सदी की आवाज लता मंगेशकर अब हमारे बीच नहीं रही. मशहूर संगीतकार और वायलिन वादक उत्तम सिंह और लता मंगेशकर का साथ दशकों पुराना है. फिल्म पेंटर बाबू से दिल तो पागल है तक. उत्तम सिंह बताते हैं कि आज 2022 है उनकी जैसी आवाज ना थी ना है और ना आएगी. दीदी के साथ मैंने बहुत खूबसूरत पल बिताए हैं. वो सब पल मेरे लिए एक धरोहर की तरह हैं. दीदी ने मुझे बहुत प्यार और आशीर्वाद दिया. मेरा गाना होता था तो सिर्फ मैं दीदी को एक कॉल कर लेता था, तो दीदी कहती थी कि आप बताओ कब करना है. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश
मैं उनको सरस्वती दीदी कहता था. मैं उनसे कहता कि हम बचपन से मां सरस्वती जी पूजा करते आए हैं. आर्ट की देवी सरस्वती हैं. उनको देखा नहीं लेकिन, आपको देखने के बाद लगता है कि वह हमारे सामने बैठी हैं. वे मेरी बात सुनकर हंस पड़ती थी. मैं खुद को लकी मानता हूं कि मैं वायलिन बजा रहा हूं और लता जी की आवाज मेरे कानों में आ रही है. सोचिए उस पल से अच्छा भी क्या कोई पल हो सकता है. मैं अरेंजर रहा हूं.उस दौरान मेरे साथ उन्होंने बहुत गाने गाए हैं.
लता दीदी ने राजश्री फिल्मों के लिए गाना बन्द कर दिया था. एक लंबा अरसा गुज़र चुका है.फ़िल्म मैंने प्यार किया के दौरान सभी ने उन्हें मनाने की जिम्मेदारी मुझे सौंपी थी.सभी को पता था कि वो मुझे बहुत प्यार करती थी. मैंने उन्हें अपने प्यार और रिश्ते का वास्ता देते हुए कहा था कि आपको मेरे लिए गाना गाना है और वो मान गयी थी. 17 साल के अंतराल के बाद उन्होंने राजश्री की किसी फिल्म के लिए गाना गाया था.
दीदी से रिकॉर्डिंग की डेट मैं ही लेता था. वो डेट देती थी और उसके बाद मैं अपने प्रोड्यूसर और डायरेक्टर को बताता था. लता दीदी ने ये तारीख दी है. इसी दिन रिकॉर्डिंग करेंगे और उस दिन ये भी तय हो जाता था कि आप मुझे पौने ग्यारह बजे लेने भी आएंगे.ऐसा कुछ रिश्ता था हमारा. मैं पौने ग्यारह बजे उनके घर पहुंचता था और दीदी आधे मिनट में नीचे आ जाती थी. वो वक़्त की बहुत पाबंद थी.वे ना तो किसी का इंतज़ार करती थी और ना करवाती थी.वो दौर मोबाइल का नहीं था. वो मेरी कार में आगे मेरे साथ बैठती थी और दो पुलिस वाले पीछे बैठते थे.
रिकॉर्डिंग में आने से पहले वह उस गाने का पहले रियाज़ करती थी. उसके बाद ही वह रिकॉर्डिंग पर आती थी. कई बार उनको लगता कि आज गला ठीक नहीं तो वो रिकॉर्डिंग कैंसिल कर देती थी. वो रिकॉर्डिंग से किसी भी तरह का समझौता नहीं कर सकती थी. वो हमेशा रिकॉर्डिंग रूम के बाहर अपने जूते उतार देती थी. वे नंगे पैर गाती थी और खड़े होकर गाती थी बैठकर नहीं. रिकॉर्डिंग के दौरान जब तक कंपोजर उन्हें नहीं कहता कि इंट्रुमेंट्स थोड़ा ठीक करना है आप बैठ जाइए उसके बाद रिकॉर्डिंग फिर से करेंगे तब तक वो बैठती नहीं थी. दिल तो पागल है के दौरान उनकी उम्र 72 साल की रही होगी उस दौरान भी उन्होंने इसी तरह से गाया था.पूरे समय वो खड़ी थी. गाने की रिकॉर्डिंग के दौरान वह हैवी खाने से बचती थी.उस दौरान वह सिर्फ शहद मिला गर्म पानी पीती थी.
दीदी के लिए संगीत एक पूजा एक तपस्या की तरह दिल तो पागल है के दौरान मैंने ये बात महसूस की थी. हमलोग गाने की रिकॉर्डिंग रहे थे थे अरे रे अरे. मैंने दीदी के पास जाकर कहा कि दीदी दूसरा अंतरा एक बार फिर से करते हैं.उन्होंने कहा कि दूसरा क्यों पूरा एक बार फिर से रिकॉर्ड करते हैं. उनकी उम्र 72 साल की थी और वो गाने की रिकॉर्डिंग खड़े होकर ही करती थी जैसा कि मैंने पहले ही बताया उन्होंने उस गाने को फिर से पूरा रिकॉर्ड किया.संगीत के प्रति उनकी यह तपस्या ही थी जो दुनिया का हर टीवी आज उनको ही दिखा रहा है.
गाने की रिकॉर्डिंग के बाद अच्छे खाने का प्लान भी पहले से तय होता था. क्योंकि लता दीदी खाने की बहुत शौकीन थी. खाने में चिकन,मटन,दही सब शामिल होता था.डेढ़ घंटे तक हमारा खाना भी चलता था. खाने के बाद उन्हें कोल्ड ड्रिंक पीना बहुत पसंद था.वो सामने से कहती कि स्प्राइट पिलाओ,कोका कोला पिलाओ. वो भी बर्फ डालकर.आमतौर पर सभी सिंगर्स ठंडा खाने से परहेज करते थे लेकिन दीदी नहीं उन्हें सरस्वती का वरदान था.
राम नाम की धुन भजन की रिकॉर्डिंग के दौरान वो गाना उन्हें इतना मोहित कर गया था कि उन्होंने उस गाने के लिए निर्माता से पैसे ही नहीं लिए थे. उन्होंने कहा कि इतना अच्छा भजन बनाया है. मैं इसके पैसे नहीं लुंगी . यह गाना मेरी तरफ से तोहफा समझो. वे अक्सर लोगों को गिट्स अलग अलग तरह से देती रहती थी. फिल्म पेंटर बाबू फिल्म जब हम साथ में कर रहे थे, तो वो मेरे लिए एक बड़ा सा गिफ्ट लेकर आयी थी. वो गिफ्ट पैक था तो मुझे पता नहीं था कि उसमें क्या है. घर जाकर देखा तो उसमें गुरुनानक जी की तस्वीर थी और वो पेंटिंग सिख समुदाय के बहुत बड़े पेंटर हैं नानक सिंह. उन्होंने गुरुनानक साहब की सबसे अच्छी तस्वीर इतिहास में बनायी है. वो अपने आसपास के लोगों का बहुत खयाल रखती थी.
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उनको जोक्स सुनना बहुत पसंद था. उस दौरान मोबाइल तो था नहीं कि सारे जोक्स आपको एक बटन पर मिल जाए तो मैं उनको हर दिन कुछ नया जोक सुनाने की कोशिश करता था. मनोज कुमार साहब उनको बहुत जोक सुनाते थे. लता दीदी जिन्दगी को पूरी जिंदादिली से जीने में यकीन करती थी. मैंने उन्हें हंसते मुस्कुराते गाते गुनगुनाते देखा है, इसलिए जब उनकी बीमारी की खबर मुझे मिली तो मैं उनसे मिलने नहीं गया, क्योंकि मैं उन्हें ऐसे देख ही नहीं सकता था.