियलों की शूटिंग के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है. 'गुड्डन तुमसे ना हो पाएगा, कुमकुम भाग्य, कुंडली भाग्य, सारेगामापा लिटिल चैंप्स इनकी शूटिंग आज से शुरू होनी थी. महाराष्ट्र फ़िल्म थिएटर कल्चरल डेवलोपमेन्ट इन सीरियलों की शूटिंग की बीते दिनों स्वीकृति दे दी थी लेकिन कल देर शाम फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (एफडब्लूआइसीई) और सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (सिंटा) ने शूटिंग में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया.
टीवी सीरियलों की शूटिंग के लिए थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है. ‘गुड्डन तुमसे ना हो पाएगा, कुमकुम भाग्य, कुंडली भाग्य, सारेगामापा लिटिल चैंप्स इनकी शूटिंग आज से शुरू होनी थी. महाराष्ट्र फ़िल्म थिएटर कल्चरल डेवलोपमेन्ट इन सीरियलों की शूटिंग की बीते दिनों स्वीकृति दे दी थी लेकिन कल देर शाम फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (एफडब्लूआइसीई) और सिने एंड टीवी आर्टिस्ट एसोसिएशन (सिंटा) ने शूटिंग में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया.
एफडब्लूआइसीई के अध्यक्ष बी एन तिवारी बताते हैं कि टीवी प्रोड्यूसर काउंसिल ने हमारी मांगे नहीं मानी हैं. ये बताते हुए बड़ा अफ़सोस होता है कि COVID-19 महामारी के बीच सरकार द्वारा लॉकडाउन की घोषणा से पहले अभिनेताओं, कामगारों और तकनीशियनों के हक से कमाए हुए वेतन, उनकी पेमेंट, काफी समय से बकाया थी, जिसका भुगतान तुरंत करने के लिए सभी निर्माताओं को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए सख्त निर्देशों के बाद भी, निर्माताओं ने अभी भी हमारे सदस्यों के बकाया देय राशि, उनके हक के पैसे नहीं दिए हैं.
इसके साथ ही कामगारों का बीमा वे 10 लाख देने को तैयार हैं जबकि हमने 50 लाख की मांग रखी थी.आप सेट्स करोड़ के बना लेते हैं लेकिन जान की कीमत 50 लाख आपको ज़्यादा लगती है.इन दो अहम मांगों के साथ हमारी कुछ और मांगे हैं जिनमें काम के अब 8 घंटे ही हो और पैमेंट सिस्टम और इमरजेंसी मेडिकल सेवाएं शामिल हैं.
निर्माताओं का कहना है कि 8 घंटे काम संभव नहीं है हमेशा से टीवी इंडस्ट्री में 12 घंटे काम होता आया है.आप ये भी तो देखिए हालात पहले जैसे नहीं है.कोविड 19 से लड़ने के लिए इम्यून सिस्टम मजबूत हो ज़रूरी है.12 घंटे काम करने वाले का इम्यून सिस्टम प्रभावित होगा ही. कुलमिलाकर हम अपने कामगारों की सुरक्षा मुसीबत में नहीं डाल सकते हैं. हमारी मांगे पूरी होने के बाद ही हम अभिनेता,तकनीशियन और श्रमिकों को काम पर लौटने की इजाज़त देंगे.
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एक नज़र एफडब्लूआइसीई और सिंटा की मांगों पर-
शिफ्ट के घंटे:
सख्ती से प्रति दिन 8 घंटे ही काम होना चाहिए|स्वाभाविक है कि किसी भी व्यक्ति की रोग प्रतिकारक शक्ति लगातार १२-१४ घंटे काम करने से बुरी तरह से प्रभावित हो जाएगी
दैनिक भुगतान:
दैनिक रूप से सहभागी अभिनेताओं / तकनीशियनों / श्रमिकों को भुगतान दिन के अंत में किया जाना है.
मासिक भुगतान:
कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे सभी कर्मचारियों, अभिनेताओं और तकनीशियनों को 30 दिनों में भुगतान किया जाना होगा.
कंवेयंस:
सभी को हरदिन आने-जाने का किराया दिया जाए.
साप्ताहिक छुट्टी:
हर हफ्ते एक दिन की छुट्टी दी जाए.
तय वेतन में कोई कटौती नहीं:
किसी भी अभिनेताओं / श्रमिकों / तकनीशियनों के पद से कोई वेतन कटौती/ छूट नहीं दी जाएगी.
किसी को काम से निकाला न जाए:
किसी भी अभिनेता / तकनीशियन / श्रमिकों को कटौती न मानने पर न तो रिप्लेस किया जाए और नहीं शो से निकाला जाए|
इमरजेंसी मेडिकल सुविधाएँ:
स्टूडियो और लोकेशन पर एक डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ (नर्स इत्यादि) के साथ सारे ज़रूरी उपकरणों से लैस एक एम्बुलेंस तैनात की जाए.
Posted By: Budhmani Minj